“हालांकि वे सब आज ही डीएम के जनता दरबार में सामूहिक इस्तीफा देने वोले थे, लेकिन डीएम के जनता दरबार में शऱीक नहीं होने के कारण वे ऐसा नहीं कर सके।”
चंडी (संजीत कुमार)। ज्यादा दिन नहीं हुए थे, जब पूरे राज्य में सतर्कता सप्ताह मनाया गया था। सुशासन बाबू के गृह जिला नालंदा में डीएम से लेकर प्रखंडों में सभी ने रिश्वत नही लेने की शपथ ली थी। लेकिन शायद यह कसमे वायदे हैं इनका क्या? यह सिर्फ़ दिखावे की बात है। ईमानदारी इस देश में लुप्त चीज हो गई है, बेईमानी उतनी पुरानी बात हो गई है।
सीएम के नालंदा में ही जीरो टॉलरेंस नीति की हवा निकाल कर रख दी है एक भ्रष्ट पदाधिकारी ने। इस पदाधिकारी से क्षुब्ध चंडी प्रखंड के प्रखंड प्रमुख निर्मला देवी, उपप्रमुख पूनम देवी सहित सभी 22 में 20 पंचायत समिति सदस्यों समेत गंगौरा पंचायत के मुखिया सुरजदेव पासवान ने इस्तीफा देने का मन बना लिया है। संभवतः वे कल डीएम को अपना इस्तीफा सौंपेगे।
वैसे चंडी प्रखंड के लगभग हर विभाग में भ्रष्टाचार गहरे तक फैला हुआ है। बीईओ कार्यालय हो, बाल विकास परियोजना या फिर खाद्द निगम या फिर पीएम आवास योजना। सभी चंडी का नम्बर वन भ्रष्टाचारी कार्यालय बना हुआ है।
इस बार चंडी के आवास पर्यवेक्षक रविकर कुमार रवि पर काफी गंभीर आरोप लगा है। यह आरोप पंचायत समिति सदस्यों ने लगाया है। उनके भ्रष्टाचार से तंग आकर सदस्यों ने सामूहिक रूप से इस्तीफा देने का निर्णय लिया है।
चंडी प्रखंड के प्रखंड प्रमुख निर्मला देवी, उपप्रमुख पूनम देवी सहित सभी 22 में 20 पंचायत समिति सदस्यों समेत गंगौरा पंचायत के मुखिया सुरजदेव पासवान ने आवास पर्यवेक्षक पर आरोप लगाया है कि रविकर कुमार रवि आवास योजना के लाभुको से 15-20 हजार रूपये की रिश्वत की मांग करते हैं। जो रूपये नहीं देते है,उनको आवास योजना से वंचित रखा जाता है।
यहाँ तक कि जरूरतमंद लोगों को इसका लाभ नहीं मिलता है। पर्यवेक्षक पूरे प्रखंड में अपने बिचौलिए रखें हुए हैं। जो उनके लिए अवैध वसूली का काम करते हैं। यहाँ तक कि पंचायत समिति सदस्यों की भी एक नहीं सुनते है।
पंचायत समिति की बैठक में उन पर आवास योजना में रिश्वत लेने का कई आरोप लग चुका हैं। लेकिन अपनी कार्यशैली से वे बाज नहीं आए हैं। अपनी मानसिकता नहीं बदली है। शिकायत के बाद भी उन पर कोई कार्रवाई अब तक नहीं हुई है।
सदस्यों ने बताया कि पर्यवेक्षक की कार्यशैली से बीडीओ भी अवगत हैं ।
चंडी प्रखंड के सभी सदस्य आज ही नालंदा डीएम के द्वारा आयोजित जनता दरबार में सामूहिक इस्तीफा देने वाले थे। लेकिन डीएम किसी कारणवश जनता दरबार में शामिल नहीं हो सके।
इसलिये अब सभी सदस्य बुधवार को नालंदा डीएम सह जिला निर्वाचन पदाधिकारी को 11 बजे अपना इस्तीफा सौंपने का निर्णय लिया है।
आवास पर्यवेक्षक के भ्रष्टाचार नीति से नाराज सदस्यों का कहना है कि प्रखंड कार्यालय में ऐसे भ्रष्टाचारी पदाधिकारी के साथ वे काम नहीं कर सकते हैं ।
अब सवाल यह उठता है कि सीएम की विकास यात्रा में ज्यादा दिन नहीं है। अगर सदस्यों ने अपना इस्तीफा सौंप दिया और वो भी प्रखंड में भ्रष्टाचार के आरोप में तो जीरो टॉलरेंस की बात कहने वाले सीएम के कथनी और करनी के निहितार्थ क्या है ?