Home आस-पड़ोस पूरी सिस्टम ध्वस्त, काली कमाई के सामने सब बौने, SDO भी असक्षम

पूरी सिस्टम ध्वस्त, काली कमाई के सामने सब बौने, SDO भी असक्षम

0

एक्सपर्ट मीडिया न्यूज की टीम ने इस मामले में विभागीय कार्यालय के बाबूओं, पुलिस अफसरों से लेकर एसडीओ तक बात की। सब लोगों ने ऐसे जबाव दिए कि मानो यह मामला एक फुटबॉल हो और व्यवस्था के गोल मैदान में वे मदमस्द खेलने में ही अपनी अधिक भलाई समझ रहे ……”।

नालंदा जिले के राजगीर नगर पंचायत कार्यालय में पूरी सिस्टम ध्वस्त हो चुका है। आंकलन करने से साफ जाहिर होता है कि वहां पदस्थ नीचे से उपर तक के पदाधिकारी को या प्रदत अधिकारों का कोई ज्ञान या कर्तव्य बोध नहीं है या फिर काली कमाई के सामने उसे किसी का कोई परवाह नहीं है। यहां सब कुछ नियंत्रण करने में एसडीओ भी पंगु नजर आ रहे हैं।rajgir nagar open crime 1

मामला राजगीर नगर पंचायत क्षेत्र के दांगी टोला वार्ड नंबर 10 में एक अवैध भवन निर्माण से जुड़ा है। पीड़ित संतोष कुमार द्वारा अपनी रैयती जमीन पर कुछ दबंगों द्वारा कानूनी आदेश-प्रक्रिया प्रक्रिया को ढेंगा दिखाते हुए भवन निर्माण की शिकायत की गई। फाईलों में हर जगह से भवन निर्माण को अवैध करार देते हुए उस पर रोक लगाने के निर्देश दिये जाते रहे।

मामला लोक शिकायत निवारण में भी गया। वहां से भी निर्माण रोकने के आदेश पारित किये गए। वर्तमान एसडीओ संजय कुमार ने भी निर्माण कार्य रोकने के निर्देश दिए। पूर्व कार्यपालक पदाधिकारी भी कई बार स्थानीय थाना से लेकर डीएसपी तक लिखित शिकायत भेजी। वर्तमान कार्यपालक पदाधिकारी इस मामले में बिल्कुल लापरवाह बने हैं।

इस मामले की सबसे गंभीर पहलु है कि कार्यालीय तौर पर हर जिम्मेवार अधिकारी कार्रवाई करने के बजाय अपनी लापरवाही और भ्रष्ट आचरण को छुपाने के लिए एक दूसरे पर फेंकाफेंकी करने में जुटे हैं।

बीते कल शुक्रवार को नगर पंचायत के कर्मी पूरे लाव-लश्कर व पुलिस के साथ हो रहे अवैध निर्माण कार्य को ध्वस्त करने गई, लेकिन स्थल मुआयना की रस्म अदायगी कर लौट आई।

एक तरफ कार्यपालक पदाधिकारी को प्रदत अधिकारों के तहत निर्माण कार्य को ध्वस्त कर उसमें लगे सामग्री जप्त करनी थी, वहीं उन्होंने रवि कुमार नाम एक कनीय किरानी को भेजा। उस रवि कुमार का कहना था कि उसे कार्य रोकने को कहा गया था। जब वह देर शाम कार्य स्थल पर गया तो वहां कार्य नहीं हो रहा था।

उधर राजगीर प्रभारी थानाध्यक्ष का कहना था कि कार्यपालक पदाधिकारी ने फोन कर पुलिस सहायता मांगी थी। इस पर संज्ञान लेते हुए उन्होंने गश्ती दल को भेज दिया। अब वहां कौन गया और क्या हुआ, वे कुछ नहीं बता सकते।

हालांकि उपलब्ध रिकार्डेड ऑडियो के अनुसार जब पीड़ित ने कार्यपालक पदाधिकारी से बात करने के बाद राजगीर थानाध्यक्ष के सरकारी नंबर पर बात की तो उधर से बताया गया कि ‘काम ऐसे ही होगा, बिना दान दक्षिणा के’।

राजगीर एसडीओ ने भी इस मामले को देख लेने की बात कही, लेकिन अभी तक अवैध मकान की जारी ढलाई प्रक्रिया तक वे न जाने कहां से और किस दूरबीन से देख ही रहे हैं।

वर्तमान राजगीर नगर पंचायत पदाधिकारी से बात करने से जाहिर होता है कि उनमें विभागीय अनुभव की कमी है और उन्हें कार्यालय के कुछ बाबू बरगला रहे हैं।

बहरहाल, बात चाहे नगर कार्यालय पदाधिकारी की हो या फिर थाना पुलिस या फिर एसडीओ स्तर की। इस सवाल का किसी के पास कोई जबाव नहीं है कि आखिर रोक आदेश के बावजूद पहली ईंट से मकान ढलाई तक मामला कैसे पहुंच गया।  अदद एक अवैध भवन निर्माण को पूरी सिस्टम मिल कर रोक क्यों नहीं पा रही है।

बात बिल्कुल साफ है। पहुंच, पैरवी, पैसा और दबंगई के सामने सब बौने हैं। पीड़ित के आंसू इन्हें दिखाई नहीं देते। इन्हें व्यवस्था पर अहठ्ठास कर्णप्रिय लगते हैं। इन्हें आम जन में खुद की बनी भद्दी छवि की कोई फिक्र नहीं।

सबको दक्षिणा चाहिए। जो दिया, उसके सामने कायदे कानून सब ताक पर। और जो नहीं दिया, वो मरता है। पुलिस भी अंतोगत्वा उसके शव का पोस्टमार्टम की रस्म अदायगी कर डालेगी।

error: Content is protected !!
Exit mobile version