हिलसा (चन्द्रकांत)। बिहार सरकार द्वारा बिहार में संचालित दो शिक्षा बोर्ड की डिग्री को डाक विभाग अमान्य करार दिया है। ऐसा हम नहीं कह रहे बल्कि डाक विभाग द्वारा बहाली के लिए तैयार किया गया पोर्टल बता रहा है।
एक लंबे अर्से बाद डाक विभाग द्वारा बिहार सर्किल के लिए बहाली निकाला गया। जीडीएस (ग्रामीण डाक सेवक) के 1471 पद के लिए निकाली गई बहाली के लिए योग्यता मैट्रीक रखी गई है।
इसके लिए सामान्य आवेदकों के लिए उम्र सीमा 18 से 40 वर्ष तथा ओबीसी के लिए तीन वर्ष, एससी एवं एसटी के पांच वर्ष एवं विकलांग के 10 वर्ष की छूट दी गई है।
बहाली के लिए प्रकाशित विज्ञापन में स्पष्ट कहा गया कि वैसे शिक्षा बोर्ड से मैट्रीक पास अभ्यर्थी आवेदन कर सकते हैं जिनकी मान्यता क्रमश: राज्य और केन्द्र सरकार से मान्यता प्राप्त हो।
जीडीएस बहाली के लिए डाक विभाग द्वारा अभ्यर्थियों के रजिस्ट्रेशन के लिए तैयार पोर्टल में बिहार सरकार के बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के दशवीं पास उन डिग्रियों की मान्यता दी जो 900, 800, 700 एवं 500 अंको से उत्तीर्ण हुआ है।
इसके अलावा केन्द्र सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त सीबीएसई, आईसीएससी के छह विषय एवं सात विषय के आलवा एनआईओएस (राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी संस्थान) को ही शामिल किया गया।
बिहार में सरकार द्वारा मान्य एवं संचालित संस्कृत शिक्षा बोर्ड तथा बीबीओईसी (बिहार मुक्त विद्यालयी शिक्षण एवं परीक्षा बोर्ड) के लिए कोई जगह ही नहीं दी गई।
मालूम हो कि बिहार में दसवीं शिक्षा के लिए बिहार विद्यालय परीक्ष समिति के अलावा संस्कृत शिक्षा बोर्ड तथा बीबीओईसी (बिहार मुक्त विद्यालयी शिक्षण एवं परीक्षा बोर्ड) संचालित है। बिहार सरकार से उक्त तीनों बोर्ड की न केवल मान्यता प्राप्त बल्कि अधीन संचालित भी है।
बाबजूद इसके जीडीएस की बहाली में बिहार सरकार द्वारा संचालित संस्कृत शिक्षा बोर्ड तथा बीबीओईसी (बिहार मुक्त विद्यालयी शिक्षण एवं परीक्षा बोर्ड) की मान्यता नहीं दी गई है।
डाक विभाग के इस नाकारात्मक निर्णय से वैसे बेरोजगार युवकों को करारा झटका लगा है, जो संस्कृत शिक्षा बोर्ड तथा बीबीओईसी (बिहार मुक्त विद्यालयी शिक्षण एवं परीक्षा बोर्ड) से दशवीं की परीक्षा पास कर उच्च शिक्षा ग्रहण कर रहे है।
ऐसे युवाओं के मन में यह भी शंका पैदा हो सकता है कि अभी तो डाक विभाग ही डिग्री को अमान्य किया है। हो सकता है कि आने वाले दिनों में कोई और विभाग भी डिग्री को अमान्य कर दे।
ऐसी स्थिति में उक्त बोर्ड से डिग्री हासिल कर चुके युवा आंदोलन करे तो कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी। बहरहाल जो भी हो ऐसे गंभीर मुद्दे पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को बढ़-चढ़ कर पहल करनी चाहिए ताकि बिहार के युवाओं के भविष्य बर्बाद न हो पाए।