“नालंदा जिले के अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन नगरी राजगीर में सरकारी भूमि की लूट मची है। मलमास मेला सैरात भूमि, नगर-जिला परिषद भूमि आम गरमजरुआ या फिर जंगल-झाड़ की चिन्हित भूमि हो, उसके लूटेरे भू-माफियाओं पर नकेल कसने में पुलिस-प्रशासन-जनप्रतिनिधि सब विफल साबित है। इसका एक बड़ा कारण इस भूमि लूट के खेल में हर स्तर के लोग शरीक हैं।”
एक्सपर्ट मीडिया न्यूज। ताजा मामला जिला परिषद की करोड़ों रुपये मूल्य के 47 डिसमल जमीन पर भू-माफियाओं गिद्ध दृष्टि के रुप में सामने आया है।
पुष्ट सूचना है कि राजगीर मौजा के थाना नंबर-485 के खसरा नबंर-5214 की पूरी भूमि नालंदा जिला परिषद द्वारा अर्जित है, लेकिन कुछ शातिर दबंग प्रवृति के भू-माफिया इस पर कब्जा कर रहे हैं और प्रशासन महकमा सब कुछ जानते हुये भी निकम्मा बना हुआ है।
उपलब्ध दस्तावेज के अनुसार वर्ष 2015 में तात्कालीन उप विकास आयुक्त सह कार्यपालक पदाधिकारी, नालंदा जिला परिषद ने रहुई निवासी श्रीमति सोनी कुमारी पति मुकेश कुमार द्वारा दाखिल खारिज अपीलवाद भूमि जांच के संबंध में राजगीर भूमि उप समाहर्ता को स्पष्ट आदेश दिया था कि वर्णित भूमि जिला परिषद की अर्जित भूमि है और वर्षों से उसी के कब्जे में रहता चला आ रहा है, अतएव इसकी दाखिल खारिज किसी व्यक्ति के नाम करना उचित नहीं है।
जिला परिषद नालंदा के जिला अभियंता ने भी पिछले वर्ष सूचना अधिकार अधिनियम-2005 के तहत एक प्रार्थी को यह सूचना उपलब्ध कराई थी कि भू अर्जन केस संख्या-10/12-13 के नक्शा के अनुसार खसरा नंबर-5214 की कुल अराजी 47 डीसमिल भू-अर्जित है।
इधर भू-माफिया लोग उसे पक्की चहरदीवारी से घेरने में लगे हैं। इसकी सूचना जिला परिषद व अनुमंडल प्रशासन को है। लेकिन कहीं से कोई रोक-टोक नहीं की जा रही है।
विश्वस्त सूत्रों के अनुसार राजगीर थाना से महज 100 फीट की दूरी पर अवस्थित जिला परिषद की करोड़ों की इस भूमि लूट में कई सफेदपोश नेता, पुलिस, प्रशासन के लोग भी संलिप्त हैं। इसीलिये कहीं से कोई कार्रवाई नहीं हो रही है।