इधर मास्टर लोग खाने-पीने और व्हाट्सएप्प में व्यस्त, उधर बच्चे हंगामा करने में मस्त
“यह हमारे राज्य के साथ जिले की बदकिस्मती है कि समान कार्य के बदले समान वेतन की मांग करने वाले भविष्य निर्माता अपनी आत्मा पर हाथ रखकर अपना विकृत चेहरा आईना में क्यों नहीं देखते। शायद इन शिक्षकों में सिर्फ यह मानसिकता कूट कूट भर गई है कि सरकार उन्हें सारा खजाना दे दे। इन सरकारी स्कूलों में उनके अपने बच्चे तो पढ़ते ही नहीं, तो फिर इतर गरीब बच्चों पर क्या ध्यान देना।”
एक्सपर्ट मीडिया न्यूज (राजीव रंजन)। बिहार के शिक्षक अपने वेतन बढ़ोतरी को लेकर बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करते हुए लगातार हंगामा करते रहे हैं और सरकार भी इनकी बातों से सहमत है चुनाव के समय कुछ कुछ दे दिया जाता है। जबकि शिक्षा विकास की आधार होती है, जिस के मुख्यकर्ता शिक्षक होते हैं।
इन शिक्षकों की मानसिकता बिलकुल गड़बड़ हो गई है। जो न कभी समय से विद्यालय पहुंचते हैं और न ही कभी समय से विद्यालय से लौटते हैं। सब कुछ उनकी मनमानी पर निर्भर है।
कुछ ऐसा ही अजीबोगरीब तस्वीर उपलब्ध हुई है, विकास पुरुष कहे जाने वाले सीएम नीतिश कुमार के गृह जिले नालंदा के बिंद प्रखंड स्थित उत्क्रमित मध्य विद्यालय जहाना की है।
जहां 10:40 AM बजे के आसपास शिक्षक एक साथ बैठकर सरकारी राशियों का वारा-न्यारा कर गर्मी का आनंद उठाते हुए खीरा ककड़ी समेत तला हुआ मटर का आनंद ले रहे हैं और एक अन्य वरीय शिक्षक मोहम्मद मुस्ताक अहमद विद्यालय के कार्यालय में सुखानंद में बैठकर डिजिटल इंडिया का लुफ्त उठा रहा है।
वहीं विद्यालय के बच्चे वर्ग कक्ष में इधर से उधर भागते फिरते कूद-फांद कर हल्ला-गुल्ला कर रहे हैं। वरीय शिक्षक मुस्ताक साहब से जब इस बाबत जानकारी प्राप्त किया गया तो उन्होंने टिफिन का हवाला देकर मामला से बचते हुए नजर आए और यह भी बताएं कि टिफिन का समय 9:30 बजे है।
आखिर ऐसे बेशर्म शिक्षकों भविष्य के साथ खिलवाड़ कर समान कार्य के लिए समान वेतन की मांग उसी मुंह से कर रहे हैं, जिस मुंह से बच्चों के बहुमूल्य समय को नष्ट करने में मशगुल हैं।
इस संबंध में बिंद प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी ने सिर्फ इतना कहा कि जांच कर उचित कार्रवाई की जाएगी
खैर इन सब से इन शिक्षकों पर कोई प्रभाव पड़ने वाला नहीं है। उन्हें मालूम है कि इनके विभागीय आला कुछ नहीं करेंगे। यहां अब तक यही सब होते आया है और हो रहा है।