“सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सरमेरा के इस मनमानी रवैया से परेशान होकर सरमेरा प्रखंड की जनता त्राहिमाम कर रही है और अंततोगत्वा इनकी मनमानी को लेकर बिहार सरकार के स्वास्थ्य मंत्री से मिलने की बात कर रहे हैं।”
बिहारशरीफ (राजीव रंजन)। बात जब राज्य सरकार की स्वास्थ्य व्यवस्था की आती है तो विभाग के लचर व्यवस्था के कारण स्वास्थ्य पदाधिकारी अपने कार्यालय से ज्यादातर अनुपस्थित ही रहकर अपने निजी क्लीनिक या अपने निजी कार्य संचालन करते हैं तो क्या बिहार में खाक स्वास्थ्य व्यवस्था सुधरने का नाम लेगा।
कुछ ऐसा ही अजीबोगरीब हालात नालंदा जिला के सरमेरा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में पदस्थापित स्वास्थ्य केंद्र के प्रबंधक राजेश कुमार चौधरी एवं लेखापाल अशोक कुमार की है जो ज्यादातर स्वास्थ्य केंद्र के कार्यालय से अनुपस्थित ही रहते हैं।
जबकि सरकारी दिशा निर्देशानुसार 24 घंटे प्रखंड मुख्यालय के स्वास्थ्य केंद्र में रहना अनिवार्य है मगर इनकी हद कहें या हिम्मत जिस कार्य दिवस के दिन यह अनुपस्थित रहते हैं तो अगले कार्य दिवस में अपनी उपस्थिति रजिस्टर पर दर्ज कर लेते हैं।
प्रखंड मुख्यालय क्षेत्र के जनता जब इनके पास आम जनों की समस्या के समाधान के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सरमेरा के प्रबंधक एवं लेखापाल के पास कुछ अपेक्षा कर जाती है और अपनी समस्याओं का निदान करना चाहती है तो स्वास्थ्य केंद्र प्रबंधक राजेश कुमार चौधरी अपेक्षित सहयोग के बजाय अपने अफसरशाही पर उतारू हो जाते हैं।
इनके द्वारा साफ तौर पर कहा जाता है कि हमें विभाग से सिविल सर्जन का संरक्षण प्राप्त है जिन्हें जो कुछ करना है वह करते रहे मुझे कोई फर्क पड़ने वाला नहीं है और यहां तक धमकी दे देते हैं कि जो कोई हमें हमारी ड्यूटी का पाठ पढ़ाएगा तो उसे मैं अनुसूचित जाति एक्ट में फंसा देंगे।
वहीं लेखापाल अशोक कुमार के लापरवाही के कारण प्रसव कराने आई महिलाओं को मुख्यमंत्री प्रसव योजना का ससमय लाभ नहीं मिल पाता है। योजना की राशि का लाभ लेने हेतु प्रसूति महिला गोद में नवजात शिशु को लेकर कड़ी धूप में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सरमेरा का कई बार चक्कर काटते रहती है।
यहां तक कि पदाधिकारी के लापरवाही के कारण जन्म प्रमाण पत्र ससमय नहीं दिया जाता है तथा इसके एवज में संबंधित आशा के द्वारा प्रति शिशु 100 रूपया वसूली किया जाता है जो एक जांच का विषय है।