देश के ‘मिसाइल मैन’ कहे जाने वाले देश के ग्यारवें राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम की कल 14 अक्टूबर को जयंती थी। इस मौके पर देश उनके व्यक्तित्व और कृतित्व को याद कर रहा है। पूर्व राष्ट्रपति का बिहार से भी भी एक अंतरंग नाता रहा है। खासकर नालंदा से। लेकिन इस बार बिहार उन्हें भूल सा गया। नालंदा को तो बिल्कुल ही याद नहीं रहा। सीएम नीतीश कुमार ने भी कहीं याद करते नजर नहीं आये। उनके नालंदा में कहीं भी सम्मान के दो पुष्प अर्पित किये जाने की कोई सूचना नहीं है……
पटना (जयप्रकाश नवीन)। नालंदा में उनके द्वारा किए गए कार्य हमेशा सदियों तक स्मरणीय रहेगा। डॉ कलाम वैसे तो दो बार नालंदा पहुँचे थें लेकिन अपने जीवन में इन दो दौरे में उनके द्वारा किए गए कार्य ने नालंदा की तस्वीर और तकदीर दोनों बदल कर रख दी थी। आज नालंदा में निर्मित अंतरराष्ट्रीय नालंदा विश्वविद्यालय उन्हीं के परिकल्पना की देन है।
देश के पूर्व राष्ट्रपति डॉ अब्दुल कलाम पहली बार तत्कालीन रेल मंत्री नीतीश कुमार के कहने पर उनके पैतृक प्रखंड हरनौत आएं थे। जहाँ उन्होंने हरनौत में रेल कोच मेंटनेस फैक्टरी का शिलान्यास किया था। देश के सर्वोच्च पद पर रहते हुए भी डॉ कलाम सादगी और सरलता के प्रतिमूर्ति बने रहे।
जहाँ देश के राष्ट्रपति और पीएम अपने दौरे के लिए हवाई सफर पसंद करते हैं तो दूसरी तरफ डॉ अब्दुल कलाम ने प्रोटोकॉल तोड़ कर दो दिवसीय बिहार दौरे के लिए दिल्ली से पटना आने के लिए ट्रेन से यात्रा करना पसंद किया।
ट्रेन से यात्रा करने वाले डॉ अब्दुल कलाम देश के दूसरे राष्ट्रपति थे। इससे पहले 1977 में तत्कालीन राष्ट्रपति नीलम संजीव रेड्डी ने रेल की सवारी दिल्ली से अपने गृह प्रदेश आंध्र प्रदेश तक की थी।
देश के तत्कालीन रेल मंत्री नीतीश कुमार के कहने पर राष्ट्रपति डॉ अब्दुल कलाम हरनौत में रेल कोच फैक्टरी के शिलान्यास के लिए 30 मई 2003 को हरनौत आएं थे।
डॉ.कलाम ने प्रेसिंडेसिंल सैलून में बैठकर हरनौत से पटना तक 60 किमी का सफर तय कर वें हरनौत पहुँचे थे।
उनके इंतजार में हरनौत में जनसैलाब पलक पावडे बिछाए हुए थे। हर कोई उन्हें देखने और सुनने की ललक लिए पहुँच रहे थे। जनसैलाब इतना था कि चिट्टी को भी पर रखने की जगह नहीं थीं।
जब राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम ने रेल कोच फैक्टरी की नींव रखी तब नारों से आसमान गूंजने लगा था। उमड़े जन सैलाब को लग रहा था जैसे आसमान से कोई फरिश्ता उतर आया हो।
आज हरनौत रेल कोच फैक्टरी कार्य करने लगा है। यहाँ रेल पहिए का निर्माण चल रहा है।
जब नीतीश कुमार ने पहली बार बिहार के सीएम पद की शपथ ली थी तो उन्होंने पुनः दूसरी बार डॉ एपीजे अब्दुल कलाम को बिहार विधानमंडल के संयुक्त अधिवेशन में बुलाबा भेजा था।जिसे राष्ट्रपति ने सहर्ष स्वीकार भी कर लिया था।
इसी विधानमंडल के अधिवेशन को संबोधित करते हुए प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के तर्ज पर अंतरराष्ट्रीय नालंदा विश्वविद्यालय की परिकल्पना को रखने का काम किया था।
उन्हीं के सुझाव पर इस दिशा में सीएम नीतीश कुमार ने काम शुरू किया। आज नालंदा विश्वविद्यालय में पठन-पाठन शुरू हो चुका है। यह विश्वविद्यालय अपना आकार लेने की ओर अग्रसर है।
पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम ने फिर से नालंदा का दौरा किया था। उन्होंने 8 फरवरी 2008 को नालंदा विश्वविद्यालय के लिए प्रस्तावित स्थल का भी दौरा किया। उन्हें नालंदा विश्वविद्यालय के निर्माण के लिए मेंटर ग्रुप का सदस्य बनाया गया था। साथ ही वे नालंदा विश्वविद्यालय के प्रथम विजिटर भी बने।
उनकी जयंती पर नालंदा के लोग भी उन्हें याद कर रहे हैं……..
“जिंदगी ऐसी बना जिंदा रहे दिलशाद तू,
गर न हो दुनिया में तो दुनिया को याद आएं तू”
देश के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की जयंती पर एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क की ओर से शत् शत् नमन।