अन्य
    Sunday, December 22, 2024
    अन्य

      जज मानवेंद्र मिश्रा का विश्लेषणः उपेक्षित है राष्ट्रीय धरोहर ‘मनियार मठ’

      मनियार मठ परिसर में विविध राजकुलों की छाप दिखाई देती है। कला शैली की दृष्टि से देखें तो यह मूर्तियां गुप्त काल की प्रतीत होती हैं। बेलनाकार इस मंदिर में  मगध के राजा जरासंध पूजा किया करते थे”

      maniyar math manvendra mishra 4

      नालंदा । राजगीर मलमास मेला 2018 के विशेष न्यायिक दंडाधिकारी श्री मानवेंद्र मिश्र ने मनियार मठ का भ्रमण का संक्षिप्त विश्लेषण करते हुये बताया कि मनियार मठ, जिसे भारत सरकार ने राष्ट्रीय महत्व का दर्जा दे रखा है तथा वर्तमान में इसके देखभाल तथा सरंक्षण की जिम्मेवारी भारतीय पुरातत्व विभाग के अधीन है, यह एक महाभारत कालीन मंदिर है।maniyar math manvendra mishra 3

      राजगृह के देवता मनी नाग अर्थात इच्छाधारी नाग को समर्पित है। वैदिक सभ्यता में सर्प पूजन का बहुत महत्व था। आज भी नाग पंचमी पर्व सर्प को ही समर्पित है।

      यह मंदिर अष्टकोणीय मंदिर है। इसकी दीवारें गोलाकार हैं। दीवारों पर हिंदू देवी देवता शिव विष्णु एवं गणेश के नाग लपेटा नक्काशी की गई है।

      कुछ प्रतिमा भी स्थापित थी। जिन्हें हटाकर नालंदा संग्रहालय में रख दी गई है। मनियार मठ की खुदाई में ऐसे बहुत से पात्र निकले हैं, जिनमें सांप के फन की आकृति के कई नलके बने हैं।

      शायद इन पात्रों से सांप और भगवान को दूध चढ़ाया जाता था। यहां 3 बड़े बड़े कुंड भी मौजूद है,जिनमें खुदाई के दौरान जानवरों के कंकाल एवं दूसरे गड्ढे में हवन सामग्री इत्यादि मिले। 

      maniyar math manvendra mishra 2

      इससे यह पता चलता है कि यहां देवताओं को प्रसन्न करने के लिए बलि भी दी जाती थी तथा यज्ञ अनुष्ठान नियमित रूप से होता था।

      सन 1861 में  इस मठ के पास की खुदाई से अलग-अलग मूर्तियां मिली। जिसमें एक मूर्ति पलंग पर लेटी हुई माया की थी। जिसके ऊपर की ओर बुद्ध चित्रित है।

      दूसरी मूर्ति पार्श्वनाथ की खरी मुद्रा में एक साथ फन वाले सांप के साथ थे। जैन इतिहास में इसे रानी चेलना और शालिभद्र का निर्माण कूप कहा गया है। पाली ग्रंथों में इसे मणिमाला क्षेत्र कहा गया है।

      maniyar math manvendra mishra 1

      स्थानीय निवासी से बात करने पर पता चला कि इच्छाधारी नाग का यह मंदिर है। पूर्व में लोग अच्छी वर्षा के लिए नागों की पूजा करते थे। वर्तमान में यह मंदिर पुरातत्व विभाग के अंदर सरंक्षित है।

      1934 के भूकम्प ने इसे क्षति पहुंचाई है। यह मन्दिर महाभारत कालीन बौद्ध, जैन, धर्म के बहुत वैभव शाली अतीत को अपने गर्भ गृह में समेटे हुये है। पुरातत्व विभाग ने इस ऐतिहासिक धरोहर की अभी पूर्ण खुदाई नही की है।

      इस मंदिर के निकट में ही बिहार सरकार ने जयप्रकाश उद्यान विकसित की है, जो काफी सुंदर और रमणीय है। इस मंदिर के समीप ही बिम्बिसार का जेल है।

      जरासन्ध का स्वर्ण भंडार एवं जरासन्ध का अखाड़ा, मृग विहार इत्यादि है। वर्तमान राजगीर मुख्य शहर से 3 किलोमीटर की दूरी पर यह मठ है।

      संबंधित खबर

      error: Content is protected !!