“दरअसल, लाभुकों को शौचालय निर्माण की प्रक्रिया की सही जानकारी कहीं से भी नहीं दी जा रही है। न पूर्णरुपेन शासन-प्रशासन दे रहा है और न ही वे संस्था या व्यक्ति, जिस पर इस महात्वाकांक्षी योजना को सफल बनाने का दायित्व है। आखिर सरकारी राशि की लूटने वाली तिकड़ी अपनी डैकैती की सुराग कैसे दे दे।”
एक्सपर्ट मीडिया न्यूज (मुकेश भारतीय)। आज समूचे बिहार में खुले में शौच मुक्त अभियान चलाया जा रहा है। लेकिन स्वच्छ भारत मिशन अंतर्गत शौचालय निर्माण के नाम पर लाभुकों के सामने तरह-तरह की समस्याएं आ रही है। कहीं बिना निर्माण के भुगतान हो रहा है तो कहीं शौचालय निर्माण हो जाने के बाबजूद उसका महीनों भुगतान नहीं किया जाता है।
हद तो तब हो जाती है, जब एसडीओ-डीएम लेवल के अधिकारी भी शौचालय निर्माण के भुगतान से जुड़ी समस्याओं का जल्द समाधान कराने में विफल साबित होते हैं। शायद निर्माण कार्य एजेंसी, जिसका कोई वैधानिक औचित्य नहीं है, (लाभुक को ही खुद निर्माण करना है) उन्हीं के स्तर से संचालित हो रहे हैं।
सरकारी आकड़ों के अनुसार समूचे बिहार में सीएम नीतिश कुमार का गृह जिला नालंदा जिला खुले में शौच मुक्त मामले में अव्वल है। यहां के वर्तमान डीएम डॉ. त्यागराजन एसएम को सरकार की ओर से पुरुष्कृत भी किया जा सका है।
लेकिन यहां एक कड़वी सच्चाई यह भी है कि नालंदा में क्रियान्वित ऐसी योजनाओं में आकड़ों का खेल अधिक और जमीनी हकीकत कम है। ओडीएफ योजना में इतनी गड़बड़ियां हैं कि उसका सही आंकलन करना बड़ी टेढ़ी खीर है। सैकड़ों गांव-पंचायत ओडीएफ घोषित है, लेकिन सभी जगह सिर्फ कागजों तक सीमित है।
यहां जब भी कोई मामला-शिकायत उजागर होती है, उस पर कार्रवाई की जगह शार्ष प्रशासन स्तर से दबाने का खेला शुरु हो जाता है। यदि उच्चस्तरीय जांच हो तो समूचे जिले में व्यापक पैमाने पर गड़बड़ियां जायेगी और एक बड़ा घोटाला सामने आयेगा।
एक्सपर्ट मीडिया न्यूज टीम के पास स्वच्छ भारत मिशन अंतर्गत शौचालय निर्माण को लेकर जो पुष्ट जानकारियां मिली है, उसे लाभुक तक पहुंचा परेशानी काफी हद तक कम किया जा सकता है, जलेबी की तरह घुमाने वाले वार्ड, पंचायत, प्रखंड, जिला तक काबिज स्वार्थलालुपों की पहचान संभव है। इससे सरकारी राशि भयानक लूट में शामिल शासन-प्रशासन और बिचौलियों की चांदी कटनी बंद हो जाएगी।
स्वच्छ भारत मिशन अंतर्गत शौचालय निर्माण-भुगतान की प्रक्रिया कोई खास जटिल नहीं है। सभी स्टेप्स ऑनलाइन है। इसके कारण आसानी से भुगतान किया जाना है।
जानिए स्वच्छ भारत मिशन अंतर्गत शौचालय निर्माण एवं इंसेंटिव पेमेंट की प्रक्रियाः
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सर्वप्रथम लाभुक द्वारा शौचालय बनबाया जाता है।
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शौचालय निर्माण के पश्चात लाभुक द्वारा विहित प्रपत्र में आवेदन आवश्यक अनुलग्नक (आधार कार्ड ,बैंक पास बुक की प्रति एवं शौचालय की फ़ोटो) के साथ वार्ड सदस्य से सत्यापित कर प्रखंड कार्यालय में समर्पित किया जाता है।
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संबंधित प्रखंड विकास पदाधिकारी उस आवेदन की जाँच इंदिरा आवास सहायक / विकास मित्र / पंचायत रोजगार सेवक / प्रखंड समन्वयक से करवाते हैं।
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तत्पश्चात आवेदन की ऑनलाइन SBM पोर्टल ( www.sbm.gov.in ) पर कंप्यूटर ऑपरेटर द्वारा की जाती है।
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एंट्री के पश्चात आवेदन जिला समन्वयक के लॉगिन में दिखने लगता है जिसको जिला समन्वयक अपने लॉगिन से एप्रूव करते हैं।
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जिला से एप्रुव होने के पश्चात उसका अप्रूवल राज्य स्तरीय टीम द्वारा ऑनलाइन किया जाता है।
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राज्य से अप्रूवल मिलते हीं वह आवेदन जियो-टैगिंग के लिए उपलब्ध हो जाता है।
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जिला समन्वयक द्वारा जिला स्तर से उस आवेदन का जियो-टैगिंग के लिए यूजर (इंदिरा आवास सहायक / विकास मित्र / स्वच्छता ग्राही आदि) को एलोकेट किया जाता है
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जियो-टैगिंग एलोकेट होते हीं लिस्ट यूजर के मोबाइल में दिखने लगता है।
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यूजर द्वारा टॉयलेट का जियो-टैगिंग कर जीपीएस आधारित फ़ोटो अपलोड किया जाता है।
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जियो टैगिंग किये गए फ़ोटो को जिला स्तर से जिला समन्वयक द्वारा एप्रूव किया जाता है।
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उसके बाद राज्य स्तर से अनुमोदन होता है।
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तत्पश्चात उस लाभुक का आवेदन पेमेंट के लिए योग्य हो पाता है।इन सारी प्रक्रिया में 7-10 दिन का समय लगता है।
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पेमेंट के लिए ISBA पोर्टल पर आवेदन की डिटेल्स एकाउंट संख्या के साथ ऑपरेटर द्वारा एंट्री की जाती है।
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आवेदन बीडीओ के लॉगिन में आता है और बीडीओ अपने डिजिटल सिग्नेचर का इस्तेमाल कर पेमेंट एडवाइस संबंधित लाभुक के खाते में ऑनलाइन भेजते हैं।
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24 या 48 घंटे के भीतर आवेदक के खाता में 12000 रुपये आ जाता है।