“गांव के विकास के लिए ग्राम पंचायत के सभी काम वार्ड स्तर से किया जा रहा है। इसके बावजूद सरकार के योजनाओं में लगतार लूट खसोट चलता आ रहा है। जो भी काम किये जा रहे हैं गुणवत्ता से हटकर काम किया जाना लोगों की मनसा और कमाने का तरीका बन गया है”।
गिरियक (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। नालन्दा डीएम के निर्देश के बाद भी सात निश्चय से लेकर शौचालय निमार्ण हो या फिर अन्य योजनाएं सबों में न केवल सीमेंट के मात्रा कम दी जाती है, बल्कि घटिया सीमेंट का इस्तेमाल किया जाता है।
साथ ही नाला निर्माण हो या नली गली का काम, तीन से चार नम्बर का ईंट लगाया जाता है। वर्तमान में रैतर पंचायत के बेलदारी गांव में एनएच 31 किनारे वार्ड नम्बर 3 में किया गया कार्य देखा जा सकता है।
इस कार्य के बारे में ग्रामीणों को कुछ पता नहीं होता है कि कहाँ और क्या काम होना है। कार्य में मुख्य रूप से वार्ड सदस्य और वार्ड समिति की अहम भूमिका मानी जाती है। दोनों की मिली भगत से काम किया जाता है। जनप्रतिनिधि को यह ख्याल भी नहीं रहता कि इसका उच्च स्तरीय जांच भी हो सकती है।
इस कार्य के सबन्ध में जब गिरियक जेई से संपर्क किया गया तो वह किसी प्रकार के संतुष्ट जवाब नहीं दे पाए। बल्कि उनके अनुसार उन्हें खुद पता नहीं है कि कहां काम चालू है। ऐसे में काम की गुणवत्ता क्या होगी यह तो समझने की बात है।
बहरहाल, यह केवल काम कराने वाले कर्मी या जनप्रतिनिधी अकेले जिम्मेवार नजर नहीं आते हैं, बल्कि अधिकारी की मिलीभगत साफ जाहिर है।
इसके बारे में जब कार्य कराने वाले से बात की गयी तो उनका कहना है कि एक नंबर काम कैसे कराएं, 28 से 30 प्रतिशत तो कमीशन देना पड़ता है।