“न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सीधे धान की अधिप्राप्ति करने हेतु पैक्स, लैम्प्स, कृषक सेवा सहकारी समिति, व्यापार मंडल, ग्रेन गोला को अधिप्राप्ति केंद्र बनाया गया है…”
रांची (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। झारखंड सरकार ने आज किसानों से धान अधिप्राप्ति की पूरी प्रक्रिया को और पारदर्शी और विश्वसनीय बनाने का निर्णय लिया है।
रघुबर कैबिनेट ने किसानों के धान उत्पादक किसानों को उनके धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य उपलब्ध कराने तथा राज्य को धान उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने के लिए धान अधिप्राप्ति की योजना को विगत वर्षों की कठिनाइयों को देखते हुए धान अधिप्राप्ति की प्रक्रिया को सहज पारदर्शी और विश्वसनीय बनाने के लिए इस योजना के स्वरूप में बदलाव करने का निर्णय लिया गया है।
धान अधिप्राप्ति हेतु झारखंड राज्य खाद्य एवं असैनिक आपूर्ति निगम लिमिटेड एवं भारतीय खाद्य निगम अधिप्राप्ति एजेंसी के रूप में चयन करने का निर्णय लिया गया है। धान अधिप्राप्ति के लिए झारखंड राज्य खाद्य एवं असैनिक आपूर्ति निगम लिमिटेड रांची को नोडल अभिकरण बनाया गया है।
कृषि पशुपालन एवं सहकारिता विभाग तथा राजस्व निबंधन एवं भूमि सुधार विभाग द्वारा झारखंड राज्य खाद्य एवं असैनिक आपूर्ति निगम लिमिटेड को आवश्यक सहयोग प्रदान किए जाने का भी निर्णय लिया गया है।
अधिप्राप्ति का कार्य कंप्यूटर प्रणाली (ई-उपार्जन) के तहत कराया जाएगा। निबंधित किसानों को एसएमएस अथवा दूरभाष के माध्यम से इस संबंध में जानकारी दी जाएगी कि धान अधिप्राप्ति केंद्रों से संपर्क कर धान बिक्री की तिथि से संबंधित टोकन प्राप्त कर लिया जाए, जिस पर टोकन की संख्या रहेगी।
जिन किसानों द्वारा टोकन प्राप्त नहीं प्राप्त किया जाता है उन्हें सीक्वेंशियल क्रमबद्ध आधार पर धान बिक्री की तिथि के लिए फिर से एसएमएस भेजा जाएगा। प्रत्येक प्रमंडल के लिए एजेंसी का चयन भी किया गया है।
कैबिनेट ने यह भी फैसला किया है कि जिलों में धान अधिप्राप्ति के केंद्रों का चयन जिला के उपायुक्त के अध्यक्षता में जिला स्तरीय अनुश्रवण समिति के द्वारा किया जाएगा।
कैबिनेट ने संथाल परगना प्रमंडल के जिला देवघर दुमका गोड्डा पाकुड़ साहिबगंज और जामताड़ा में विकेंद्रीकृत अधिप्राप्ति प्रणाली के तहत अधिप्राप्ति करने का भी निर्णय लिया।
साथ ही यह भी निर्णय लिया गया कि सभी अधिप्राप्ति एजेंसियों द्वारा अपने अपने क्षेत्र में किए गए धान के लिए मूल्य का भुगतान एनईएफटी/ आरटीजीएस/ डीबीटी के माध्यम से किसानों के बैंक खाते में सीधे किया जाएगा।