“इस आंदोलन का आगाज “किसान जिंन्दाबाद” नामक नवगठित संगठन ने किया है और वह भी सूबे के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा से। आज 5 अक्टूबर को हजारों किसान जिला मुख्यालय बिहारशरीफ की सडकों पर उतर आए। वह भी स्वतःस्फूर्त ढंग से…..”
एक्सपर्ट मीडिया न्यूज (डॉ. अरुण कुमार मयंक)। पंजाब और मध्य प्रदेश समेत देश के सात राज्यों में पिछले कुछ सालों में किसानों ने समय समय पर आंदोलन किया। मंदसौर, महाराष्ट्र एवं दिल्ली के किसान आंदोलन की यह चिंगारी अब बिहार भी पहुँच चुकी है।
किसान जिले के हर क्षेत्र, हर जाति व हर समुदाय के थे। दलगत व तबकेगत भावनाओं से ऊपर उठ कर। किसानों के सिर पर हरे गमछे की पगड़ी थी। ये गमछे हरियाली के प्रतीक लग रहे थे। आज के इस आंदोलन के सूत्रधार बने जाने-माने समाजसेवी ई. प्रणव प्रकाश।
पौ फटते ही मुख्यालय बिहारशरीफ में किसानों का आना शुरू हो गया था। टाउन हॉल व हॉस्पीटल चौक के इर्द-गिर्द जमा हो रहे थे। किसान अधिकार मार्च में शामिल होने के लिए। इनका उत्साह देखते बन रहा था। दिन के दस बजते-बजते किसानों का हुजूम इकठ्ठा हो चूका था।
साढ़े ग्यारह बजे तक टाउन हॉल किसानों से खचाखच भर चुका था। दोपहर बारह बजे हजारों की तादाद में किसान टाउन हॉल से बाहर निकले। पूरी तरह व्यवस्थित ढंग से। हॉस्पीटल चौक पर “किसान जिंदाबाद” के वालंटियर्स किसानों को “अधिकार मार्च” की लाइन में लगा रहे थे।
“किसान अधिकार मार्च” में शामिल लोग रह-रह कर नारे लगा रहे थे। “जय जवान, जय किसान”, “दुत्कार नहीं सम्मान चाहिए, भीख नहीं अधिकार चाहिए”, “सुन लो आप सब किसानों की बात,अब लेकर रहेंगे अपनी मांगे सात”।
इन नारों के साथ हजारों किसान हॉस्पीटल चौक से भरावपर की ओर पैदल मार्च कर रहे थे। ज्यों-ज्यों मार्च आगे बढ़ रहा था, किसानों का उत्साह बढ़ रहा था। वे जोर-जोर से नारे लगा रहे थे।
मार्च का नेतृत्व संयोजक ई प्रणव प्रकाश, उमराव प्रसाद यादव, जहांगीर आलम, देव कुमार शर्मा, धनञ्जय कुमार, रबीन्द्र कुमार प्रभाकर, निरंजन कुमार मालाकार, ब्रजकिशोर प्रसाद, शशिभूषण पासवान, सुलेखा देवी तथा सुचिता सिन्हा आदि कर रहे थे।
“किसान जिंदाबाद” के अग्रणी किसानों ने “किसान अधिकार मार्च” के पूर्व स्थानीय टाउन हॉल में किसानों की महती सभा को सम्बोधित किया।
संयोजक ई प्रणव प्रकाश,व अन्य अग्रणी किसानों ने कहा कि अब किसान समुदाय की उपेक्षा करके कोई भी सरकार नहीं टिक सकती है, चाहे वह दिल्ली की हो या फिर पटना की। देश में जो किसानी समस्या है उसे हल करने के लिए सरकार को कोई ठोस पहल करनी ही होगी।
वक्ताओं ने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि अगर हमारी मांगें नहीं मानी गईं, तो जिला मुख्यालय से लेकर हम सूबे की राजधानी तक विशाल आंदोलन करेंगे और सरकार से अपनी मांगें मनवा कर ही रहेंगे।
“किसान अधिकार मार्च” में शामिल किसानों के हुजूम ने ढाई किलोमीटर की दूरी पैदल तय की। बाजार से गुजरते वक्त लोग हरे गमछे वाले किसानों को कौतुहल की दृष्टि से देख रहे थे। कहीं-कहीं पर भीड़ अधिक हो जाने पर रोड जाम की स्थिति बन जा रही थी।
किसान मार्च नगर के भरावपर, पोस्ट ऑफिस मोड़, भैंसासुर चौक होते हुए जिला समाहरणालय पहुंचा। जिला समाहरणालय के समक्ष किसान जोर-जोर से नारे लगा रहे थे।
मार्च समाप्ति के पूर्व ई प्रणव प्रकाश के नेतृत्व में “किसान जिंदाबाद” के एक प्रतिनिधिमंडल ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नाम अपनी सात सूत्री मांगों से वर्णित ज्ञापन नालंदा के जिलाधिकारी डा. त्यागराजन एस.एम. को सौंपा।
ज्ञापन में कृषि का लागत मूल्य घटाने, कृषि के लिए मुफ्त बिजली देने, अनाज, दूध, सब्जियों व अन्य कृषि उत्पादों का उचित समर्थन मूल्य तय करने व तय मूल्य पर खरीद करने, किसानों के वर्तमान कर्जे माफ़ करने व किसानों के लिए ब्याज रहित कर्ज की व्यवस्था करने, किसान आयोग का गठन व किसान पेंशन की व्यवस्था करने, किसान परिवारों के लिए बेहतर रोजगार, शिक्षा व स्वास्थ्य की व्यवस्था करने आदि मांगे शामिल हैं।
ज्ञापन को देखने व पढ़ने से ऐसा लगता है कि किसानों ने पहली बार व्यवस्थित तरीके से व्यावहारिक मांगें सरकार के समक्ष रखी हैं।