पटना के प्रमंडलीय आयुक्त आनंद किशोर ने इस सैरात भूमि को खाली कराने का आदेश कल मंगलवार को जारी किया है । उनके द्वारा अनुमंडल प्रशासन राजगीर को अतिक्रमण मुक्त कराने और जिला प्रशासन नालंदा को मोनेटरिग करने का आदेश दिया गया है ।
इसके पूर्व जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी संजीव कुमार सिन्हा और राजगीर के अंचलाधिकारी सतीश कुमार के द्वारा भी इस सैरात भूमि को अतिक्रमण मुक्त कराने का आदेश दिया गया है।
प्रमंडलीय आयुक्त के आदेश पर सैरात भूमि पर चिन्हित 33 निजी अतिक्रमणकारियों में से 27 अतिक्रमणकारियो को नोटिस भी थमाया गया है। उन्हें 6 जुलाई तक स्वयं अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया गया है । इन आदेशों के बाद सैरात भूमि पर अतिक्रमण करने वालों में खलबली मच गई है। वही इस आदेश से राजगीर के धर्म, अध्यात्म, संस्कृति और विरासत प्रेमियों में काफी खुशी है।
राजगीर के मलमास मेला सैरात भूमि का कुल रकबा 73.03 एकड़ है। इनमें 40.64 62 एकड़ पर सरकारी एवं गैर सरकारी अतिक्रमण है। सैरात भूमि का केवल 32.38 387 एकड़ जमीन परती है। प्रमुख अतिक्रमणकारियों में वर्मीज विहार, सप्तपर्णी विहार, बौद्ध धर्माकुर सभा, राजगीर गेस्ट हाउस, होटल सिद्धार्थ, गौरक्षिणी एवं अन्य हैं ।
सैरात भूमि पर शिवनंदन प्रसाद के द्वारा 7 डिसमिल भूखंड और शिवनंदन उपाध्याय के द्वारा 5:30 डिसमिल भूखंड का धोखाघड़ी कर जमाबंदी कायम करा लिया गया था। उस जमाबंदी को रद्द करने की प्रशासनिक कार्यवाही आरंभ कर दी गई है।
अंचलाधिकारी सतीश कुमार ने बताया कि जमाबंदी टूटने के बाद इन दोनों अतिक्रमणकारियों की जमाबंदी वाली जमीन को तोड़ने की कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने यह भी बताया कि जिन लोगों के द्वारा माननीय उच्च न्यायालय से स्थगन आदेश प्राप्त किया गया है। उनके विरुद्ध सरकार उच्च न्यायालय में अपील वाद दाखिल कर स्थगन आदेश रद्द करने का अनुरोध करेगी।
सूत्रों के अनुसार आजादी के बाद पहली बार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सुशासन के अधिकारियों ने मलमास मेला सैरात भूमि को अतिक्रमण मुक्त कराने का कड़ा फैसला लिया है। अब तक किसी भी अंचलाधिकारी और प्रमंडलीय आयुक्त ने इतना बड़ा फैसला कभी नहीं लिया था।
इस फैसले को लेकर राजगीर में सर्वत्र खुशी ही खुशी है। अतिक्रमणकारियों को छोड़कर सभी नगर वासी इस सैरात भूमि को अविलंब अतिक्रमण मुक्त देखने की अभिलाषा रखते हैं।
मालूम हो कि मगध साम्राज्य की ऐतिहासिक राजधानी राजगीर में हर तीन साल पर पुरुषोत्तम मास में मलमास मेला का आयोजन आयोजन अनादि काल से होते आ रहा है। जिसमें केवल भारत के ही नहीं बल्कि विदेशों खासकर नेपाल आदि के धर्मावलंबी बड़ी संख्या में इस मेले में आते और पुण्य लाभ लेते हैं।