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    Friday, November 22, 2024
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      ‘जंगलराज नहीं, ई तो जल्लाद राज है सुशासन बाबू’

      बुरा मत मानिएगा सुशासन बाबू। जब आप की सरकार बनी थी, जनता में अमन चैन और शांति था। लोग खुलेआम सड़कों पर चलते थे। अपराधी दुबक गए थे। यहां तक कि वे राज्य छोड़ कर दूसरे राज्यों का शरण ले लिया था।

      लेकिन आज आपकी नालंदा भी सुरक्षित महसूस नहीं कर रहा। अपराध की आग में यह रोज जल रहा है नालंदा। क्या गुजर रही होगी उस इकलौते पुत्र की मां पर, जिसके कलेजे के टुकड़े को अपराधियों ने मौत के घाट उतार दिया।  

      वह बैंक मैनेजर जयवर्धन तो हंसता हुआ मोटरसाइकिल से सवार होकर अपनी ड्यूटी गया था। लेकिन देर शाम अपना घर वापस नहीं लौटा। पुलिस ने शुरुआती तौर पर उसकी जीरो एफआईआर दर्ज नहीं की।

      तीन जिलों की पुलिस एक दूसरे पर फेंकाफेंकी करते रहे। एक जिले के एसपी ने तो जयवर्धन के परिजन को यहां तक कह डाला था कि ‘परिजन को कैसे मालूम कि अपहरण हो सकता है। पूरा मामला ही संदिग्द है।’

      काश! नवादा, नालंदा और शेखपुरा पुलिस त्वरित कार्रवाई करती तो शायद जयवर्धन जिंदा होते। कितनी अजीब बात है सुशासन बाबू कि कोडरमा डैम में जहां जयवर्धन की सड़ी-गली लाश मिलती है, वहीं पुलिस के हत्थे अपहरणकर्ता-हत्यारे भी चढ़ जाते हैं!

      आप सीएम के साथ होम मिनिस्टर भी हैं। आपकी नियत पर सवाल नहीं उठाये जा सकते लेकिन, आपकी नीति जरुर फेल नजर आ रही है। उसी फेल्यूर का नतीजा है डैम में तैरती जयवर्धन की लाश और हवाबाजी में माहिर आपकी पुलिस-तंत्र का विद्रूप चेहरा।

      पूरा सूबा तो दूर, क्या आप अपने नालंदा की धरती पर वह पुराना चिंघाड़ मार सकते हैं कि घर वापस कभी भी लौटिये, कहीं कोई खौफ नहीं है?

      हो सकता है कि अभी भी आपको भ्रम हो। लेकिन लोग अब भ्रम में नहीं हैं। आपका पूरा सिस्टम निकम्मा नजर आ रहा है। हर तरह के अपराध हो रहे हैं। पुलिस-प्रशासन पर आपका ही कहीं कोई पकड़ नहीं दिखता।

      दारु-बालू ने जहां आपकी पुलिस को मस्त कर दिया है, वहीं आपकी निश्चई योजनाओं की बेतूकी होड़ में समूचा प्रशासन पस्त और आम आदमी अपनी भाग्य भरोसे….

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