राजगीर (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज )। मगध साम्राज्य के सम्राट जरासंध के अखाड़ा एवं स्वर्ण भंडार के गौरवशाली इतिहास का वर्णन करते हुए किशोर न्याय परिषद सह राजगीर मलमास मेला में पदस्थापित न्यायिक दंडाधिकारी मानवेंद्र मिश्रा ने अपनी यात्रा वृतांत में लिखा है कि मगध का उल्लेख सर्वप्रथम अथर्ववेद में मिलता है। ऋग्वेद में यद्यपि मगध का उल्लेख नहीं मिलता तथापि किकट किरट नामक जाति के शासक परमंगद की पहचान मगध से की गई है।
मगध के सबसे प्राचीन राजवंश का संस्थापक वृहद्रथ था यह जरासंध के पिता थे जरासंध ने लगभग 86 राजाओं को परास्त कर बंदी बनाकर अपने कारागार में निरोध कर रखा था।
जरासंध ने अपनी पुत्री का विवाह मथुरा के राजा कंस से किया था। श्री कृष्ण के हाथों कंस की मृत्यु हो जाने के बाद उसने कृष्ण को अपना प्रबल शत्रु मान लिया था तथा उसने लगभग 17 बार मथुरा पर आक्रमण किया था।
जरासंध के बार-बार आक्रमण से परेशान होकर श्री कृष्ण अपने क्षेत्र के सभी निवासियों के साथ द्वारिका में चले गये कालांतर में श्री कृष्ण भीम की सहायता से जरासंध को इसी अखाड़े में परास्त कर सभी राजाओं को मुक्त कराया था तथा जरासंध के पुत्र सहदेव को गद्दी सौंप दी थी।
जरासंध के स्वर्ण भंडार की खुदाई अभी संभव नहीं हो पाई। इसकी दीवारों पर कुछ सांकेतिक अक्षरों में लिखे गए हैं। माना जाता है कि यह सांकेतिक चिन्ह ही गुफा के खुलने का सूत्र बताते हैं।
ऐसी मान्यता है कि विपुल गिरी पर्वत के अंदर से एक सुरंग स्वर्ण भंडार तक आती है लेकिन, यह सारे प्रयास अभी तक स्वर्ण खजाने तक पहुंचने में असफल साबित हुआ है।
मगध साम्राज्य पर हर्यक वंश नंद वंश मौर्य वंश शासन रहा है। पहली बौद्ध संगीति राजगीर में ही हुई थी। जैन धर्म के भगवान महावीर ने अपना पहला प्रवचन विपुल गिरी पर्वत पर ही दिया था।
मगध साम्राज्य प्राचीन भारत के 16 महाजनपद में से एक था बौद्ध काल तथा परवर्ती काल में सबसे अधिक शक्तिशाली जनपद था। मगध साम्राज्य की राजधानी राजगीर पांच पहाड़ी विपुल गिरी ,रतनागिरी ,स्वर्ण गिरी ,वैभव गिरी, उदयगिरी से घिरी हुई है, इसलिए इसे गिरि वज्र भी कहा जाता था।
इसलिए यह राजधानी अति सुरक्षित मानी जाती थी उन दिनों। मगध साम्राज्य में लगभग 6,000 हाथी सेना में शामिल थे। गंगा गंडक एवं जमुना के दोआब क्षेत्र होने की वजह से भूमि अत्यधिक उपजाऊ थी प्रचुर मात्रा में लोहा मिलने से आयुध सामग्रियों की भरपूर थे।
इन्हीं सब कारणों से मगध साम्राज्य इतना शक्तिशाली था की विश्व विजेता सिकंदर भी मगध साम्राज्य पर आक्रमण किए बगैर वापस लौट गया। उसकी सेना ने मगध साम्राज्य के सैनिकों से लड़ने से इनकार कर दिया था।
सिकंदर के आक्रमण के समय यहां नंद वंश का शासन था घनानंद उस समय शासक थे। जरासंध का अखाड़ा वर्तमान में सरकार की उदासीनता एवं उपेक्षा का शिकार है। लेकिन जरासंध को जोड़ने वाली जरा देवी का मंदिर दर्शनीय स्थल में प्रमुख है।
जज मानवेन्द्र मिश्रा कहते हैं कि जरासंध के अखाड़ा जो कि आज पर्यटन विभाग के द्वारा उपेक्षा का शिकार हो रही है, जहां प्रकृति अपना मनमोहक छटा लिए हुए खड़ी है।
यहां पहुंचने के बाद चारों तरफ से पर्वत शिखर नजर आते हैं, जो कि स्वर्ग से भी सुंदर मनमोहक दृश्य है, फिर भी पर्यटन विभाग की उदासीनता यहां नजर आती है