एक्सपर्ट मीडिया न्यूज। सरायकेला जिले के राजनगर थाना का चर्चित मुखिया- पत्रकार प्रकरण की उच्चस्तरीय जांच शुरू कर दी गई है। वैसे यह जांच सीएम कार्यालय से जारी आदेश के बाद शुरू किया गया है।
हालांकि जांच के पहले दिन ही जांच अधिकारी एसपी चंदन कुमार सिन्हा को ग्रामीणों की नाराजगी झेलनी पड़ी। और जांच करने पहुंचे एसपी ने ग्रामीणों को मनाते हुए उन्हें सोमवार को जिला मुख्यालय बुलाया है।
क्यों हुए ग्रामीण नाराजः जैसे ही आज जांच टीम बनकाटी गांव पहुंची तो सभी ग्रामीण घबरा गए। इधर जांच टीम द्वारा मुखिया सावित्री मु्र्मू के पति, मारपीट में शामिल मुखिया प्रतिनिधि मेमलता महतो, उनके पति नरेमाम महतो, नीलकंठ महतो, भक्तू महतो, सुरेश महतो (ये सभी मुखिया के समर्थक है) से पूछ- ताछ किया और रिपोर्ट बनाने लगे।
इसके बाद ग्रामीणों ने इस जांच का विरोध किया और कहा कि पीड़ित पक्ष के किसी भी सदस्यों से पूछ-ताछ क्यों नहीं की गीई। इसपर एसपी ने सभी ग्रामीणों को सोमवार को जिला मुख्यालय तलब किया है।
क्या है पूरा मामलाः पिछले दिनों राजगर थाना क्षेत्र के बनकाटी गांव में 14 वें वित्त आयोग से निर्मित सड़क का ग्रामीण विरोध कर रहे थे, जिसका कवरेज करने इसी गांव का पत्रकार वीरेंद्र मंडल पहुंचा, लेकिन मुखिया और उनके समर्थकों ने वीरेंद्र मंडल को विज्युअल लेने से मना कर दिया।
जबकि वीरेंद्र पूरे प्रकरण को कैमरे में कैद करता रहा। इधर मुखिया और उनके समर्थ वीरेंद्र के इस वर्ताव से आक्रोशित हो गईं और वीरेंद्र के पिता से उलझ पड़ीं। वहीं अपने पिता को पिटता देश वीरेंद्र मंडल ने कैमरा चालू हालात में ही रखते हुए अपने पिता को बचाने पहुंच गया।
इधर मुखिया प्रतिनिधि और उनके पति नरेराम महतो ने पत्रकार के पिता की लाठी- डंडे से पिटाई शुरू कर दी। किसी तरह से वीरेंद्र अपने पिता को बचाते हुए वहां से निकल गया और तत्काल राजनगर थाने में मुखिया और उनके समर्थकों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई और फिर अपने काम पर निकल गया।
यहां यह भी बताना जारूरी है कि वीरेंद्र ने काफी हल्के ढंग से केवल राजगर थाना को घटनाक्रम की जानकारी दी थी, उसका उद्देश्य कतई यह नहीं था कि किसी के खिलाफ केस करना है।
उसके बाद वीरेंद्र मंडल सीधे जिला मुख्यालय पहुंचा, जहां जिले के एसपी से मिलना चाहा, लेकिन एसपी ने करीब तीन घंटे की क्राईम मीटींग ली और फिर निकल पड़े तीन दिनों की छुट्टी पर। उन्होंने वीरेंद्र की फरियाद तक नहीं सुनी।
इधऱ इस बीच राजनगर थाने में मुखिया द्वारा एसएसी/एसटी एक्ट के तहत मामला दर्ज करा दिया गया। वहीं घटना के अगले दिन पड़ोसी जिला जमशेदपुर और सरायकेला कुछ पत्रकारों ने एसडीपीओ अविनाश कुमार से मिलकर मामले की निष्पक्ष जांच करने की मांग की।
साथ ही जिले के उपायुक्त से भी मामले में निष्पक्ष जांच किए जाने की बातें कहीं। सभी ने भरोसा दिलाया कि मामले में निष्पक्ष जांच की जाएगी। लेकिन एसडीपीओ अविनाश कुमार ने अपनी जांच रिपोर्ट में मुखिया के आरोपों को सही ठहराया और केस को ट्रू बता कार्रवाई करने का निर्दश जारी कर दिया।
इधर मामले की फरियाद लेकर पत्रकार वीरेंद्र मंडल की मां जपला मंडल सीएम आवास पहुंची और पूरे मामले से सीएम सचिवालय को अवगत कराया। सीएम सचिवालय ने तत्काल कोल्हान रेंज के डीआईडी को जांच का जिम्मा सौंपा।
जिसके बाद आज जिले के एसपी, एसडीपीओ विवादित शादी करानेवाले राजनगर थाना प्रभारी यज्ञ नारायण तिवारी समेत कई पुलिस पदाधिकारी बवकाटी गांव पुहुंचे और अपने मंसूबों में कामयाब होते इससे पहले ही ग्रामीणों ने विरोध कर दिया।
यज्ञ नारायण तिवारी का जांच टीम के साथ पहुंचना चर्चा का विषय रहाः इधर राजनगर थाने में नाबालिग छात्रा की शादी कराए जाने के मामले मे लाई क्लोज किए गए राजनगर थाना प्रभारी का जांच टीम का हिस्सा होना फिर से जांच के दशा और दिशा को बदलने का काम कर सकता है। वैसे इस टीम के साथ इनका यहां पहुंचना भी चर्चा का केंद्र माना जा रहा है।
क्यों इतनी नफरत करती है सरायकेला पुलिस पत्रकार वीरेंद्र मंडल सेः पिछले साल राजनगर ब्लॉक परिसर के प्रज्ञा केंद्र में लूट की घटना हुई थी, जिसमें जिले के पुलिस अधीक्षक चंदन कुमार सिन्हा द्वारा थाना प्रभारी पर मामले का खुलासा करने का दबाव बनाया गया।
इधर तत्कालीन डीएसपी हेडक्वार्टर दीपक कुमार ने शक के आधार पर वीरेंद्र मंडल को उठाने का आदेश जारी किया। राजनगर के तत्कालीन थाना प्रभारी विजय प्रकाश सिन्हा ने वैसा ही किया और फिर शुरू हुआ पुलिसिया आतंक औऱ राजनगर थाना पुलिस ने वीरेंद्र मंडल के साथ वो क्रूरती की, जिसका शब्दों में बयां करना मुश्किल प्रतीत होता है।
इसका प्रमाण उस दरम्यान प्रकाशित अखबार औऱ टीवी चैनलों के माध्यम से दिया जा सकता है। वैसे बतौर वीरेंद्र राजनगर थाना प्रभारी विजय प्रकाश सिन्हा और डीएसपी दीपक कुमार ने उसे चार दिनों तक अलग- अलग स्थानों पर ले जाकर थर्ड डिग्री से भी खतरनाक प्रताड़ना दिया।
इतने पर भी जब उसने मामले में अपनी संलिप्तता स्वीकार नहीं की तब इन जल्लाद अधिकारियों ने वीरेंद्र के घावों पर नमक और मिर्च रगड़ा, और गुप्तांगों में भी मिर्च पावडर रगड़ा। फिर भी वह नहीं टूटा।
इधऱ मीडिया का दबाव बढ़ता देख राजनगर थाना पुलिस उसे घायल अवस्था में उसके घर के बाहर फेंक दिया। वहीं स्थानीय ग्रामीणों ने वीरेंद्र को जमशेदपुर का एसजीएम अस्पताल पहुंचा। जहां लगभग दस दिनों तक उसकी ईलाज हुई।
इधर मीडिया में किरकिसी होने के बाद राजनगर थाना प्रभारी निलंबित कर दिए गए। वैसे वर्तमान में उनका पदस्थापन एसपी कोठी में है। वीरेंद्र ने अस्पताल से छुट्टी के बाद सभी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ केस कर दिया।
मानवाधिकार आयोग से लेकर सीएम जनसंवाद तक अपनी पीड़ा दर्ज कराई। औऱ मानवाधिकार आयोग ने मामले को काफी गंभीरता से लिया भी है, जल्द ही इस मामले में बड़ा फैसला आने की संभावना है।
इधऱ जिला पुलिस अपनी गर्दन फंसता देख वीरेंद्र को ऐसे संगीन धाराओं के तहत फंसाने के लिए इतना बड़ा षडयंत्र रचने का काम किया है, इससे इंकार नहीं किया जा सकता।
वैसे एक्सपर्ट मीडिया पूरे घटनाक्रम की पड़ताल करने के बाद ही खबरों को प्रकाशित करती है। इस पूरे घटनाक्रम के पीछे क्षेत्र का मास्टरमाईंड एक कथित न्यूज चैनल रिपोर्टर एवं उसकी टीम की भी संलिप्तता इस मामले में सामने आ रही है, जिसका खुलासा भी एक्सपर्ट मीडिया जल्द ही करने जा रही है।
यहां हम अपने पाठकों को बताना चाहेंगे कि इस पूरे घटनाक्रम की वीडियो क्लिप और फोटो शॉट हमारे वेबसाईट्स पर उपलब्ध हैं।