रांची(मुकेश भारतीय)। प्रखंड मुख्यालय भवन के सभी महकमों में सरकारी कर्मियों के आने-जाने का कोई समय सुनिश्चित नहीं हैं। साहब से बाबू लोग तक, सब अपनी मर्जी से जब चाहें कार्यालय आते हैं और जब चाहे बाहर हो जाते हैं। प्रखंड मुख्याल भवन में कई विभागों के बारे में तो यह पता ही नहीं चलता कि इसके ताले कभी खुलते भी हैं कि नहीं।
यहां पदास्थापित प्रायः कनीय अधिकारी पुछने पर क्षेत्र भ्रमण में व्यस्त रहने की ढींग हांकने लगते हैं। जबकि सच्चाई है कि सुदूर गांवों तक ऐसे अधिकारियों की उपस्थिति या उनकी विभागीय उपलब्धियों का आंकलन बखूबी किया जा सकता है।
सबसे अधिक बुरा हाल अंचल कार्यालय का है। नये सीओ के पदास्थापन के बाद यह उम्मीद जगी थी कि यहां के कर्मियों की लापरवाही में सुधार होगा। लेकिन एंचल के किसी भी सेक्टर में कोई सुधार देखने को नहीं मिल रहा है। खुद सीओ भी कभी कार्यालय समय पर आते नहीं दिखते हैं। कमोवेश यही आलम बीडीओ ऑफिस का है। यहां से जुड़े कर्मचारी भी सुसमय आते-जाते कभी नहीं देखे जाते। वे 12 बजे के करीब आते हैं और 3 बजे कुर्सी पर गप्पें मार बाहर निकल पड़ते हैं। कई विभागीय अधिकारी और कर्मचारी तो ब्लॉक चौक में अधिक घूमते नजर आते हैं।
ओरमांझी प्रखंड मुख्यालय भवन में भगोड़े अफसरों और कर्मियों के बायोमैट्रीक सिस्टम लगाये गये हैं लेकिन यह कभी काम नहीं करता है। एक सिस्टम साल भर पहले लगाया गया, लेकिन वह कभी काम किया ही नहीं। करीब चार माह पहले दूसरा नया बायोमैट्रीक सिस्टम लगाया गया, लेकिन 4 दिन बाद ही वह बेकार हो गया।