राजगीर (नीरज)। इंटरनेशनल बुद्धिस्ट कॉन्क्लेव में शामिल होने आए 29 देशों के करीब 200 बौद्ध धर्मावलंबियों का दल शनिवार को नालंदा पहुंचे।
इस दल में जापान, ऑस्ट्रेलिया, यूके, मलेशिया, मंगोलिया, कोरिया, साउथ कोरिया, लाओस, म्यांमार, फ्रांस, श्रीलंका, वर्मा, थाईलैंड, कंबोडिया, विएतनाम, सिंगापुर, इंडोनेशिया, बांग्लादेश आदि देशों के प्रतिनिधि के साथ इंडोनेशिया की पर्यटन उप मंत्री निय निस्काया और श्रीलंका के पर्यटन एवं विकास राज्य मंत्री रंजीथ अलूविहारी शामिल थे। इनके अलावे चोटी के कई बौद्ध भिक्षु, बौद्ध विद्वान, राजदूत, टूर-ट्रेवेल्स के आर्गेनाइजर एवं अन्य भी थे
पर्यटन विभाग के प्रधान सचिव रवि मनु भाई परमार के अनुसार इस दल के साथ पर्यटन मंत्रालय के डायरेक्टर जनरल सत्यजीत राजन सहित 30 पदाधिकारी साथ चल रहे हैं।
उन्होंने बताया कि दो चार्टर्ड प्लेन से बुद्धिस्ट कॉन्क्लेव के यह सभी प्रतिनिधि बोधगया आए थे। वहां से वॉल्वो बस से नालंदा पहुंचे।
पर्यटन मंत्री प्रमोद कुमार, ग्रामीण विकास एवं संसदीय कार्य मंत्री श्रवण कुमार, विधायक रवि ज्योति कुमार और चंद्रसेन प्रसाद ने पुष्प गुच्छ देकर श्रीलंका के मंत्री एवं अन्य का स्वागत किया।
प्रधान सचिव ने बताया कि यह प्रतिनिधिमंडल आज ही बोधगया लौट जाएगा। वहां शनिवार की शाम और रविवार की सुबह महाबोधि मंदिर और महाबोधि वृक्ष के पास डेलिगेट्स द्वारा मेडिटेशन किया जायेगा। बोधगया में सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया है।
रविवार की सुबह यह प्रतिनिधिमंडल वाराणसी के लिए प्रस्थान करेंगे। बुद्धिस्ट कॉन्क्लेव के डेलीगेट्स बौद्ध धर्मावलंबियों ने नालंदा के विश्व धरोहर प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के भग्नावशेष को निकट से देखा, समझा और इसके गौरवशाली अतीत और इतिहास को जानकर बहुत खुश हुए।
श्रीलंका के पर्यटन विकास मंत्री ने कहा भगवान बुद्ध की ज्ञान भूमि बोधगया, कर्म भूमि राजगीर और में बहुत शांति मिलती है। यह दुनिया का सर्वश्रेष्ठ ज्ञान का केन्द्र रहा है । नालंदा विश्वविद्यालय के गौरवशाली इतिहास को जानकर वे बहुत प्रसन्न थे।
यहां के पर्यटक मार्गदर्शक से इन बौद्ध विद्वानों ने प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के गौरवशाली इतिहास और शैक्षणिक परंपरा की जानकारी हासिल की। प्रतिनिधिमंडल के सदस्य नालंदा के विरासत को देख कर बेहद प्रसन्न दिखे।
यह जानकर कईयों को घोर आश्चर्य हुआ कि जब यूरोप के देशों में सभ्यता के विकास नहीं हुए थे। तब नालंदा के इस शिखर पूंज से ज्ञान की गंगा बहती थी।
इस अवसर पर मंत्रियों, विधायकों के अलावे पर्यटन मंत्रालय के महानिदेशक सत्यजीत राजन, पर्यटन विभाग के प्रधान सचिव रवि मनु भाई परमार, पर्यटन निदेशक उदय कुमार सिंह, डीएम त्याग राजन एस एम समेत पर्यटन मंत्रालय और पर्यटन विभाग के दर्जनों अधिकारी मौजूद थे।