“मनरेगा के तहत 3 फीट मिट्टी खुदाई का कार्य किया जाना है, मगर केवल घास फूस को ही छील सरकारी रहनुमाओं की कृपा से पंचायत के मुखिया ने सरकारी राशियों का बंदरबांट कर लिया।“
बिहारशरीफ (राजीव रंजन)। नालंदा में गांवों की स्थिति में सुधार तथा जरूरतमंदों को रोजगार के अवसर प्रदान करने वाली केंद्र सरकार के महत्वाकांक्षी योजनाओं में एक महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई है। यहां सरकारी मापदंडों के तहत कहीं कोई कार्य नहीं किया गया है।
राजगीर प्रखंड के गोरौर पंचायत में मुखिया संतोष कुमार दिवाकर के देखरेख में खईरा चमन मोड़ से नहर तक फाइन खुदाई का कार्य किया गया है। जिसमें मुखिया के द्वारा सरकारी राशियों का खूब नारा बारा लगाया गया है।
मनरेगा के तहत करीब 1.52 लाख रुपया के आसपास पईन खुदाई के इस कार्य को सरकारी मापदंडों के अनुसार 3 फीट गड्ढा करना था, मगर मुखिया द्वारा पइन के खुदाई कार्य में दोनों किनारा समेत निचली परत पर जमे हुए घास-फूस को मजदूरों के द्वारा छीलकर सरकारी रहनुमाओं के भ्रष्टाचार का आइना दिखा सरकारी राशि की बंदरबांट कर ली गई।
आश्चर्य है कि यहां कार्यस्थल पर मनरेगा के तहत जो बोर्ड लगाया गया है, उसमें न तो कार्य प्रारंभ की तिथि दर्ज है और न ही कार्य समाप्ति की तिथि तथा बोर्ड की एक भी जानकारी संतोषप्रद नहीं है।
जब एक्सपर्ट मीडिया न्यूज़ रिपोर्टर ने गोरौर पंचायत के मुखिया संतोष कुमार दिवाकर से इस कार्य की जानकारी प्राप्त की तो वह सरकारी मापदंडों के अनुसार अपने कार्य की बड़ाई खुद अपने ही मुंह से करने लगे, जो कार्य की तस्वीर में साफ उसके काले चेहरे को दर्शाती है और मनरेगा की भ्रष्टाचार उजागर करता है।
वहीं एक्सपर्ट मीडिया न्यूज़ रिपोर्टर को राजगीर प्रखंड कार्यक्रम पदाधिकारी राकेश रंजन संतोषप्रद जानकारी नहीं दे सके और बाद में किसी दूसरे व्यक्ति से विशेष जानकारी लेकर देने की बात कही।