पटना (जयप्रकाश नवीन)। महागठबंधन तोड़कर एनडीए में शामिल होने के छह महीने बाद ही सीएम नीतीश कुमार की मुश्किलें एक बार फिर बढ़ने लगी है। एनडीए के साथ छह महीने बाद नीतीश कुमार के लिए बिहार में उपचुनाव समर में एक लिटमिस टेस्ट का सामना करना पड़ रहा है।
बिहार में एक लोकसभा और दो विधानसभा उपचुनाव को लेकर पहले ही एनडीए में घमासान मचा हुआ था ।इसी बीच जदयू के विधायक सरफराज आलम ने जदयू से इस्तीफा देकर एनडीए की मुश्किलें बढ़ा दी है। उधर पूर्व सीएम जीतन राम मांझी भी अपनी मांग को लेकर प्रेशर पाॅलिटिक्स का खेल खेल रहे हैं।
शनिवार को जदयू को एक बड़ा झटका लगा।जब अररिया के पूर्व सांसद तस्लीमुद्दीन के पुत्र और जोकीहाट विधानसभा क्षेत्र से जदयू विधायक ने जदयू से इस्तीफा दे दिया।वे 13 फरवरी को राजद का दामन थामेंगें।
जदयू विधायक सरफराज आलम के द्वारा पहले से ही पार्टी छोड़ने के कयास लगाएँ जा रहें थें।पहले से ही अनुमान था कि मो0 आलम अररिया लोकसभा सीट से अपनी दावेदारी ठोकेंगे।
लेकिन अररिया लोकसभा की सीट पर भाजपा और जदयू के बीच फंसे पेंच के बीच सरफराज ने राजद से ही लोकसभा उपचुनाव लड़ने का मन बना लिया था ।
2014 में अररिया लोकसभा चुनाव में त्रिकोणीय मुकाबले में राजद के मो. तस्लीमुद्दीन ने बड़े अंतर से चुनाव जीता था। उनके निधन के बाद 11 मार्च को यहां उपचुनाव कराया जा रहा है। अररिया लोकसभा चुनाव में दूसरे स्थान पर बीजेपी रही थीं।
अब बिहार की राजनीतिक समीकरण बदलने के बाद बीजेपी अररिया सीट पर दावेदारी कर रही है तो जदयू भी कोई मौका छोड़ना नहीं चाह रहा है।
बीजेपी अररिया से शाहनावाज हुसैन को मैदान में उतारने की सोच रही है। लेकिन यहां जातीय समीकरण उल्टा पड़ रहा है। अगर पिछले चुनाव में बीजेपी और जदयू उम्मीदवार के वोटों को भी जोड़ दें तो दोनों के वोट जीत के अंतर से बहुत कम है। ऐसे में भाजपा के सामने किसी यादव प्रत्याशी को उतारने का भी विकल्प बन सकता है।
इधर जदयू से इस्तीफा देने के बाद अररिया लोकसभा की तस्वीर लगभग साफ हो गई है कि राजद को अब उम्मीदवार खोजने के लिए ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ी। अपने पिता की जगह सहानुभूति लहर में नैया पार करने की महत्वाकांक्षा से ही उन्होंने राजद का दामन थामा है।
जदयू से इस्तीफा देने के बाद उन्होंने कहा कि जदयू से उनकी नाराजगी नहीं है। उन्होंने अपनी माँ के कहने पर पार्टी से इस्तीफा दिया है।
इधर जहानाबाद सीट को लेकर भी सीएम नीतीश कुमार काफी उलझन में दिख रहे हैं। पूर्व सीएम जीतन राम मांझी जहानाबाद विधानसभा उपचुनाव सीट पर अपनी दावेदारी कर रहे हैं। अगर ऐसा नहीं हुआ तो उनकी पार्टी हम अलग चुनाव भी लड़ सकती है। ऐसी संभावना से उन्होंने इंकार नहीं किया है।
पूर्व सीएम ने एक निजी न्यूज चैनल से बातचीत में कहा है कि जहानाबाद सीट पर उनकी दावेदारी बनती है। उन्होंने कहा कि हमें किसी दल से गुरेज नहीं है।जो मेरी शर्त को मानेगा हम उसके साथ है।
लगभग एनडीए से बाहर होने का मन बना चुके पूर्व सीएम जीतन राम मांझी ने कहा कि अगर उनकी शर्त नहीं मानी जाती है तो 8 अप्रैल के बाद उनकी राह अलग हो जाएँगी। आने वाले समय में उनकी पार्टी लोकसभा और विधानसभा का चुनाव अकेली लड़ेगी।
इधर भभुआ विधानसभा सीट पर भी पेंचफंसा दिख रहा है। भभुआ से भाजपा के आनंद भूषण पांडेय के निधन के बाद यह सीट खाली हुई थीं।
यहां बीजेपी दिवंगत विधायक के परिवार के किसी सदस्य को मैदान में उतारने पर विचार कर रही है। जबकि जहानाबाद सीट राजद के कब्जे में थीं। विधायक मुन्द्रिका सिंह यादव के निधन के बाद यह सीट खाली हुई थी।
इधर पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी ने जदयू विधायक सरफराज आलम के इस्तीफे के बाद ट्विटर पर सीएम नीतीश कुमार पर तंज कसते हुए कहा कि आने वाले समय में कई और विधायक जदयू से इस्तीफा दे सकते है। उधर स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने जदयू विधायक के इस्तीफे पर कहा कि जनता सरफराज का इस्तीफा ले लेगी।
फिलहाल बिहार में आने वाले कुछ दिन में राजनीतिक सरगर्मी बढ़ने की संभावना है।बिहार के एक लोकसभा और दो विधानसभा उपचुनाव भी एनडीए के लिए काफी महत्वपूर्ण होंगे ।