अन्य
    Friday, November 22, 2024
    अन्य

      33 करोड़ देवी-देवता की मौजूदगी में 24 घंटे जाग रहा भगवान ब्रह्मा का राजगीर

      विगत 16 मई को बिहार के सीएम नीतीश कुमार के कर कमलों द्वारा तीर्थपूजा व ध्वजारोहण के साथ शुरु राजगीर मलमास मेला आगामी 13 जून, 2018 तक आयोजित रहेगा।

      इस दौरान हिन्दू धर्मावलंबी मान्यता के अनुसार तमाम 33 करोड़ देवी-देवता यहां रहेंगे। वहीं काग महाराज यहां से दूर चले गये हैं। मलमास मेले में आने वाले सैलानियों के स्वागत में भगवान ब्रह्मा द्वारा बसायी गयी नगरी को दुल्हन की तरह सजाया गया है।

      24 घंटे जागेगा राजगीर
      RAJGIR MALMAS MELA 1नालंदा जिला, अनुमंडल व नगर पंचायत प्रशासन के अधिकारी समेत स्थानीय लोग दिन-रात एक कर राजगीर को सजाने-संवारने में लगे हैं।

      मुख्य पथ से लेकर गली व मोहल्लों तक को इस तरह सजाया गया है कि दिन-रात का फर्क ही मिटा रहेगा। यह कहा जा सकता है कि यह नगरी अगले एक माह तक 24 घंटे जागता रहेगा।

      हर तीन साल पर लगने वाले इस मेले की प्रतीक्षा जितनी सैलानियों को होती है, उससे कहीं अधिक सड़क किनारे व फुटपाथों पर लगाने वाले दुकान संचालकों को भी।

      पंच पहाड़ियों की छटा के दर्शन को तो सालोंभर सैलानी यहां आते हैं, लेकिन इस महीने में मनोरंजन के तमाम साधन मौजूद होने की वजह से यहां दो-ढाई लाख से अधिक लोग रोजाना आते हैं।

      क्या महत्ता है मलमास मेले कीRAJGIR MALMAS MELA nitish
      वैसे तो राजगीर में धार्मिक महत्ता के 22 कुंड व 52 धाराएं हैं। लेकिन ब्रह्मकुंड व सप्तधाराओं में स्नान की विशेष महत्ता है।

      देश व विदेश के श्रद्धालु यहां के कुंडों में स्नान व पूजा-पाठ कर मेले का धार्मिक लाभ उठाते हैं।

      अधिकतर श्रद्धालु यहां के सभी कुंडों में पूरे विधि-विधान से स्नान व पूजा-पाठ करते हैं।

      भगवान ब्रह्मा के पुत्र राजा बसु ने इस पवित्र स्थल पर महायज्ञ कराया था। उस महायज्ञ के दौरान उन्होंने 33 करोड़ देवी-देवताओं को आमंत्रण दिया था। लेकिन भूलवश काग महाराज को न्योता देना भूल गये थे।

      इसके कारण महायज्ञ में काग महाराज शामिल नहीं हुए। उसके बाद से मलमास मेले के दौरान राजगीर के आसपास काग महाराज कहीं दिखायी नहीं देते हैं।

      भगवान ब्रह्मा ने की थी कुंडों की रचना
      महायज्ञ माघ माह में हुआ था। इसी कारण देवी-देवताओं को ठंड से बचाने के लिए कुंडों की रचना भगवान ब्रह्मा ने की थी। मलमास के दौरान राजगीर छोड़कर दूसरे स्थान पर पूजा-पाठ करने वाले लोगों को किसी तरह के फल की प्राप्ति नहीं होती है, क्योंकि सभी देवी-देवता राजगीर में रहते हैं।

      राजगीर के 22 कुंडों के नाम
      ब्रह्मकुंड, सप्तधारा, व्यास, अनंत, मार्केण्डेय, गंगा-यमुना, काशी, सूर्य, चन्द्रमा, सीता, राम-लक्ष्मण, गणेश, अहिल्या, नानक, मखदुम, सरस्वती, अग्निधारा, गोदावरी, वैतरणी, दुखहरनी, भरत और शालीग्राम कुंड।

      क्या है मलमास
      ज्योतिषाचार्यों के अनुसार जब दो अमावस्या के बीच सूर्य की संक्रांति अर्थात सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश नहीं करते हैं तो मलमास होता है। मलमास वाले साल में 12 नहीं, बल्कि 13 महीने होते हैं। इसे अधिमास, अधिकमास, पुरुषोत्तम मास भी कहते हैं।

      संबंधित खबर

      error: Content is protected !!