“नालंदा एसपी सुधीर कुमार पोरिका के अनुसार परिजन के बयान पर प्राथमिकी दर्ज कर ली गयी है। आरोपित चौकीदार व उसकी पत्नी को गिरफ्तार कर लिया गया है। मामले की जांच कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जायेगी।”
नालंदा (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। नालंदा जिले के एकंगरसराय थाना क्षेत्र के पसंघी गांव में चौकीदार द्वारा अपने भाई के साथ मारपीट करने के बाद उसे जहर खिलाकर मार डालने करने का मामला प्रकाश में आया है। चौकीदार व उसके परिजन द्वारा घटना को अंजाम दिये गये इस घटना के पीछ संपति लालच बताया जाता है।
मृतक 45 वर्षीय विनय प्रसाद मेहनत मजदूरी कर अपने परिवार का पेट पालता था। उनके परिजन ने आरोप लगाया कि चार दिन पहले ही आरोपित चौकीदार चंद्रिका प्रसाद ने पूरे परिवार को मारपीट कर घर से बाहर निकाल दिया था।
दर-दर भटक रहे परिवार ने कई बार पुलिस से इंसाफ की गुहार लगायी, परंतु कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसका नतीजा हुआ कि आरोपित ने गुरुवार की सुबह जहर खिलाकर विनय की जान ले ली।
मृतक की पत्नी उषा देवी ने बताया दोनों भाइयों में संपत्ति विवाद काफी दिनों से चल रहा है। चार दिन पहले मारपीट कर उनके पति व दो बच्चों के साथ उन्हें घर से बाहर निकाल दिया।
गांव की गलियों में रहकर पूरा परिवार किसी तरह गुजारा कर रहे थे। लोग कुछ खाने को दे देते हैं तो खा लेते हैं। उनके पति रोज थाना जाकर अपना दुखड़ा सुनाते थे, लेकिन पुलिस ने एक न सुनी। इधर आरोपित उनलोगों पर गांव से भाग जाने का दबाव बना रहा था।
मृतक के 12 वर्षीय पुत्र राहुल ने बताया कि बुधवार की रात उसे पकड़कर एक कमरे में बंद कर दिया। रातभर उसे कमरे में बंद रखा गया। उसके साथ मारपीट की गयी। गुरुवार की सुबह में उनके पिता को जबर्दस्ती जहर खिला दिया गया।
विरोध करने पर मां को लाठी-डंडे से पीटा। जहर खिलाने के बाद सभी आरोपित भाग निकले। मारपीट में मृतक की पत्नी को गंभीर चोट लगी है। मृतक के सिर पर भी मारपीट के निशान हैं। ऐसा लगता है कि जहर खिलाने के पहले उसे पीटा गया ।
परिजन का कहना था कि जहर खिलाने के बाद विनय उसी हालत में थाने पहुंच गया। वहां चौकीदार ने एक पुलिस वाले से उसे छह हजार रुपये दिलवाये ताकि वह इलाज कर सके। थाना के बाहर निकलते ही उसकी मौत हो गयी।
इसके बाद जहानाबाद के काको निवासी मृतक के ससुराल के परिजन पहुंचे और हंगामा करने लगे। बाद में पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए सदर अस्पताल भिजवाया।
ग्रामीणों की माने तो यह विवाद पुराना था। गांव वालों ने इसे सुलझाने के लिए कई बार पंचायती कराने की कोशिश की। पर चौकीदार पंचायत की बात मानने को तैयार नहीं था।
पंचायती करने के लिए गये लोगों को गाली-गलौज कर भगा देता था। वह खुद को चौकीदार नहीं बल्कि दारोगा कहता था।