देखा जाये तो मौत का कुंआ का लाइसेन्स नही होता है। फिर भी हर जगह मेला में मौत का कुआँ खुलेआम चलता है। यहाँ लगने वाले चिरागा मेला में हर बार जिला प्रशासन के द्वारा मौत कुआँ से लाइसेन्स की मांग किया जाता रहा है और मौत का कुआँ चलाने वाले वाले जिला प्रशासन की आदेश को किनारे रखते हुए अपना काम चालु रखते थे लेकिन, इस बार देखा जा रहा है कि एसडीओ सुधीर कुमार ने खुद खड़े होकर मौत का कुआँ हटाने का आदेश दिया। और कुछ कुआँ का पाट भी खुलवाया सामने .
अब देखना है कि क्या इस बार जिला प्रशासन मौत का कुआँ चलने देता है या यह धंधा पूरी तरह से बन्द हो जाता है। क्योंकि पूरी तरह से मेला शुरू होने मे अभी एक दिन बाकी है। मेला की शुरूआत जिला प्रशासन के तरफ से बाबा मखदुम के मजार पर चदर पोशी के बाद ही शुरू होता है। लेकिन यहां ईद के नमाज के बाद ही झुला और मौत का कुआँ चालु हो जाता है और लोगो का भीड़ आना शुरू हो जाता है तथा लोग मेला का मजा रात 11 बजे तक उठाते है।
हालांकि मौत का कुआँ बन्द होने का असर मेला पर पड़ना लाजमि है, लेकिन यहां यह भी गौरतलब है कि मौत का कुआँ का मतलब ही मौत होता है, क्योंकि इस खतरनाक खेल में जो भी गाड़ी चलता है, उसके पास न कोई लाइसेन्स होता है और न ही उसकी जान की सुरक्षा कवच ही साथ होती है।
अब देखना है कि क्या मेला में जिला प्रशासन का डन्डा चलता है या आदेश की धज्जियाँ उड़ती है। जिला प्रशासन के आदेश का पलान कायम रहता है।