“इस गोरखधंधे में शामिल लोग धर्मालंबियों को यह बताते हैं कि नालंदा क्षेत्र समेत समूचे बिहार की हालत काफी दयनीय हैं और उनके द्वारा दान किये पैसे गरीबों के भूख मिटाने के लिये इस्तेमाल होता है।”
एक्सपर्ट मीडिया न्यूज। नालंदा जिला का अपना धार्मिक वैभव और सांस्कृतिक इतिहास है। लेकिन उस वैभव और इतिहास के साथ खुला खिलबाड़ हो रहा है।
इस गोरखधंधे से दुनिया भर में बिहार की छवि खराब हो रही है। लेकिन इसकी चिन्ता न तो पुलिस-प्रशासन को है और न ही सरकार को।
यह गोरखधंधा अन्तर्राष्टीय पर्यटन क्षेत्र राजगीर से जुड़ी है। धर्म और संस्कार के नाम पर भयादोहन गृद्धकूट पर्वत पर हो रहा है।
देसी-विदेशी सैलानियों-धर्मालंबियों को इतिहास से इतर दिन भर मोटी रकम वसूलते हुये भगवान बुद्ध की मूर्ति के दर्शन कराये जाते हैं और शाम अंधेरे उसे वहां से हटा कर नीचे बने गुफा-झाड़ियों में छुपा दिये जाते हैं।
फिर अगले दिन फिर वही रोजाना खेला शुरु हो जाता है।
जबकि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने यहां स्पष्ट निर्देश दे रखा है कि उपरोक्त स्थल से किसी भी प्रकार का कोई छेड़छेड़ नहीं किया जाये। फिर भी धंधेबाज लोग हर परवाह को दरकिनार कर धर्म और संस्कृति की बेदी पर लूट मचाये हैं।
जानकार बताते हैं कि इस गोरखंधंधे के जरिये रोज लाखों की वसूली हो रही है और इस वसूली के पीछे एक बड़ा रैकेट काम कर रहा है। स्थानीय स्तर पर पुलिस-प्रशासन की संलिप्तता के वगैर जिसकी कल्पना नहीं की जा सकती।
अमूमन भगवान बुद्ध के समक्ष रखे दान पेटी में ईच्छानुसार गुप्त दान देने की परंपरा देखी गई है, लेकिन यहां गृद्धकूट पर्वत पर काबिज धंधेबाजों की गैंग नकद राशि चढ़ावा चढ़ाने को बाध्य ही नहीं करते, अपितु फूल-मालाओं की कीमत हजार से पांच हजार तय कर रखी है।
ऐसी बात नहीं है कि राजगीर मनोरम वादियों के बीच गृद्धकूट पर्वत पर शांति के महादूत महात्मा बुद्ध के नाम पर हो रहे अधर्म की जानकारी शीर्ष प्रशासन को नहीं है। सबको है।
नालंदा के डीएम और एसपी से लेकर भारतीय पुरातत्व विभाग के रहनुमाओं को भी है, लेकिन किसी स्तर पर इस दिशा में कार्रवाई न होना समझ से परे है।