” रांची आने पर कुछ लोगों ने मारपीट कर फेंक दिया था। न्याय देने के बदले उल्टे पुलिस ने किया था प्रताड़ित”
रांची (संवाददाता)। झारखंड की राजधानी रांची के सेवा सदन अस्पताल के सामने पार्किंग में एक युवक ने पेड़ में लटककर आत्महत्या कर ली। पेड़ से शव को लटकता देख लोगों की भीड़ जमा हो गई। मौके पर पहुंची पुलिस ने जांच शुरू की तो मामला परत दर परत खुलने लगा।
मामला ऐसा खुला है कि सुनने वालो की रूह कांप उठे, आत्महत्या करने से पहले मृतक ने एक सुसाइड नोट लिखा था। उसने खुद पर हुए जुल्मों की दास्तां बयां की थी।
CM, PMO, DGP, DIG, SSP, CSP को किया था यूं ई-मेल
बुधवार की रात 7:47 बजे युवक ने सुसाइड नोट पीएमओ, राज्य के मुख्यमंत्री, डीजीपी, आइजी मुख्यालय, डीआइजी, एसएसपी, सिटी एसपी समेत अन्य पाधिकारियों को ई-मेल किया। किसी भी स्तर से मेल पर कार्रवाई नहीं की गयी।
ऑनलाईन एफआइआर को बढ़ावा देने वाली और हाईटेक बातें करने वाली झारखंड पुलिस के किसी भी अफसर ने उसके ई-मेल पर कोई कार्रवाई नहीं की।
नोट में उसने जो लिखा है, उसे पढ़ कर आपका वर्दी से भरोसा उठ जायेगा। आप सोचने पर मजबूर हो जायेंगे कि ये वर्दीधारी रक्षक है या भक्षक।
उसे पहले मारपीट कर फेंक दिया गया था
धनबाद निवासी 27 वर्षीय शिव सारंज ने अपने सुसाइड नोट में पूरी कहानी बताई है। उसने लिखा है कि वह एयर एशिया की फ्लाइट पकड़ कर रांची पहुंचा था। स्टेशन रोड स्थित होटल में कमरा लिया। वह पासपोर्ट से संबंधित काम के सिलसिले में रांची आया था।
होटल के बाहर कुछ शराबियों से उसकी बहस हो गयी। फिर शायद उन्ही शराबियों ने उसे किडनैप किया और मार-पीट कर उसे शहर से दूर ले जाकर फेंक दिया। मृतक शिव किसी तरह हॉस्पिटल पहुंचे और अपना इलाज करवाया।
चुटिया थाना प्रभारी और डीएसपी पर प्रताड़ना का सीधा आरोप
शिव ने अपने सुसाइड नोट में लिखा है कि इलाज करवा कर चुटिया थाना पहुंचना उसकी मौत का कारण बन रहा है।
उसने लिखा है कि थाना के प्रभारी ने उसे और उसके पिता के साथ गलत व्यवहार किया। गाली दी, धमकी दी। वो ये सब बर्दास्त करते रहे कि कोई सीनियर अधिकारी आयेंगे तो राहत मिलेगी। थाने में देर शाम सिटी डीएसपी पहुंचे। शिव और उसके पिता को थोड़ी राहत हुई।
मगर उन्होंने भी गाली देना शुरू किया। पुलिस को गुस्सा इस बात का था कि शिव के पिता ने हड़बड़ी में बेटे को आईटी ऑफिसर की जगह आईबी ऑफिसर बता दिया। ये बात इनती नागवार गुजरी कि पुलिस ने शिव को ही नहीं उसके पिता और उसके परिजनों को प्रताड़ित किया।
वह पीड़ित था, लेकिन पुलिस ने उसे आरोपी बना दिया
शिव सारंज कुमार ने बार बार अपने सुसाइट नोट में कहा है कि वह तो पीड़ित था। मगर वर्दी ने उसे ही आरोपी बना दिया। आगे उसने लिखा है कि वह आम आदमी है। गुंडे से डरता है। उसे क्या पता था वर्दी पहने लोग गुंडे से भी बदतर होते है। जो रिश्तों की मर्यादा भी नहीं जानते।
उन्होंने आरोप लगाया है कि पुलिस ने उसका नाम उसके खुद की बहन से भी जोड़ दिया। जिससे वह टूट गया। उसने लिखा है कि मुझसे अपने पिता की बेइजती बर्दास्त नहीं हो रही है।
शिव ने मांगी मदद, किये कई सवाल
उन्होंने अपने पिता के लिए मदद की गुहार की है। साथ ही कई सवाल भी अपने पीछे छोड़े हैं, जिन सवालो का जवाब मिलना ही चाहिये।
- क्या पुलिस को गाली देने की अनुमति हैं ?
- आम आदमी की कोई इज्जत नहीं होती ?
- पुलिस समस्या सुलझाने के लिए है या बढ़ाने के लिए
- हम गुंडो से डरते है मगर पुलिस वाले तो वर्दी पहने गुंडे है ?
- वरीय पुलिस अधिकारी ही जब गाली देंगे तो उनमे और रोड चलते गुंडों के बीच क्या फर्क रहेगा ?
- क्या एक सामान्य इंसान की कोई सम्मान नहीं है, नैतिक मूल्य नहीं है?