” हाल के महीनों में उनके लगभग एक दर्जन फेसबुक पोस्ट ऐसे हैं, जो राजसत्ता को यूं ही असहज करने वाले हैं। हालांकि उन्हें इसके बदले में कड़े कमेंट भी झेलने पड़ रहे हैं। लेकिन आम तौर पर उनकी स्पष्टता को सराहना भी देखने को मिल रही है।”
रांची (न्यूज डेस्क)। वेशक खुद सरकार में रहकर व्यवस्था को कोसना आसान नहीं है, लेकिन झारखंड सरकार के संसदीय कार्य व खाद्य आपूर्ति मंत्री सरयू राय लीक से हटकर चल रहे हैं।
चारा घोटाले से लेकर मधु कोड़ा लूटकांड का खुलासा करने वाले सरयू राय के फेसबुक पर किये गये पोस्ट आजकल सत्ता के गलियारे में सुर्खियां बटोर रहे हैं।
उनकी हर फेसबुक पोस्ट सरकारी महकमे में बेचैनी फैलाने वाला रहा और देखते ही देखते ढेर सारे कमेंट आ गए। सरयू राय ने लिखा- विकास का कंबल ओढ़कर का घी पीने मे लगे अफसर / अभियंता / ठेकेदार गठजोड़ को ध्वस्त करना, न कि इससे आंख मूंदना, सरकार का पहला दायित्व है।
इस पोस्ट पर कमेंट आने का सिलसिला शुरू ही हुआ था कि सोमवार को उनका दो पोस्ट और सामने आ गया। उनके ये दो अन्य पोस्ट भी गौर फरमाने लायक हैं, जिसमें उन्होंने अपने मन की बातें बेबाकी से साझा की हैं। इन दोनों पोस्ट पर भी कमेंट आने शुरू हो गए।
नीचे पढ़िये उनकी ही सरकार और व्यवस्था को झकझोरती हाल के दिनों में झारखंड सरकार के संसदीय कार्य व खाद्य आपूर्ति मंत्री सरयू राय द्वारा फेसबुक पर किये गये चर्चित पोस्ट……
यह सही है कि गत वषों मे झारखंड में काफी गड्ढे खोदे गये हैं। इन्हें भरने में मेरा भरपूर सहयोग, पर कोई इन्हीं में डुबकी लगाने लगे तो बात कैसे बनेगी?
शुरुआती नीयत चाहे जितना भी नेक हो, विकास कार्यों मे नियम-कानून को धता बताने की घृष्टता से भ्रष्ट माफिया संस्कृति को ही बढावा मिलता है।
हमारे पास एक फटी टाट है। उसे रफ्फू करना या नई मजबूत टाट से बदलना विकास है या फटी जगहों पर मखमल का पैबंद लगाकर इतराना व दुनिया को दिखाना।
एक मशहूर शायर का मौजूं सवाल- तू इधर-उधर की ना बात कर, ये बता कि कारवां क्यों लुटा? मुङो रहजनों से गिला नहीं, तेरी रहबरी पे सवाल है।
समर शेष है, नहीं पाप का दोषी केवल व्याध। जो तटस्थ हैं समय लिखेगा, उनका भी अपराध।
रांची-चौका-कांड्रा-टाटा आते-जाते देखता हूं। उद्योगों की चिमनियों से गहरे काले रंग के धुआं की आंधी चल रही है। नियंत्रक आंख मूंदे हुए हैं, क्यों?
शुरूआती नीयत चाहे जितना भी नेक हो,विकास कार्यों मे नियम-क़ानून को धत्ता बताने की धृष्टता से भ्रष्ट माफ़िया संस्कृति को ही बढावा मिलता है।
समाज हो या सरकार परम्परागत ज्ञान/हुनर के परिमार्जन की कमी परामर्शी पर निर्भरता बढ़ाती है।घोसला बनाने वाले पंछी तो परामर्शी नियुक्त नही करते।
रामगढ़-गोला रोड पर चितरपुर मे मुख्य सडक पर दर्जनों डोभा बन गये हैं जिनमें ट्रक का आधा से अधिक डूब जड़ा रहा है।पथ निर्माण विभाग देखे,समझे।
आईआईएम अहमदाबाद से आग्रह- जो राज्य विकास की पढ़ाई मे इंटर मे लटका है उसे पहले ग्रेजुएट बनाइये,तब उससे एमए के सवाल हल करने के लिये कहिये।
सवाल उठा कि झारखंड के मंत्री आइआइएम,अहमदाबाद आकर क्या सीखेंगे?मेरे लिये तो महत्व का सवाल यह है कि यहाँ तीन दिन रह कर हम क्या क्या भूलेंगे?
शासन के शीर्ष पर बैठे लोगों को अपने आचरण से यह कथ्य ग़लत साबित करना होगा कि “power corrupts but absolute power corrupts absolutely।”
पटना मे आज सर्वश्री लालू प्रसाद, नीतीश कुमार, शिवानंद तिवारी आदि कई पुराने मित्रों से मिला।अच्छा लगा। सही है नेचर और सिगनेचर बहुत कम बदलते हैं।