
पटना (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। बिहार की राजनीति में चुनावी आग उग्र होती जा रही है और मोकामा विधानसभा क्षेत्र ने एक बार फिर अपनी कुख्यात हिंसक छवि को बयां कर दिया। राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के पुराने करीबी और जन सुराज पार्टी के प्रत्याशी पियूष प्रियदर्शी के चाचा दुलारचंद यादव की गोली मारकर निर्मम हत्या कर दी गई।
यह खूनी वारदात मोकामा के घोसवरी इलाके में तब हुई, जब पियूष का चुनावी काफिला प्रचार के लिए निकला था। आरोप सीधा कुख्यात बाहुबली विधायक अनंत सिंह पर लगा है, जो एनडीए गठबंधन से जदयू के टिकट पर मोकामा से चुनाव लड़ रहे हैं। घटना के बाद इलाके में तनाव चरम पर है और स्थानीय लोग सड़कों पर उतर आए हैं।
घटना गुरुवार दोपहर करीब 2 बजे की है, जब पियूष प्रियदर्शी का काफिला घोसवरी बाजार के रास्ते वोटरों से मिलने के लिए बढ़ रहा था। जन सुराज पार्टी, जो प्रशांत किशोर की अगुवाई में बिहार की सियासत में नया रंग भरने की कोशिश कर रही है, मोकामा जैसे संवेदनशील इलाके में मजबूत पकड़ बनाने की जद्दोजहद में थी। लेकिन अचानक एक विरोधी काफिले ने हमला बोल दिया।
प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक दर्जनों की तादाद में हथियारबंद बदमाश, जिन्हें स्थानीय लोग अनंत सिंह के समर्थक बता रहे हैं, उन्होंने जन सुराज की गाड़ियों को घेर लिया। शीशे तोड़े गए, लाठियां चलीं और फिर गोलीबारी शुरू हो गई। इसी अफरा-तफरी में दुलारचंद यादव, जो काफिले में पियूष के साथ थे, उनके सीने में दो गोली मारी गई। जिससे मौके पर ही उनकी मौत हो गई।
यह कोई साधारण झड़प नहीं थी, यह सुनियोजित हत्या है। इलाके के लोग और जन सुराज समर्थक चीख लगा रहे हैं। दुलारचंद के एक करीबी रिश्तेदार ने ने बताया कि जन सुराज प्रत्याशी पियूष का काफिला शांतिपूर्वक जा रहा था। तभी अनंत सिंह के गुर्गे आए और सीधे निशाना साधा। दुलारचंद चाचा लालू जी के जमाने से राजनीति में हैं। उन्होंने कभी किसी का बुरा नहीं चाहा। लेकिन अनंत सिंह को जन सुराज की बढ़ती लोकप्रियता खल रही थी।
जन सुराज समर्थक एवं स्थानीय निवासियों का गुस्सा साफ दिख रहा था। सैकड़ों लोग दुलारचंद के शव को लेकर मोकामा थाने का घेराव करने पहुंचे। नारेबाजी हो रही थी। अनंत सिंह हटाओ, बाहुबली को सजा दो! पुलिस को लाठीचार्ज तक करना पड़ा, लेकिन तनाव अब भी बरकरार है।
बता दें कि मोकामा का नाम ही बिहार की राजनीति में हिंसा का पर्याय है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के चहेते माने जाने वाले अनंत सिंह, जिन्हें ‘छोटे सरकार’ के नाम से जाना जाता है, उऩ पर पहले से कई गंभी आपराधिक मामले दर्ज हैं। हत्या, जबरन वसूली से लेकर एके-47 जैसे अवैध हथियार तक के। 2019 में वे एक्सप्लोसिव एक्ट के तहत जेल भी गए थे, लेकिन जमानत पर बाहर आते ही फिर सियासत में कूद पड़े।
वहीं, जन सुराज का पियूष प्रियदर्शी एक युवा चेहरा हैं, जो विकास और युवा मुद्दों पर जोर दे रहे हैं। दुलारचंद उनकी राजनीतिक विरासत के प्रतीक थे। लालू यादव के दौर से जुड़े, लेकिन अब नई पीढ़ी के साथ। घटना के बाद पियूष ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया है कि यह मेरे परिवार पर हमला नहीं, लोकतंत्र पर हमला है। अनंत सिंह के गुंडों को बख्शा नहीं जाएगा। बिहार की जनता न्याय मांगेगी।
बहरहाल पुलिस ने तत्काल कार्रवाई शुरू कर दी है। मोकामा एसपी ने बताया कि दो संदिग्धों को हिरासत में लिया गया है और फॉरेंसिक टीम मौके पर पहुंच चुकी है। सीसीटीवी फुटेज खंगाले जा रहे हैं और अनंत सिंह के समर्थकों पर नजर रखी जा रही है।
लेकिन सवाल वही कि क्या यह राजनीतिक हिंसा का अंत है या चुनावी मैदान में और खूनखराबा होगा? बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के करीब आते ही मोकामा जैसी सीटें हमेशा गरम रहती हैं, जहां जाति, बाहुबली और सत्ता की जंगें आम हैं। जन सुराज ने राज्य निर्वाचन आयोग से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की
बहरहाल यह घटना बिहार की सियासत को एक कड़वा सबक देती है। जहां वोट की होड़ हिंसा में बदल जाती है। दुलारचंद यादव की हत्या पूरे लोकतंत्र पर एक सवाल है। क्या जदयू प्रत्याशी अनंत सिंह और उनके समर्थकों पर पर कार्रवाई होगी या यह फिर एक और फाइल में दफन हो जाएगा?









