Home आधी आबादी समीक्षाः क्या इस ‘रेपिस्ट’ के कुनबे को स्वीकारेगी नवादा की जनता?

समीक्षाः क्या इस ‘रेपिस्ट’ के कुनबे को स्वीकारेगी नवादा की जनता?

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ऐसे में नवादा में राजनीतिक चर्चा जोरों पर है कि आखिर उनके राजनीतिक विरासत को कौन आगे बढाएगा। छह महीने के अंदर विधानसभा का उपचुनाव होना तय है। ऐसे में उनका उतराधिकारी कौन होगा। नवादा की जनता और उनके समर्थकों में एक सवाल कौंध रहा है….”

पटना (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज ब्यूरो)। नालंदा की एक नाबालिक छात्रा से रेप मामले में आजीवन सजा मिलने के बाद नवादा से राजद के निलंबित विधायक राजबल्लभ यादव अब विधायक नहीं रहे।

उनकी विधायकी समाप्त होने के बाद राजनीतिक चर्चा शुरू हो गई है कि उनकी विरासत को आगे कौन बढाएगा। कभी अपने भाई की विरासत को बढ़ाने वाले पूर्व विधायक राजबल्लभ की विरासत को आगे कौन बढाएगा?

नवादा की राजनीति में ‘राजबल्लभ’ की एक समय तूती बोला करती थी। नवादा के राजनीति के कभी केंद्र बिंदु रहे पूर्व विधायक को रंग मिजाजी ने पतन की राह पर ले जाकर छोड़ दिया।

कभी राजद सुप्रीमों लालू प्रसाद के बड़े करीबी थे राजबल्लभ….

rajballab rjd lalu 21985 में राजनीति में प्रवेश करने वाले राजबल्लभ यादव को आरंभिक सफलता नहीं मिली। लेकिन 1993 में अपने बड़े भाई और विधायक कृष्णा यादव के निधन के बाद बड़े भाई की विरासत को आगे बढ़ाने का काम किया।

तब से पीछे मुड़कर नहीं देखा। राजबल्लभ प्रसाद तीन बार नवादा के विधायक रहे। दो बार लोकसभा का चुनाव भी लड़ा लेकिन कामयाब नहीं हो सके।

1995 में वें नवादा से निर्दलीय चुनाव लड़ कर जीत हासिल की थी। 2000 में वे राजद की टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत भी हासिल की। उन्हें राजद सरकार में श्रम राज्य मंत्री बनाया गया था।

उसके बाद राजबल्लभ यादव को असफलता का सामना करना पड़ा। लगभग दस साल तक 2005 और 2010 का विधानसभा चुनाव में उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा।

अपने प्रतिद्वंद्वी जदयू नेता कौशल यादव की पत्नी पूर्णिमा यादव से चुनाव हार गए। बावजूद राजद सुप्रीमो का विश्वास उन पर बना रहा। हार के बाद भी उन्हें राजद सुप्रीमों लालू प्रसाद का वरदहस्त मिलता रहा।

हार के बाद भी उन्हें पार्टी के अहम पद तक मिलते रहे। पार्टी में उनका स्थान एक कद्दावर नेता के रूप में बना रहा। यहाँ तक कि वे राजद के प्रदेश उपाध्यक्ष भी बने।

2015 के विधानसभा चुनाव में दस साल बाद वें तीसरी बार चुनाव जीतने में कामयाब रहे। लेकिन इस बार समय फिर उनके साथ नहीं रहा।

2016 में उन पर नाबालिक छात्रा के साथ रेप का आरोप लगा, जो उनके राजनीतिक कैरियर पर एक ग्रहण बनकर रह गया। इस मामले में उन्हें आजीवन सजा भी मिल गई। यहां तक कि उनकी विधायकी भी अब खत्म हो गई।

ऐसे में नवादा में राजनीतिक चर्चा जोरों पर है कि आखिर उनके राजनीतिक विरासत को कौन आगे बढाएगा। छह महीने के अंदर विधानसभा का उपचुनाव होना तय है। ऐसे में उनका उतराधिकारी कौन होगा। नवादा की जनता और उनके समर्थकों में एक सवाल कौंध रहा है।

पूर्व विधायक राजबल्लभ यादव की पत्नी विभा देवी, उनके पुत्र एकलव्य, अखिलेश छोटे भाई विनोद यादव में से कौन उनके विरासत को आगे ले जाएंगे?

लेकिन उनकी राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाना इतना आसान भी नही है। रेप के मामले में आजीवन सजा पाए पूर्व विधायक के कुनबे को क्या नवादा की जनता स्वीकार करेगी?

क्या एक बार फिर से जदयू के पूर्व विधायक पूर्णिमा यादव की किस्मत चमक जाएगी? नवादा की जनता के सामने यह एक यक्ष प्रश्न है।

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