“आश्चर्य की बात तो यह था कि जिस सरकारी बाबू ने उस स्वीपर ‘डोम’ को जेल भिजवाया, वह स्वंय फर्जी है। विभागीय तौर पर काफी पहले ही बर्खास्त हो चुका था और फिर फर्जी करीके से पुनः वही पद पर काबिज हो चुका है। पुलिस ने इस संदर्भ में ईमानदारी से कोई पड़ताल नहीं की। शायद अगर करती तो उसकी जेब अधिक गर्म नहीं हो पाती।”
उसका कसुर सिर्फ इतना था कि उसने सरकारी बाबू से दशहरा व दीवाली जैसे त्योहार के अवसर पर अपना वेतन मेहताना मांगा।
बदले में उस पर फर्जी मुकदमा दर्ज कर जेल भेज दिया गया।
जी हां। पूरी व्यवस्था और समाज को झकझोर देने वाली मामला नालंदा जिले के राजगीर नगर पंचायत कार्यालय से जुड़ी है।
उस कार्यालय के वासूली डोम नामक एक सफाईकर्मी ने अपने सहयोगियों के साथ कार्यपालक पदाधिकारी के समक्ष सिर्फ इतना गुहार लगाई थी कि आसन्न पर्व-त्योहार दशहरा-दीवाली के मौके पर उन लोगों का बकाया वेतन भुगतान कर दिया जाये ताकि वे सब अपने बच्चों के लिये कपड़ा, मिठाई ले सकें।
लेकिन सरकारी बाबूओं को अदद सफाईकर्मी, वह भी ‘डोम’…की इस अनुरोध को जुर्रत समझ ली और आवेदन के दूसरे दिन राजगीर थाना में एक मुकदमा कर दिया गया।
सफाईकर्मी छोटू डोम ने राजगीर नगर पंचायत के कार्यालय पदाधिकारी से 19 सितंबर,2017 को वेतन भुगतान करने की मांग की थी।
पुलिस ने इसे सच मान कर घटना के दूसरे दिन शिकायत मिलते ही भादवि की 341, 323, 307, 353, 427, 504, 506, 34 जैसी संगीन धाराओं के तहत मामला दर्ज कर आरोपी वासुली डोम को पकड़ कर जेल भेज दिया।
वहीं उसका भाई छोटु डोम पुलिस की डर से भागा-भागा फिर रहा है। इधर सूचना हैै कि न्यायोचित पैरवी के अभाव में उसकी अग्रिम जमानत निचली अदालत ने नामंजूर कर दिया है।
वेशक पुलिस ने यहां निश्पक्षता नहीं बरती है। राजगीर नगर पंचायत जैसे महत्वपूर्ण कार्यालय में इतनी बड़ी घटना होती तो यह घटना तुरंत आग की तरह फैल जाती और उसकी सूचना पुलिस को भी दी जाती।
एक दिन बाद आवेदन और उसी दिन तत्काल एफआईआर दर्ज होना पुलिसिया जांच पर सीधे उंगली उठाती है। ऐसे भी राजगीर पुलिस फर्जी मुकदमा करने में माहिर मानी जाती है।
बहरहाल, इस मामले में एक बड़ा खुलासा यह सामने आया है कि राजगीर नगर पंचायत कार्यालय के जिस कथित सहायक दारोगा सह कार्यालय सहायक प्रमोद कुमार ने सफाईकर्मी छोटू डोम और उसके भाई वाजुली डोम के खिलाफ फर्जी केस किया है, वह स्वंय ही फर्जी है।
तात्कालीन नालंदा डीएम ने अपने कार्यालय पत्रांक-35/11-12, दिनांकः12.08.2011 को राजगीर नगर पंचायत कार्यपालक पदाधिकारी को सहायक दारोगा सह सहायक अशोक कुमार को साथ समकक्षी प्रमोद कुमार की सेवा वर्खास्त करने का सख्त आदेश निर्गत किया था।
दोनों पर गंभीर आरोप लगे थे। उसकी जांच तात्कालीन वरीय उप समहर्ता रत्नेश झा कराई गई थी।
सबाल उठता है कि एक सफाईकर्मी पर संगीन आरोप लगा कर जेल भेजवाने वाले प्रमोद कुमार जब वर्ष 2011 में ही बर्खास्त हो चुका था तो फिर वह राजगीर नगर पंचायत कार्यालय में किस आधार पर सहायक दारोगा सह कार्यालय सहायक के पद पर कार्यरत था।
विस्वश्त सूत्र बताते हैं कि प्रमोद कुमार ने सेवा से वर्खास्त होने के बाद में फर्जी कागजातों के जरिये पुनः उसी पद पर काबिज हो गया।
इसकी भनक छोटू डोम और उसके भाई वासुली डोम को थी और कहीं वह उसकी पोल न खोल दे, राजगीर पुलिस के साथ मिल कर सब खेला रचा गया।