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    Monday, December 23, 2024
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      भू-माफियाओं ने झाड़-जंगल की यूं कराई रजिस्ट्री, राजगीर DCLR की शिकायत पर नहीं हुई FIR

      बिहार के नालंदा जिले के अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन क्षेत्र राजगीर की मनोरम वादियों को फर्जी कागजातों के जरिये खरीद-बिक्री कर भू-माफिया लील रहे हैं। हद तो तब हो जाती है कि जब प्रशासनिक तौर पर पकड़ में आने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की जाती। भूमि उप समहर्ता स्तर के अधिकारी की शिकायत पर थाने में एफआईआर नहीं की जाती। फिर एफआईआर दर्ज करवाने की कार्रवाई अधिकारी के अधिकार क्षेत्र के बाहर बता कर वापस ले ली जाती है।  इस गोरखधंधे में विभागीय लोगों के विरुद्ध कार्रवाई प्रक्रिया में बताई जाती है, लेकिन सरकारी झाड़-जंगल की भूमि के क्रेता-बिक्रेता के अपराध को ठंढे बस्ते में डाल दिया गया है। शायद क्रेता ऊंचे रसुखदार वाले हैं।

      RAJGIR GOV LAND SCANDLE DCLR LETTERएक्सपर्ट मीडिया न्यूज (मुकेश भारतीय)। विगत 8 जनवरी,18 को राजगीर भूमि सुधार उप समाहर्ता प्रभात कुमार ने राजगीर थाना प्रभारी को विषयगत राजगीर अवर निबंधन कार्यालय के कर्मी भरत तिवारी, प्रभारी विलेख जांच कर्मी नवीन रंजन, कंप्यूटर ऑपरेटर बैकुंठ कुमार के साथ-साथ क्रेता सह विलेख प्रस्तुतकर्ता कुमार प्रवीरचन्द्र पिता-रामचन्द्र प्रसाद साकिन मौजा दक्षिणी चित्रगुप्त नगर,पटना की मिलीभगत से सरकारी भूमि का निबंधन कराने में मिलीभगत के चलते दोषी के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कर कार्रवाई करने को लिखा था।

      इस शिकायत पत्र-आवेदन की प्रतिलिपि राजगीर अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी, राजगीर अनुमंडल पदाधिकारी के आलावे नालंदा जिला पदाधिकार सह जिला निबंधन पदाधिकारी को भी प्रेषित की गई थी।

      अपने प्रेषित पत्र में राजगीर भूमि सुधार उप समाहर्ता ने साफ लिखा था कि नालंदा जिला पदाधिकारी के आदेश ज्ञापांक 7115/16.11.2017 अधोहस्ताक्षरी से उन्हें राजगीर निबंधन कार्यालय में निबंधन कार्य हेतु प्राधिकृत किया गया था।

      इस दौरान अधोहस्ताक्षरी के समक्ष खेसरा पंजी प्रभारी लिपिक भरत तिवारी, विलेख जांच प्रभारी नवीन रंजन एवं कंप्यूटर ऑपरेटर बैकुंठ के द्वारा एक विलेख पत्र जिसका डीड नंबर5147 दिनांकः21.11.2017 को जमीन के क्रेता कुमार प्रवीरचन्द्र पिता रामचन्द्र प्रसाद साकिन मौजा दक्षिणी चित्रगुप्त नगर, लोहिया नगर, पटना-20 को प्रस्तुत किया गया।

      RAJGIR GOV LAND SCANDLE DCLR LETTER1भूमि निबंधन के बाद दिनांकः 07.01.2018 को राजगीर भूमि उप समाहर्ता को जानकारी मिली कि मौजा-नेकपुर, थाना नंबर-486, खाता नबंर-166, खेसरा नंबर-3759, कुल रकबा- एक एकड़ साढ़े चौबीस डीसमिल गैरमजरुआ ठीकेदार किस्म-जंगल झाड़ है। इस वर्णित तत्थ को छुपा कर सरकारी भूमि के संबंध में निबंधन कर्मियों ने गलत प्रमाण पत्र देकर हस्ताक्षर करवाया गया है।

      राजगीर भूमि सुधार उप समाहर्ता ने आगे लिखा है कि दिनांकः08.01.2018 को राजगीर अवर निबंधन कार्यालय से विक्रय पत्र की प्रति निकाली गई, जिसमें पाया गया कि उस पर निबंधन बाद अंकित किया गया है कि अपर समाहर्ता नालंदा का ज्ञापांक-2833 दिनांकः 26.09.2017 के आलोक में निबंधन किये गये प्लॉट नबंर-3758 को स्वीकृति दी जाती है।

      इस टिप्पणी के नीचे प्रभारी लिपिक के हस्ताक्षर हैं। उसके नीचे निबंधन पदाधिकारी यानि अधोहस्ताक्षरी का हस्ताक्षर नहीं है।

      ज्ञातव्य हो कि उक्त जमीन मौजा-नेकपुर थाना नबंर-486 खेसरा नंबर-3758 की एराजी एक एकड़ साढ़े चौबीस डीसमिल जमीन गैरमजरुआ ठेकेदार किस्म ठेकेदार सरकारी भूमि अंकित है।

      उक्त भूमि के संबंध में नालंदा जिला पदाधिकारी के जमाबंदी वाद संख्या 64/2013 सरकार  वनाम खुर्शीद आलम में दिनांकः24.01.2017 को आदेश पारित किया गया है, जो उप समाहर्ता विधि नालंदा के पत्रांक 105 दिनांकः 27.01.2017 से संसूचित है।RAJGIR GOV LAND SCANDLE 1

      स्पष्ट है कि बिक्री की गई जमीन को राजगीर निबंधन कार्यालय के कर्मी एवं क्रेता के द्वारा गलत तरीके से अंधकार में रखकर जानबूझ कर अक्षम्य कृत्य किया गया है। धोखाधड़ी करते हुये सरकारी जमीन का हस्तातंरण करने हेतु संबंधित डीड को करवाने का अपराधिक षडयंत्र रचा गया है।

      राजगीर भूमि उप समाहर्ता ने आगे लिखा है कि सरकारी जमीन की रक्षा करने की जिम्मेवारी सरकारी पदाधिकारी की है। उनके पास सरकारी जमीन/लोक भूमि की सूची है। स्थलीय सत्यापन की जिम्मेवारी है। इसके बाबजूद संबंधित सरकारी सेवकों द्वारा अपराधिक षडयंत्र रचते हुये बिना अधोहस्ताक्षरी के संज्ञान में दिये एवं बिना सक्षम प्राधिकार के आदेश के सरकारी भूमि की बिक्री करवा विश्वास का हनन किया गया है।RAJGIR GOV LAND SCANDLE 2

      राजगीर भूमि सुधार उप समाहर्ता के उपरोक्त शिकायत पत्र-आवेदन के आलोक में थाना में कोई एफआईआर दर्ज नहीं हो सका है। इस बाबत राजगीर थाना प्रभारी ने साफ तौर पर कहा कि उनके पास कभी  कोई ऐसी  शिकायत  नहीं आई है।

      इधर इस मामले में भूमि सुधार उप समाहर्ता प्रभात कुमार ने बताया कि उन्होंने शिकायत दर्ज करने को लिखा था। जिसे बाद में तकनीकि कारणों से वापस ले लिया गया।

      श्री कुमार कहते हैं कि जिस समय जमीन की रजिस्ट्री की गई, उस समय वे निबंधन कार्यालय के अल्पकालीन प्रभार में थे। बाद में अधिकार क्षेत्र की बात सामने आ गई। इस मामले में वर्तमान भूमि निबंधन प्रभारी ही एफआईआर दर्ज करवा सकते हैं।

      ताजातरीन हाल यह है कि जिला पदाधिकारी द्वारा राजगीर अवर भूमि निबंधन पदाधिकारी को आदेश दिया गया है कि विभागीय स्तर से जांच कर दोषी कर्मचारियों के खिलाफ जांच की जाये। उसमें प्राथमिकी दर्ज करने की कहीं कोई जिक्र नहीं किया गया है।   

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