एक्सपर्ट मीडिया न्यूज। नालंदा जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी राजेश कुमार सिंह ने दायर एक शिकायतवाद की सुनवाई के बाद सिलाव नगर पंचायत के तात्कालीन कार्यपालक पदाधिकारी के विरुद्ध सरकारी राजस्व की हानि पहुंचाने के मामले में दोषी करार देते हुए स्थानीय थाना में एफआईआर दर्ज करने का अंतिम आदेश दिया है।
परिवादी जयकांत कुमार एवं पुरुषोतम प्रसाद द्वारा 27 अप्रैल,2018 को दायर संयुक्त अनन्य संख्या- 527310227041800021 में शिकायत थी कि….
“अनुमण्डल पदाधिकारी राजगीर एवं कार्यपालक पदाधिकारी नगर पंचायत सिलाव नालन्दा की लापरवाही से प्रत्येक साल पांच लाख रूपये से अधिक राजस्व का नुकसान सरकारी कोष में हो रहा है और बिना व्यवसायिक टैक्स लिए वगैर ही पशु हाट सिलाव का संचालन उक्त दोनों कार्यालय के भ्रष्टकर्मी अवैध परितोष लेकर संचालन करा रहा है, उसे त्वरित बंदकराया जाय।”
इस मामले की अंतिम सुनवाई की तिथि 17 सितबंर,2018 को जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी ने अपने अंतिम आदेश में लिखा है कि अनुमंडल पदाधिकारी, राजगीर ने पत्रांक 593 दिनांक 11.08.2018 से प्रतिवेदित किया है कि समाहर्ता, नालन्दा के पत्रांक 3374/रा. दिनांक 05.10.2012 से सिलाव स्थित पशुहाट अभिलेख लौटाते हुए निदेशित किया गया था कि माननीय उच्च न्यायालय द्वारा व्यवसायिक लगान पर रोक के कारण व्यवसायिक लगान नहीं लगाया जा सका एवं बिहार गजट असाधारण अंक दिनांक 16.03.2011 द्वारा नई अधिसूचना जारी होने के बाद कृषि भूमि के गैर कृषि उपयोग हेतु अनुज्ञप्ति प्रदत करने की समाहर्ता की शक्ति अनुमंडल पदाधिकारी को दी गयी है।
तदेव अनुमंडल पदाधिकारी, राजगीर द्वारा अपने पत्रांक 646 दिनांक 19.10.2012 से अंचलाधिकारी, सिलाव को वर्णित भूमि पर लगाए जा रहे पशुहाट हेतु सम्परिवर्तन हेतु प्रस्ताव की मांग की गयी जो अब तक अप्राप्त है।
अनुमंडल पदाधिकारी द्वारा आगे प्रतिवेदित किया गया है कि कार्यपालक पदाधिकारी, नगर पंचायत सिलाव ने पत्रांक 531 दिनांक 23.07.2018 से अनुमंडल पदाधिकारी को सुचित किया है कि बोर्ड के प्रस्ताव संख्या 5 के निर्णयानुसार बिहार नगरपालिका अधिनियम की धारा 344 अंतर्गत हाट बाजार की अनुज्ञप्ति देने का प्रावधान नगर पंचायत, सिलाव को है एवं उक्त निर्णय के आलोक में वर्ष 2007-08 से लेकर 2018-19 तक पशु हाट की अनुज्ञप्ति शुल्क नगर पंचायत सिलाव द्वारा लिया जा रहा है, जो बहुत कम है।
इससे स्पष्ट है कि सरकार को राजस्व की हानि हुई है। बोर्ड को अनुज्ञप्ति देने का अधिकार तो है, किन्तु दर निर्धारण के लिए निविदा अथवा मार्केट सर्वे कराना चाहिए था। वर्ष 2007-08 से 2018-19 तक के लिए एक ही दर का निर्धारण भी नियमानुकुल नहीं है, दर निर्धारण अधिकतम तीन वर्षों के लिए होना चाहिए था।
कार्यपालक पदाधिकारी को बोर्ड में लिए गए नियमानुकुल प्रस्तावों को ही Execute कराना चाहिए था। स्पष्टत: सरकार के राजस्व को क्षति पहुंचाई गयी है।
वर्णित स्थिति में कार्यपालक पदाधिकारी, नगर पंचायत को निदेश दिया जाता है कि शीघ्र वोर्ड की बैठक में वंदोवस्ती का प्रस्ताव लाकर नियमानुसार बदोवस्ती करें। साथ ही नगर पंचायत के राजस्व को हानि पहुचाने वाले कार्यपालक पदाधिकारी पर प्राथमिकी दर्ज करें।
अनुमंडल पदाधिकारी, राजगीर निदेशित है कि प्रश्नगत भूमि का संपरिवर्तन कराकर बकाया व्यवसायिक लगान की वसूली वेंडर से कराने हेतु अग्रेतर कार्रवाई का अनुश्रवण करें, ताकि सरकार को राजस्व की क्षति न हो। वाद की कार्यवाही समाप्त की जाती है।