रांची दर्पण डेस्क। झारखंड की राजधानी रांची में एक गंभीर मामला सामने आया है, जहां भूमि फर्जीवाड़ा की शिकायत करने पर वरिष्ठ पत्रकार मुकेश भारतीय को रांची के उपायुक्त (DC) मनजूनाथ भजंत्री और कांके अंचल अधिकारी (CO) अमित भगत ने अपने आधिकारिक मोबाइल नंबरों, व्हाट्सएप और सोशल मीडिया हैंडल से ब्लॉक कर दिया।
पत्रकार का आरोप है कि यह कदम उनकी आवाज दबाने का प्रयास है, जो संविधान के अनुच्छेद 19(1)(अ) के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और सूचना के अधिकार का उल्लंघन है। इस संबंध में रांची डीसी और कांके सीओ का पक्ष प्राप्त नहीं हो सका है।
मामला कांके अंचल के मौजा नेवरी में खाता संख्या-17, आरएस प्लॉट संख्या-1335 की 25 डिसमिल कृषि भूमि से जुड़ा है। पत्रकार मुकेश भारतीय की पत्नी और दो अन्य सह-मालिकों ने वर्ष 2010 में यह भूमि विधिवत रजिस्ट्री से खरीदी थी। तब से वे शांतिपूर्ण कब्जे में हैं, दाखिल-खारिज पूरा है और लगान रसीदें नियमित कट रही हैं।
हालांकि, वर्ष 2022 में एक भूमि कारोबारी ने कथित तौर पर अंचल कार्यालय की मिलीभगत से फर्जी दस्तावेजों (गलत प्लॉट नंबर 1744/1746, एक ही व्यक्ति के हस्ताक्षर और असत्य भुगतान तिथि) के आधार पर 12 डिसमिल भूमि पर अवैध म्यूटेशन करा लिया। इससे झारभूमि पोर्टल पर कुल 37 डिसमिल की रसीदें कटने लगीं, जो भौतिक रूप से असंभव है।
इस फर्जीवाड़े की जानकारी सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद अप्रैल 2025 में सामने आई। डीसीएलआर कोर्ट ने वाद संख्या 396/2025 में 2 दिसंबर 2025 को आदेश जारी किया कि अवैध जमाबंदी रद्द करते हुए कांके CO जांच कर रिपोर्ट दें। पत्रकार ने 8 दिसंबर 2025 को CO अमित भगत को व्यक्तिगत रूप से दस्तावेज सौंपे, जिसे फाइल राजस्व कर्मचारी रविंद्र प्रसाद को सौंपी गई। लेकिन 15 दिनों बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई, जो झारखंड म्यूटेशन मैनुअल के नियम-11 का स्पष्ट उल्लंघन है। सीओ ने भी मुकेश भारतीय का नबंर को अपने सरकारी नंबर और व्हाटस्एप्प पर बलॉक कर दिया।
15 दिसंबर 2025 को मुकेश भारतीय ने DC मनजूनाथ भजंत्री, अपर समाहर्ता (राजस्व), DCLR और कमिश्नर को व्यक्तिगत आवेदन सौंपे। इसके बाद CO अमित भगत और DC ने उनके मोबाइल/व्हाट्सएप नंबर ब्लॉक कर दिए। सोशल मीडिया पर भी @DC_Ranchi हैंडल (जिसका बायो कहता है- “Grievances can be tagged. Response normally w/in 24 hours”) ने पत्रकार के सूचनात्मक कमेंट्स (“DCLR आदेश का अनुपालन कब?”) पर उन्हें ब्लॉक कर दिया। कुछ घंटों बाद अनब्लॉक किया गया, लेकिन फिर दोबारा ब्लॉक।
पत्रकार मुकेश भारतीय ने कहा, “मैं एक वरिष्ठ पत्रकार और भारतीय नागरिक हूं। सरकारी नंबर सार्वजनिक सेवा के लिए हैं। शिकायत पर ब्लॉकिंग लोकतंत्र का अपमान है। यह RTI अधिनियम और IT एक्ट का भी उल्लंघन लगता है।”
वे पूरे मामले को झारखंड हाईकोर्ट में अनुच्छेद 226 के तहत रिट याचिका दायर करने की तैयारी कर रहे हैं, जिसमें कोर्ट आदेश की अनुपालना, ब्लॉक हटाने और अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग की जाएगी।
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह मामला अनसुलझा रह जाता है, तो यह प्रेस फ्रीडम के लिए खतरनाक पूर्वाग्रह बनेगा। पत्रकारों में स्व-संयम बढ़ेगा, सरकारी अधिकारी आलोचना दबाने के लिए ब्लॉकिंग जैसे आसान तरीके अपनाएंगे, डिजिटल पारदर्शिता कमजोर होगी और स्थानीय स्तर पर जांच पत्रकारिता प्रभावित होगी। झारखंड में भूमि घोटाले पहले से आम हैं, ऐसे में यह मामला सिस्टम की कमजोरियों को उजागर करता है।



