पटना(विशेष संवाददाता)। नालंदा जिले में भ्रष्ट, निकम्मा और बेईमान अफसरों की भरमार है। आम जनता का शोषण और दमन करना उनका पेशा बन गया है। सीएम नीतिश कुमार खुद को हालांकि पटना जिले के निवासी बताते हैं लेकिन, लोग उनके गृह जिला नालंदा को मानते हैं। इस ख्याल से नालंदा की व्यवस्था में व्याप्त कुशासन और भ्रष्टाचार मन-मस्तिष्क को झकझोर जाती है।
हिलसा में एसडीओ रहने के दौरान अजीत कुमार सिंह सिर्फ दलालों की सुनते रहे। भूमि विवाद के मामलों में जमकर अपान निकम्मापन और बेईमानी दिखाई। एक विविध मुकदमा संख्या-25 एमपी / 2015 के मामले में तो हद कर दी। पुलिस की मदद से धारा-144 के दौरान एक विवादित भूमि पर काम होता रहा। इसकी शिकायत जब उनकी भरी अदालत में की गई तो उन्होंने पुलिस की रिपोर्ट का कोई कार्य न होने का हवाला दिया। जब शिकायतकर्ता ने उन्हें कोर्ट की कार्रवाई के दौरान भी धारा-144 के उलंघन होने का दावा किया तो उन्होंने अपनी ईमानदारी को फंसता देख किसी दूसरे अंचलाधिकारी से कोर्ट की कार्रवाई के दौरान ही विवादित स्थल का मुआयना कर रिपोर्ट मंगवाई। अंचलाधिकारी के ने अपनी जांच में धारा-144 का उलंघन होते सप्रमाण रिपोर्ट दी और दोषियों के खिलाफ धारा-188 के तहत तत्काल कार्रवाई करने की अनुसंशा की।
सबाल उठता है कि ऐसे निकम्मे व बेईमान अफसरों को खुला संरक्षण और बढ़ावा देकर सीएम नीतिश कुमार की सरकार के कद्दावर मंत्री ललन सिंह खुद सुशासन को किस तरह से परिभाषित की है।