“फर्जी टिकट बेचकर अवैध ऊगाही करने के कथित आरोप में शुक्रवार को विजिलेंस टीम के हत्थे चढ़े स्टेशन मास्टर दिलीप कुमार देश के चर्चित व्यापम घोटाला में जेल की हवा खा चुके हैं”
हिलसा (चन्द्रकांत सिंह)। फतुहा-इस्लामपुर रेलखंड पर शुक्रवार की देर शाम फर्जीवाड़ा का बड़ा खुलासा हुआ। विजिलेंस की टीम रेलवे का जाली टिकट बेच कर मोटी कमाई करते दो लोगों को हिरासत में लिया। विजिलेंस टीम के हत्थे चढ़ने वालों में एक स्टेशन मास्टर भी शामिल हैं।
सूत्रों के मुताबिक फतुहा-इस्लामपुर रेलखंड पर फर्जी टिकट बेचकर अवैध ऊगाही की खबर रेलवे विजिलेंस टीम को मिली थी। सूचना के सत्यापन के लिए विजिलेंस टीम फतुहा-इस्लामपुर रेलखंड के हर स्टेशन पर पैनी निगाह बनाए हुए थी।
इसी दौरान शुक्रवार की देर संध्या यात्री के वेश में विजिलेंस टीम के सदस्य फर्जीवाड़ा के मुख्य सरगना तक पहुंचने के लिए नई दिल्ली का एक टिकट खरीदा। उसके बाद मूल टिकट से मिलान के बाद फर्जी टिकट होने की सत्यता की जांच की।
संतुष्ट होने के बाद स्टेशन के आसपास सादे लिवास में मंडरा रहे विजिलेंस टीम के सदस्य कार्रवाई शुरु की। इस दौरान इस्लामपुर स्टेशन पर टिकट बिक्री करने में मशगूल गौतम कुमार नामक युवक को अपने कब्जे में लिया।
गौतम से पूछताछ में आए तथ्यों के आधार पर विजिलेंस टीम इस्लामपुर स्टेशन पर तैनात स्टेशन मास्टर दिलीप कुमार को दूसरा का शिकार बनाया। सूत्रों की मानें तो जगह-जगह तालाशी के दौरान विजिलेंस टीम करीब पचास से अधिक फर्जी टिकट जप्त करने में सफल रही।
जप्त किए गए सभी फर्जी टिकट इस्लामपुर से नई दिल्ली के होने की बात बतायी जाती है। जांच में आए तथ्यों और साक्ष्यों के आधार पर देर रात विजिलेंस टीम स्टेशन मास्टर दिलीप कुमार के अलावा गौतम कुमार को अपने साथ लेकर दानापुर रवाना हो गई।
काफी प्रयास के बाद भी विजिलेंस टीम के कोई भी सदस्य कुछ नहीं बोले, लेकिन इतना स्वीकार किया कि इस्लामपुर रेलवे स्टेशन पर फर्जी टिकट का गोरखधंधा चल रहा था।
कौन है गौतम! जिसके सहारे हो रहा था गोरखधंधा
फर्जी टिकट के अवैध कारोबार में स्टेशन मास्टर दिलीप कुमार के साथ विजिलेंस टीम के हत्थे चढ़ा गौतम कौन है! जिसके सहारे कई माह से अवैध कमाई के लिए रेलवे को चूना लगाने का गोरखधंधा चल रहा था।
पड़ताल में पता चला कि गौतम नामक युवक इस्लामपुर स्टेशन के पास स्थित मोहनचक गांव का रहने वाला है। इस्लामपुर स्टेशन पर गौतम की मां यात्रियों द्वारा फेंके गए बोतल को चुनता था। उसी बोतल में पानी भर सस्ते दाम पर यात्रियों के हाथों बेचा करता था। मां के इस कारोबार में गौतम भी सहयोग करता था। गौतम की गरीबी को देख वहां काम करने वाले रेलवे कर्मचारी भी यदा-कदा सहयोग किया करते थे।
इसी सहयोग के कारण गौतम कुछेक रेलवे कर्मियों के काफी करीब हो गया और उनकी सेवा-टहल करने लगा। इसी सेवा टहल में कतिपय रेलवे कर्मचारी मोटी कमाई का जरिया बताया जिसमें वह न केवल शरीक हुआ बल्कि पूरे तन-मन से फर्जी टिकट के गोरखधंधे की एक कड़ी बन गया।
विजिलेंस के हत्थे चढ़ा दिलीप व्यापम घोटाला में जा चुके हैं जेल
फर्जी टिकट बेचकर अवैध ऊगाही करने के कथित आरोप में शुक्रवार को विजिलेंस टीम के हत्थे चढ़े स्टेशन मास्टर दिलीप कुमार देश के चर्चित व्यापम घोटाला में जेल की हवा खा चुके हैं। सूत्रों की मानें तो मूलत: इस्लामपुर थाना के बरडीह गांव निवासी दिलीप कुमार नौकरी लगाने का पहले से ही धंधा करते रहे हैं। कई युवकों को रेलवे में नौकरी लगवा कर ठगी कर चुके हैं।
दिलीप के गोरखधंधे का खुलासा तब होते-होते बचा जब वे हिलसा स्टेशन पर बतौर स्टेशन मास्टर तैनात थे। अपने ड्यूटी के वक्त दिलीप हमेंशा एक-दो नए चेहरे को साथ लाते और रेलवे के काम की जानकारी देते थे। हर रोज नए चेहरे को देख कुछ कर्मियों को शक हुआ तो युवकों से पूछताछ करना चाहा। सहयोगी कर्मियों से अनजान युवकों की नजदीकी बढते देख दिलीप का भंडा फूटने का डर हो गया।
इसी भय से दिलीप युवकों को साथ लाना बंद कर दिए। इसी बीच वर्ष 2014 में दिलीप का स्थानान्तरण इस्लामपुर रेलवे स्टेशन पर हो गया। सूत्र बताते हैं दिलीप कुमार इस्लामपुर रेलवे स्टेशन पर ड्यूटी में तैनात थे, तभी मध्य प्रदेश की पुलिस आयी और गिरफ्तार कर साथ लेकर चली गई।
मध्य प्रदेश पुलिस द्वारा दी गई जानकारी से रेलवे कर्मियों को पता चला दिलीप की गिरफ्तारी देश के चर्चित मेघा घोटाला व्यापाम से जुड़ मामले में हुई। कई माह तक मध्य प्रदेश की जेल में रहने के बाद जमानत पर मुक्त हुए दिलीप फिर से इस्लामपुर रेलवे स्टेशन में अपना योगदान किया। अभी पुराने मामले को रेल कर्मी भूला पाते इससे पहले एकबार फिर दिलीप कुमार फर्जी रेल टिकट बेचने के कथित आरोप में विजिलेंस टीम के हत्थे चढ़कर सुर्खियों में आ गए।
फर्जी रेल टिकट मामले में फंस सकते हैं कई और कर्मी
फर्जी रेल टिकट मामले इस्लामपुर रेल स्टेशन पर तैनात कई अन्य रेल कर्मी के भी लपेटे में आने की प्रबल संभावना है। सूत्रों की मानें तो मामले की छानबीन के दौरान भले ही विजिलेंस टीम फिलहाल वैसे दो लोगों को साथ ले गई जो सीधे तौर पर संलिप्त पाए गए। कई ऐसे लोग भी हैं जिन्हें आने वाले दिनों में विजिलेंस की टीम अपने कब्जे में ले सकती है।
इसका अंदाजा जांच के दौरान विजिलेंस टीम के सदस्यों द्वारा कर्मियों से किए जा रहे तरह-तरह के सवालों से लगता है। विजिलेंस टीम के सदस्य यह मानने को तैयार नहीं थे कि इतना बड़ा रैकेट में सिर्फ दो ही लोग शामिल थे। बहरहाल जो भी हो, विजिलेंस टीम के सवालों से फर्जीवाड़ा के इस मामले में अन्य रेल कर्मी के फंसने की प्रबल संभावना बन गई।
(सभी तस्वीर हमारे इस्लामपुर संवादादता राम कुमार वर्मा की)