अन्य
    Sunday, December 22, 2024
    अन्य

      पीपरा चौड़ा में धुल रहा “सबका साथ, सबका विकास ” का दंभ

      रांची (मुकेश भारतीय। “सबका साथ, सबका विकास ”…यही है भाजपा का नारा और  पीएम मोदी जी का सपना। लेकिन झारखंड की राजधानी रांची प्रक्षेत्र के पीपरा चौड़ा गांव में ताजा जो हालात हैं, उन सारे नारों और सपनो को तार-तार कर जाती है। यहां भाजपा के सांसद और विधायक हैं। भाजपा की रघुबर सरकार है। उनका प्रशासन है।

      modi raghubar अंत्यत दुर्भाग्य की बात है कि पीड़ितों की अब तक किसी ने कोई सुध नहीं ली है। शायद इसलिये कि जिस समुदाय के बीच अमानवीय दृश्य उत्पन्न है, वे भाजपा के वोटर या समर्थक नहीं हैं ! हांलाकि ऐसी सोच पालने वालों को यह भी देखना चाहिए कि अगर वे उनके वोटर या समर्थक नहीं हैं तो क्या उनके प्रति सरकार और प्रशासन की कोई जबाबदेही नहीं बनती।

      बेहतर होता कि यहां के मुखिया रघुबर दास  इस घटना के प्रति अति संवेदनशील होते और लोगों के बीच यह संदेश देते कि उनकी पार्टी और सरकार वाकई सबका साथ, सबका विकास का सपना देखती है। उस पर अमल भी करती है।

      बकौल रांची से प्रकाशित हिन्दी दैनिक भास्कर, सड़क पर कोई दुर्घटना होती है, तो कई लोग मदद के लिए आगे आ जाते हैं। लेकिन, नेवरी के पीपर चौड़ा में आगजनी और हिंसा की घटना के पांच दिनों बाद भी पीड़ित परिवारों की मदद के लिए कोई नहीं आया। जिला प्रशासन व जन प्रतिनिधियों ने भी इनकी सुध नहीं ली। सामाजिक संस्थाएं भी मौन हैं।

      उल्लेखनीय है कि  जमीन कारोबारी की हत्या के बाद उपद्रवियों ने अधिकतर घरों में आग लगा दी थी। कुछ घरों में जमकर लूट-पाट व तोड़-फोड़ भी की। इन 23 परिवारों की स्थिति ऐसी है कि इनके पास न तो पहने को कपड़ा है, न खाने को अनाज। सिर पर छत तक नहीं। बच्चों व महिलाओं को सुरक्षित रखने के लिए लोग सही सलामत बचे घरों में शरण लिए हुए हैं।

      नसीम अंसारी की हत्या का नया राज़ः पीपर चौड़ा के ग्रामीणों ने बताया कि सज्जू खान और घटना में मारे गए नसीम अंसारी मिलकर जमीन का कारोबार करते थे। सज्जू ने हाल ही में पीपर चौड़ा रिंग रोड के सामने पांच डिसमिल जमीन का प्लाॅट नसीम से खरीदा था। उस जमीन में उसने एक कमरा भी बनाया था। लेकिन छह माह पहले उसने यह प्लॉट नसीम को 3.50 लाख में बेच दिया। नसीम ने सज्जू खान को 50 हजार रुपए दिए थे। बाकी तीन लाख रुपए सज्जू मांग रहा था।

      ग्रामीणों ने बताया कि सज्जू पीपर चौड़ा में भाड़े के कमरे में रहता था। वह पहले मुर्गा बेचता था। बाद में जमीन के कारोबार में जुड़ गया। घटना से 20 दिन पहले सज्जू ने भाड़े के कमरे को खाली कर दिया था। घटना के दिन भी नसीम और रजब सज्जू के घर वाले प्लॉट पर ही बैठे हुए थे।

      मस्जिद के जकात के पैसे से अनाज जुटाने की तैयारीः पीपर चौड़ा बस्ती में 17 ऐसे गरीब परिवार हैं, जिनके घर का सारा सामान आगजनी में जल गया। बिस्तर व आटा-चावल तक नहीं बचा। जब कहीं से मदद नहीं मिली, तो शुक्रवार को मस्जिद में जमा जकात के पैसे से इनकी मदद करने का फैसला लिया गया। मिराज अंसारी के घर में आठ सदस्य हैं। इन्हें 10 दिन के भोजन के लिए 20 किलो चावल व 10 किलो आटा के साथ सोने के लिए बिस्तर चाहिए।

       इसी तरह आलमी कुरैशी को 20 किलो चावल, 10 किलो आटा और दो बिस्तर, मो. रिजवान को 10 किलो चावल, पांच किलो आटा व दो बिस्तर, मो. अब्बास, मो. हुसैन, मो. शमीम, मो. असगर, मो. इरशाद, मो. नेजाम, सज्जाद, आजाद, मो. शाहिद, कलीम खां, मेराज कुरैशी, इस्लाम खां, हाजी सज्जाद खां और मो. शमीमुद्दीन को भी परिवार को जिंदा रखने के लिए इन चीजों की जरूरत है।

      रशीदा नहीं होती तो लुट जाती 30 महिलाओं की इज्जतः घटना के पांच दिनों बाद महिलाएं घरों से बाहर निकलीं। उन्होंने जान और इज्जत बचाने के लिए बस्ती की रशीदा खातून का शुक्रिया अदा किया।  महिलाओं ने बताया कि रशीदा नहीं होतीं, तो उपद्रवी उन्हें कहीं का नहीं छोड़ते। रशीदा ने महिलाओं को अपने घर में शरण दी। उपद्रवी वहां पहुंचे और उन्हें निकालने लगे। इस पर रशीदा उनसे भिड़ गईं।

      नहीं बचे रोजगार के साधनः  पीपर चौड़ा में रहने वाले इंजीनियर राशिद अहमद के घर में कुछ भी नहीं बचा है। वे कहते हैं कि एक व्यक्ति हत्या की। उसकी वजह से 23 घरों के 100 से ज्यादा लोगों की हत्या उनके घर उजाड़कर कर दी गई। उपद्रवियों ने कइयों के रोजी रोजगार के साधन भी जला डाले।

      पीडि़तों का मदद लेने से इंकारः  पीड़ितों की मदद के लिए एक कमेटी बनी है। नाम है इस्लाहुल कमेटी। उसके सदर मुश्ताक जब पीपर चौड़ा आए तो वहां के लोगों ने उनका स्वागत हाथ जोड़ कर किया। लेकिन, कहा कि जिसने दुख दिया है, हम उसी के हाथों मरहम नहीं ले सकते। यह कहकर मदद लेने से इंकार कर दिया।

      संबंधित खबर

      error: Content is protected !!