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योगी आदित्यनाथ के बाद शिबू सोरेन पर फिल्म बनायेंगे अजय मेंगी

रांची दर्पण डेस्क। बॉलीवुड की दुनिया में बायोपिक फिल्मों का क्रेज जोरों पर है और अब झारखंड के दिल को छूने वाली एक नई कहानी सिल्वर स्क्रीन पर चमकने वाली है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जिंदगी पर बनी सुपरहिट फिल्म ‘अजेय: द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ अ योगी’ के को-प्रोड्यूसर और एक्टर अजय मेंगी ने एक बड़ा ऐलान किया है।

उन्होंने कहा कि इस फिल्म की धमाकेदार सफलता के बाद अब वे झारखंड के आदिवासी नेता दिशोम गुरु शिबू सोरेन पर एक बायोपिक बनाने की योजना बना रहे हैं। जमशेदपुर में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में अजय मेंगी और उनकी पत्नी एवं को-प्रोड्यूसर रितु मेंगी ने इस प्रोजेक्ट पर विस्तार से बात की, जो न सिर्फ झारखंड की राजनीति और आदिवासी संघर्ष की अनकही दास्तान को उजागर करेगा, बल्कि दर्शकों को एक प्रेरक यात्रा पर ले जाएगा।

झारखंड के लिए यह खबर किसी उत्सव से कम नहीं है। शिबू सोरेन को आदिवासी समुदाय ‘दिशोम’ (नेता) के रूप में पूजता है। वे  झारखंड आंदोलन के प्रतीक रहे हैं। 1930 में जन्मे सोरेन ने न सिर्फ राज्य की स्थापना में अहम भूमिका निभाई, बल्कि झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के संस्थापक के रूप में आदिवासियों के अधिकारों के लिए लंबी लड़ाई लड़ी।

वे झारखंड के पहले मुख्यमंत्री भी बने और अपनी सादगी, संघर्ष और साहस के लिए याद किए जाते हैं। लेकिन उनकी जिंदगी की कई परतें जैसे गरीबी से सत्ता तक का सफर, जेल की सलाखों से संसद की कुर्सी तक का संघर्ष अभी तक सिल्वर स्क्रीन पर नहीं उतरी हैं। अब अजय मेंगी का यह ऐलान झारखंड के लाखों लोगों के लिए एक सपने जैसा लग रहा है।

अजय मेंगी ने बताया योगी आदित्यनाथ जी की फिल्म ‘अजेय’ ने न सिर्फ बॉक्स ऑफिस पर तहलका मचा दिया है, बल्कि लाखों लोगों को एक सच्चे योगी और कर्मयोगी की प्रेरणा दी है। लेकिन अब हमारी नजरें झारखंड पर हैं। दिशोम गुरु शिबू सोरेन का जीवन एक ऐसी गाथा है जो संघर्ष, न्याय और आदिवासी अस्मिता से भरी पड़ी है। हम उनके जीवन का बारीकी से अध्ययन करेंगे। उनके बचपन से लेकर राज्य निर्माण तक, जेल की कठिनाइयों से लेकर राजनीतिक ऊंचाइयों तक। यह फिल्म सिर्फ एक बायोपिक नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक क्रांति होगी।

अजय मेंगी जमशेदपुर के ओल्ड सीतारामडेरा के रहने वाले हैं और आजकल अमेरिका में सेटल हैं। लेकिन उनका झारखंड से गहरा जुड़ाव आज भी बरकरार है। ‘अजेय’ में उन्होंने रघु का किरदार निभाया है, जो फिल्म की कहानी को गहराई देने वाला एक महत्वपूर्ण पात्र है। फिल्म की रिलीज के बाद से वे भारत के विभिन्न शहरों का दौरा कर रहे हैं, जहां दर्शकों का जुनून देखकर वे अभिभूत हैं।

फिल्म की प्रोड्यूसर रितु मेंगी ने बताया कि यह फिल्म किसी राजनीतिक एजेंडे के लिए नहीं बनी। हमने योगी जी की जिंदगी को एक प्रेरक कहानी के रूप में पेश किया, जो अनुशासन, संघर्ष और समाज सेवा सिखाती है। उसी तरह शिबू सोरेन जी की कहानी भी हर वर्ग के दर्शकों को छुएगी। आदिवासी युवा इससे प्रेरित होंगे और मुख्यधारा के लोग झारखंड की अनकही कहानी जानेंगे।

प्रेस कॉन्फ्रेंस में अजय दंपति ने फिल्म ‘अजेय’ की सफलता के आंकड़े भी साझा किए। फिल्म ने पहले ही हफ्ते में 100 करोड़ से अधिक की कमाई कर ली है और सोशल मीडिया पर #AjeyaYogi ट्रेंड कर रहा है। दर्शकों ने इसे ‘पैसा वसूल’ बताया है, खासकर योगी आदित्यनाथ के संघर्षपूर्ण सफर को दिखाने के लिए। ‘अजेय’ दर्शकों के दिलों में हमेशा के लिए बस गई है।

वहीं शिबू सोरेन का जीवन किसी महाकाव्य से कम नहीं। 1970-80 के दशक में वे आदिवासी किसानों के लिए खनन माफिया के खिलाफ लड़े, जिसके चलते उन्हें कई बार जेल जाना पड़ा। 1980 में उन्होंने जेएमएम की स्थापना की और 2000 में झारखंड राज्य बनने में उनकी भूमिका अमिट है। लेकिन उनकी जिंदगी में दर्द भी कम नहीं।

अजय मेंगी ने कहा कि फिल्म में इन सभी पहलुओं को बारीकी से बुना जाएगा। झारखंड के लोक संगीत, आदिवासी संस्कृति और संघर्ष की भावना को फिल्म में उतारेंगे। शायद इसमें स्थानीय कलाकारों को भी मौका मिले। यह प्रोजेक्ट झारखंड के सिनेमा जगत के लिए भी एक बड़ा अवसर है।

जेएमएम के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि राज्य में आदिवासी कहानियों पर फिल्में कम बनी हैं और ‘अजेय’ की सफलता से प्रेरित होकर यह फिल्म नेशनल अवॉर्ड्स की दौड़ में भी शामिल हो सकती है। राजनीतिक हलकों में भी इस ऐलान का स्वागत हो रहा है। दिशोम गुरु की कहानी को सिल्वर स्क्रीन पर देखना गर्व की बात होगी। यह युवाओं को उनके बलिदान की याद दिलाएगी।

अजय मेंगी ने स्पष्ट किया कि शिबू सोरेन पर फिल्म का काम जल्द शुरू होगा। पहले उनके जीवन पर शोध होगा, जिसमें परिवार के सदस्यों और समकालीनों से बातचीत शामिल होगी। स्क्रिप्ट राइटिंग के बाद कास्टिंग और लोकेशन पर काम होगा। झारखंड की हरी-भरी वादियां, सरना स्थल और कोयला खदानों के आसपास शूटिंग होगी। यह फिल्म 2027 तक रिलीज करने का लक्ष्य है।

बहरहाल झारखंड के सिनेप्रेमियों के लिए यह खबर एक उत्साहजनक शुरुआत है। क्या शिबू सोरेन की बायोपिक ‘अजेय’ की तरह ही इतिहास रचेगी? समय ही बताएगा, लेकिन एक बात पक्की है कि झारखंड की धरती से निकली यह कहानी पूरे देश को प्रेरित करेगी। अधिक अपडेट्स के लिए https://expertmedianews.com  पर बने रहें।

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