“बिहार के हजारों निजी स्कूलों ने गोरखधंधा के तहत वैसे लोगों को भी अप्रशिक्षित शिक्षक के नाम पर अपने स्कूल से ट्रेनिंग दिला दिया, जो स्कूलों में कार्यरत भी नहीं है। निजी स्कूलों ने इस प्रशिक्षण के नाम पर तीस हजार से पचास हजार रूपये तक की मोटी रकम वसूल की…”
पटना (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज ब्यूरो)। बिहार के साथ सबसे बड़ी नियति यह है कि यहां हर क्षेत्र में फर्जीबाडा है। अब राज्य में अप्रशिक्षित शिक्षकों के प्रशिक्षण को लेकर एक बड़ा फर्जीबाडा और गोरखधंधा सामने आया है।
राज्य में राष्ट्रीय मुक्त विधालयी शिक्षा संस्थान यानी एनआईओएस से पिछले साल लगभग दो लाख पचासी हजार शिक्षकों ने प्रशिक्षण के लिए एडमिशन कराया है। जहाँ अप्रशिक्षित शिक्षकों को दो वर्षीय डिप्लोमा इन एलीमेंट्री एजुकेशन का प्रशिक्षण की डिग्री मिलनी है।
वैसे शिक्षक जो इस डिग्री की अहर्ता नहीं रखते हैं। उन्हें 31 मार्च 2019 के बाद किसी भी प्रकार के सरकारी, निजी या अनुदानित प्रारंभिक स्कूलों में कार्यरत शिक्षकों की सेवा समाप्त हो जाएगी।
बिहार में एनआईओएस से दो वर्षीय डिप्लोमा कर रहे दो लाख पचासी हजार शिक्षकों में लगभग दो लाख से ज्यादा निजी स्कूलों के शिक्षक शामिल है।
इस प्रशिक्षण को लेकर एनआईओएस ने मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों को अपने अनट्रेंड शिक्षकों को नामांकन दिलाने के लिए अलग अलग कोड जारी किया था।
इस जारी कोड के बाद भी निजी स्कूलों में शिक्षकों के नामांकन में जमकर फर्जीबाडा देखने को मिल रहा है। निजी स्कूलों ने अपने सगे संबंधियों के अलावा वैसे लोगों को भी अप्रशिक्षित शिक्षक बनाकर कोर्स में नामांकन दिला दिया, जो उनके स्कूल के शिक्षक है ही नहीं। इनकी संख्या लगभग पचास हजार से ज्यादा बताई जा रही है।
निजी स्कूल ऐसे गैर शिक्षकों के लिए अलग उपस्थिति पंजी तैयार कर रखी है। अगर कभी जांच की आंच आई तो वह शिक्षकों के उपस्थिति पंजी दिखा सके।
बताया जाता है कि निजी स्कूलों ने इसका फायदा उठाते हुए अपने स्कूल से ट्रेनिंग के नाम पर तीस हजार से लेकर पचास हजार तक वसूल डाले। शिक्षक ट्रेनिंग डिग्री के नाम पर लोगों ने जमकर पैसे दिए। जबकि स्कूल के शिक्षक से भी दो वर्षीय डिप्लोमा डिग्री के लिए 20 हजार रूपये वसूल किए गए। यही डिप्लोमा डिग्री निजी संस्थानों में दो लाख से ढाई लाख तक वसूल किए जाते है।
इधर इस फर्जीबाडे पर एनआईओएस ने मामले का संज्ञान लेते हुए नामांकन की जांच के आदेश दिए हैं। एनआईओएस का मानना है कि स्कूलों में कार्यरत शिक्षकों का ही नामांकन हो यह सुनिश्चित करना राज्य सरकार का काम है।इसके लिए सरकार की ओर से राज्य व जिला नोडल ऑफिसर भी प्रतिनियुक्त हैं।
इधर एनआईओएस के निदेशक का कहना है कि किसी भी तरह से इस कोर्स में फर्जीबाडा पकड़ा गया तो डिग्री रद्द तो होगी ही स्कूलों का मान्यता रद्द करने की कार्रवाई की जाएगी।
अगर सही तरीके से एनआईओएस निजी स्कूलों में फर्जी शिक्षकों की जांच करें तो बड़ी संख्या में ऐसे फर्जी नामांकित शिक्षकों का भंडाफोड हो सकता है। आज लगभग हर निजी स्कूलों के पास सीसीटीवी कैमरे है, जो उन फर्जी शिक्षकों की पोल खोल सकता है।
जिससे पता चल सकता है कि निजी स्कूलों में कौन शिक्षक नियमित आते हैं और कौन नहीं। फिलहाल एनआईओएस की इस कड़ी कार्रवाई की घोषणा के बाद फर्जी नामांकित शिक्षक परेशान दिख रहे हैं ।