
पटना (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। बिहार की राजनीति में एक बार फिर तनाव के बादल छा गए हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में आज हुई कैबिनेट बैठक के ठीक बाद उप मुख्यमंत्री और कृषि मंत्री विजय कुमार सिन्हा तथा ग्रामीण विकास मंत्री अशोक चौधरी के बीच तीखी बहस हो गई।
यह झगड़ा कृषि विभाग से जुड़ी एक महत्वपूर्ण भूमि ट्रांसफर के मुद्दे पर हुआ, जो जेडीयू मंत्री जामा खान के निर्वाचन क्षेत्र में एक कॉलेज प्रोजेक्ट के लिए था। सूत्रों के मुताबिक यह घटना आगामी विधानसभा चुनाव से पहले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में अंतर्कलह की ओर इशारा कर रही है, जहां सीट बंटवारे को लेकर पहले से ही तनाव व्याप्त है।
बैठक के दौरान सब कुछ सामान्य लग रहा था, लेकिन जैसे ही कैबिनेट की कार्यवाही समाप्त हुई, मंत्री अशोक चौधरी ने विजय सिन्हा से जामा खान के जिले में स्थित एक कृषि फर्म की भूमि को सरकारी प्रोजेक्ट के लिए ट्रांसफर करने की मांग की।
चौधरी का तर्क था कि भूमि ट्रांसफर पहले कर दिया जाए और बाद में वैकल्पिक भूमि की व्यवस्था की जा सकती है। लेकिन विजय सिन्हा ने सख्ती से इंकार कर दिया। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सख्त नीति के अनुसार कृषि भूमि का ट्रांसफर तभी संभव है जब उसके बदले समकक्ष भूमि पहले उपलब्ध कराई जाए।
सिन्हा ने यह भी कहा कि ट्रांसफर तभी होगा जब हमें बदले में भूमि मिलेगी। यह भूमि किसानों के लिए है और इसे कृषि विभाग के नियमों के अनुसार ही दूसरे विभाग को सौंपा जा सकता है।
यह बहस जल्द ही व्यक्तिगत स्तर पर पहुंच गई। अशोक चौधरी ने कथित तौर पर विजय सिन्हा से पूछा कि क्या आप हमेशा कृषि मंत्री बने रहेंगे? इस पर सिन्हा ने तीखा जवाब दिया। मौके पर मौजूद एक अन्य वरिष्ठ मंत्री ने हस्तक्षेप कर स्थिति को शांत कराया। लेकिन इस घटना ने एनडीए के भीतर की कलह को उजागर कर दिया।
जेडीयू के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि यह झगड़ा सिर्फ भूमि ट्रांसफर तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके पीछे चुनाव से पहले एक खास सीट को लेकर राजनीतिक टकराव है।
हालांकि यह पहली बार नहीं है, जब अशोक चौधरी विवादों में घिरे हैं। बीते 22 अगस्त 2025 को दरभंगा में एक जन संवाद कार्यक्रम के दौरान स्थानीय लोगों के विरोध के बाद उन्होंने गुस्से में कहा था कि मुझे आपके वोट की जरूरत नहीं है।
इस बयान की काफी आलोचना हुई थी और अब कैबिनेट में यह नया टकराव उनकी आक्रामक शैली को और उजागर कर रहा है। वहीं विजय सिन्हा बीजेपी के मजबूत नेता के रूप में जाने जाते हैं, जो गठबंधन में अपनी पार्टी के हितों की रक्षा के लिए मुखर रहते हैं।
एनडीए की एकता पर सवाल उठाने वाली यह घटना ऐसे समय में हुई है, जब बिहार विधानसभा चुनाव नजदीक हैं। जुलाई 2025 में भी एक एनडीए विधायक दल की बैठक में सिन्हा और चौधरी के बीच टकराव हुआ था, जहां बीजेपी विधायकों को सरकारी कार्यक्रमों से दूर रखने का मुद्दा उठा था।
उस समय सिन्हा ने ग्रामीण कार्य विभाग की ग्लोबल टेंडरिंग नीति पर सवाल उठाया था, जो स्थानीय ठेकेदारों को प्रभावित कर रही है। हालांकि उस बैठक में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और अन्य नेता मौन रहे थे। अब यह नया विवाद चुनावी रणनीति पर असर डाल सकता है, क्योंकि एनडीए को विपक्षी राजद-कांग्रेस गठबंधन से कड़ी चुनौती मिल रही है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ऐसे टकराव एनडीए की छवि को नुकसान पहुंचा सकते हैं। एक ओर जहां बीजेपी अपने विधायकों के सम्मान की बात कर रही है, वहीं जेडीयू अपने मंत्रियों के प्रोजेक्ट्स को प्राथमिकता देना चाहती है। यदि यह कलह नहीं थमी तो चुनाव में मतदाताओं का रुझान प्रभावित हो सकता है।
फिलहाल, दोनों मंत्रियों की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। लेकिन सूत्रों के मुताबिक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जल्द ही इस मुद्दे पर हस्तक्षेप कर सकते हैं ताकि गठबंधन की एकता बनी रहे।