एक्सपर्ट मीडिया न्यूज। नालंदा पुलिस-प्रशासन सिर्फ दावा करती है। साफ मंशा की ढिंढोरे पीटती है, लेकिन उसके दावे-ढिंढोरे की पोल एक बार फिर खुल गई है।
-: मुकेश भारतीय :-
डीएम डॉ. त्यागराजन एसएम और एसपी सुधीर कुमार पोरिका ने सावन माह में बकरीद जैसे संवेदनशील पर्व-त्योहारों को लेकर सोशल मीडिया को लेकर कड़े आदेश-निर्देश जारी किये थे और सख्त चेतावनी दी थी।
इस दौरान ऐन बकरीद की रात जदयू हरनौत असेंबली नामक व्हाटस्एप ग्रुप पर सीताराम नामक एक पुलिसकर्मी ने दो वेहद आपत्तिजनक वीडियो पोस्ट कर दिया।
ऐसे ही वीडियो रांची के बड़गाई क्षेत्र में वायरल किया गया था, जिससे दो समुदाय के बीच हिंसा भड़क उठी। जिसे पुलिस ने त्वरित पड़ताल करते हुये वीडियो वायरल करने वाले को दबोच लिया। तब जाकर मामला शांत हुआ।
लेकिन नालंदा पुलिस की कार्यशैली अलग है। वह सब कुछ जानकर भी अनजान रहती है। या फिर अनजान होकर भी अपने तीसरी ज्ञानचक्षु से सब कुछ जान जाती है। खासकर सत्तारुढ़ राजनीतिक दल संरक्षित लोग की बात आती है तो उनके ‘जेंडर’ चेंज हो जाते हैं।
जदयू हरनौत असेंबली ग्रुप पर आपत्तिजनक वीडियो वायरल करने वाले सीताराम की जानकारी पुलिस को है, लेकिन वह क्यों कार्रवाई नहीं कर रही है, इसकी भी साफ वजहें खुलकर सामने आई है।
सीताराम दरअसल सीताराम पासवान है और वह नालंदा जिले के मानसिंगपुर गांव का रहने वाला है। उसके छोटे भाई की पत्नी पार्वती देवी नगरनौसा क्षेत्र से सत्तारुढ़ जदयू समर्थित जिला परिषद सदस्य है।
इसके आलावे सीताराम पासवान हरनौत विधान सभा विधायक-पूर्व मंत्री हरिनारायण सिंह का करीब दो साल वर्ष पहले तक अंगरक्षक रहा है और वर्तमान में पटना विशेष सुरक्षा विभाग में पदास्थापित बताया जाता है।
यहां बता दें कि विधायक का गांव महमदपुर और पुलिसकर्मी का गांव मानसिंगपुर दोनों बिल्कुल सटे अवस्थित है। पुलिसकर्मी के भौजाई को जिला परिषद सदस्य बनाने में विधायक की भूमिका काफी चर्चित रही है।
जाहिर है कि ऐसे असमाजिक तत्व, जो पुलिस-सत्तागत राजनीति में पैठ रखती हो- उसके खिलाफ कार्रवाई करना फिलहाल पुलिस प्रशासन के बूते के बाहर की बात नजर आ रही है।