“नालंदा में दर्जनों ऐसे स्कूल और कॉलेज है, जो बिहार बोर्ड की शर्तों पर खरी नहीं है। बावजूद ऐसे स्कूलों से छात्रों का फार्म भरा जा रहा है। जरूरत है बिहार बोर्ड को फिर से ऐसे स्कूलों और कॉलेजों की जांच कराने की…..”
पटना (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज ब्यूरो)। बिहार बोर्ड ने सोमवार को एक बार फिर राज्य के 28 उच्च और उच्चतर स्कूलों की संबद्धता रद्द करने का फैसला लिया है।
शनिवार को बोर्ड ने राज्य के 47 माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्कूलों की संबद्धता रद्द कर दी थी। यह बिहार बोर्ड का कोई नया निर्णय नहीं है इससे पहले भी बोर्ड ने कई इंटर स्कूलों को रद्द कर चुकी है।
उच्च न्यायालय के न्यायदेश के आलोक में संबद्धता समिति द्वारा अनुशंसा के बाद यह निर्णय लिया गया है। बिहार बोर्ड के इस फैसले से स्कूलों के प्रबंधन के बीच हडकंप मचा हुआ है तो वही छात्र-छात्राओं की परेशानी बढ़ जाएगी।
बिहार बोर्ड ने जिन 28 माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्कूलों की मान्यता रद्द की है, उनमें ज्यादातर नवादा और अरवल तथा औरंगाबाद के स्कूल-कॉलेज शामिल है।
इसके साथ ही बीएड कॉलेज में केन्द्रीकृत परीक्षा की सफलता के बाद बिहार बोर्ड ने भी शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय में इस तरह की परीक्षा आयोजित कर नामांकन लेने की व्यवस्था लागू करने का निर्णय लिया है।
बता दें कि राज्य में सैकड़ों ऐसे स्कूल कॉलेज है, जिनकी मान्यता रेवडियों की तरह बांटी गई है। पिछले बार बिहार बोर्ड के चेयरमैन रहे लालकेश्वर प्रसाद के कार्यकाल में स्कूलों कॉलेजों को नियम कानून को ताक पर रखकर मान्यता प्रदान की गई थी।
शनिवार को राज्य के 47 हाईस्कूल तथा इंटर कॉलेज की मान्यता रद्द की गई थी, उनमें नालंदा से सिर्फ़ एक सुभाष उच्च माध्यमिक विद्यालय की मान्यता रद्द हुई है।
जबकि नालंदा में दर्जनों ऐसे स्कूल और कॉलेज है, जो बिहार बोर्ड की शर्तों पर खरी नहीं है। बावजूद ऐसे स्कूलों से छात्रों का फार्म भरा जा रहा है। जरूरत है बिहार बोर्ड को फिर से ऐसे स्कूलों और कॉलेजों की जांच कराने की।
देखना है कि बिहार बोर्ड की इस कार्रवाई के बाद भी बिहार में फैले शिक्षा माफियों पर लगाम लगती है या नहीं। साथ ही गिरती शिक्षा व्यवस्था को मृत संजीवनी मिलती है या नहीं।