” गणतंत्र दिवस हो या फिर स्वतंत्रता दिवस के मौके पर जब भी शहर या ग्रामीण इलाकों में देश भक्ति का धुन बजता है तो हिलसा के उन युवाओं की चर्चा स्वत: होने लग जाती है, जो देश की आजादी के लिए अपनी जान गवां दी।”
हिलसा(चन्द्रकांत)। सन् उन्नीस सौ बयालीस में शहीद हुए युवाओं की शहादत को याद कर शहर तथा आस-पास के ग्रामीण इलाके के युवाओं में अब भी देश सेवा का जज्बा उभर आता है।
जानकारों की मानें तो स्वतंत्रता की लड़ाई में अगुवा बने हिलसा के युवाओं का जत्था जोशीले नारों के साथ थाना पर तिरंगा फहराने चला आया।
तब के अंग्रेजी हुकूमत ने जत्थे पर गोलियां बरसानी शुरु कर दी। इस दौरान शहर तथा आस-पास के ग्यारह युवा गंभीर रुप से घायल हो गये। आंदोलनरत घायल युवाओं पर अंग्रेजी हुकूमत ने क्रूर व्यवहार किया।
गोलीबारी की घटना में मौत को गले लगाने वाले युवाओं के साथ-साथ उन युवाओं को भी जिंदा जला दिया, जो जिंदगी की आखिरी सांसे गिन रहे थे।
थाना के ठीक सामने बने शहीद स्मारक उन्हीं सपूतों की याद को तरोताजा कर रहा है, जो अगस्त क्रांति के मौके पर सन् उन सौ बयालीस के पंद्रह अगस्त को शहीद हुए थे।
एक लंबे समय तक उपेक्षित रहे इस शहीद स्मारक का निर्माण तत्कालीन विधायक रामचरित्र प्रसाद सिंह विकास कोष से करवा कर शहीदों के शहादत को यादगार बना दिया।
शहादत देने वाले हिलसा के सपूत:
शहीद का नाम गांव का नाम शहीद का उम्र
भीन सेन महतों इंदौत 20 वर्ष
सदाशिव महतों बढ़नपुरा 20 वर्ष
केवल महतों बनबारा 32 वर्ष
सुखारी चौधरी हिलसा 18 वर्ष
दुखन राम गन्नीपुर 21 वर्ष
रामचरित्र दुसाध बनबारीपुर 18 वर्ष
शिवजी राम हिलसा 25 वर्ष
हरिनंदन सिंह मलावां 19 वर्ष
भोला सिंह बनबारा 21 वर्ष
बालगोविंद ठाकुर कछियावां 25 वर्ष
नारायण पांडेय कछियावां 18 वर्ष