एक्सपर्ट मीडिया न्यूज। नालंदा जिला में शहरी विकास अभिकरण विभाग (डूडा) के कारनामे जान कर आप दंग रह जायेगें। यहां बिना आवंटन के निविदा निकाल दिये जाते हैं लेकिन उन्हें खोली नहीं जाती है। संवेदकों की गाढ़ी कमाई फंसी रहती है और विभागीय लोग तरह तरह के बहाने बना कर संवेदकों को बरगलाते रहते हैं। बिना आबंटन के निविदा निकालना किस भ्रष्टाचार का प्रयाय है, यह एक बड़ा जांच का विषय है।
प्राप्त सूचना के अनुसार नालंदा जिला में शहरी विकास अभिकरण विभाग द्वारा दो माह पहले निविदा निकाली गई लेकिन अभी तक उसे खोला नहीं गया है। इस निविदा प्रक्रिया में करीब 500 संवेदकों ने निर्धारित अग्र शुल्क व प्रक्रिया के तहत भाग लिया है।
इस प्रक्रिया में एक संवेदक को 9 हजार रुपये अग्रधन की राशि, टेंडर प्रेस्यूड 1250 रुपये, 500 रुपये डाउनलोडिंग चार्ज के आलावे 1100 रुपये खर्च वहन करना पड़ता है।
यह एक योजना की राशि है। जबकि यहां 15 योजना की निविदा निकाली गई थी।
कई संवेदकों ने उनमे कई योजनाओ की निविदा भरी थी। लेकिन 2 माह से अधिक हो जाने के बाबजूद अभी तक निविदा नहीं खोली गई है।
संवेदकों को नालंदा जिला में शहरी विकास अभिकरण विभाग के कार्यपालक अभियंता ने बताया कि आवंटन आने के बाद निविदा खोली जायेगी। जिससे सारे संवेदक हतप्रद हैं कि बिना आवटन के निविदा कैसे निकाली गई। उनसे अग्रधन समेत विभिन्न मदों की राशि कैसे ले ली गई।
बता दें कि डूडा द्वारा स्वच्छ भारत निर्माण की मुहिम में नालंदा जिले के विभिन्न क्षेत्रों के प्रमुख स्थानों पर शौचालय निर्माण होनी है। लेकिन बिना आवंटन के टेंडर निकाल संवेदकों से प्रक्रिया राशि जमा करवा 2 माह से टरकाये जाना समझ से परे है।