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पत्रकारों की गुटबाजी में फैले भ्रम से आहत हैं हिलसा एसडीओ सृष्टि राज

:- मुकेश भारतीय :-

नालंदा जिले के हिलसा अनुमंडल पदाधिकारी सृष्टि राज सिन्हा से आज आंचलिक पत्रकारिता की समस्याएं और प्रशासन के दायित्व को लेकर काफी आत्मीय चर्चा हुई। श्री सिन्हा ने जैसा कि बताया कि मीडिया से उनका लगाव पहले से रहा है। उन्होंने जामिया इस्लामिया विश्वविद्यालय से पत्रकारिता की डीग्री भी ली है और एक पत्रकार के रुप में काम किया है।

बात-चीत के हर पहलु में एक प्रशासनिक अधिकारी की कार्यसीमा और खासकर आंचलिक पत्रकारों के प्रति उनकी पीड़ा साफ नजर आई।young journalism hilsa subdivision patrakar

बात हिलसा अनुमंडल के आंचलिक पत्रकारों को लेकर आई कटुता के बीच एक संगठन के मासिक बैठक को लेकर थी। इस पत्रकार संगठन में एसडीओ साहब को लेकर जिस तरह की भ्रांतियां फैली और पूरा कल्पित संगठन दो फाड़ हो गया, उसमें कई रहस्य छुपे हैं।

एसडीओ साहब के साथ लंबी बातचीत के क्रम में जो भी तत्थ उभर कर सामने आये, वे उन भ्रांतियो को दूर करती है और छुपे रहस्य पर यूं ही पर्दा उठा जाती है।

इसमें कोई शक नहीं कि हिलसा एसडीओ एक कुशल प्रशासनिक अधिकारी हैं। उनकी जितनी जबावदेही सरकार की नीतियों और योजनाओं को मूर्त रुप देने की है, उतना ही आम नागरिक की भावनाओं और समस्याओं को हरसंभव दिशा-निर्देश सहित सुलझाने की है।

एसडीओ साहब को जब मालूम चला कि हिलसा अनुमंडल के आंचलिक पत्रकारों ने एक संगठन बनाया है तो उन्होंने संगठन के अध्यक्ष के जरिये सभी सदस्यों से व्यक्तिगत तौर पर रुबरु होने की मंशा से चाय पर आमंत्रित किया। नव गठित संघ की अध्यक्ष की ओर से उस संदेश को संघ की व्हाट्सएप्प ग्रुप पर जारी कर दिया गया और सदस्यों से शामिल होने के निर्देश जारी किये।

संघ के कुछ सदस्यों ने सिर्फ चाय पार्टी पर सबाल उठाये। इस दौरान न्यूटन के थर्ड लॉ ‘क्रिया-प्रतिक्रिया’ के रुप में सामने आई। यहां पर संघ के अध्यक्ष सह ग्रुप के एडमिन की अदूर्दशिता ही कही जायेगी कि जहां आपसी संपर्क से पत्रकारों को सब कुछ स्पष्ट किया जा सकता था लेकिन उन्होंने समालोचक पत्रकार सदस्यों को ‘आदेश’ विपरित हरकत मानते हुये ग्रुप और संगठन से सीधे बाहर कर दिया।

इसके बाद हिलसा डीएसपी प्रवीन्द्र भारती की उपस्थिति में चाय पार्टी में संघ के लोग शामिल हुये, लेकिन अनेक सम्मानित आहत पत्रकार शरीक नहीं हुये। इसके बाद भी संघ के कर्ता-धर्ता खुद की आसमानी अहं में डूबे रहे।

विगत रविवार को विक्षुब्ध आहत पत्रकारों ने चंडी में एक बैठक कर अपना अलग रास्ता चुनने का निर्णय ले लिया। उसी दिन चंडी के सटे पड़ोसी प्रखंड-अंचल नगरनौसा मुख्यालय भवन सभागार में संघ ने अपना पूर्व निर्धारित मासिक बैठक आयोजित की। इस बैठक में हिलसा एसडीओ व डीएसपी को भी आमंत्रित किया। एसडीओ शरीक हुये। डीएसपी नहीं आये।

एसडीओ साहब ने बातचीत के क्रम में स्पष्ट तौर पर कहा कि वे काफी मुश्किल से समय निकाल कर उस बैठक में यह सोच कर शामिल हुये कि पत्रकारों की एकजुटता का सम्मान होनी चाहिये। उन्हें यह तनिक सा भी आभास नहीं था कि संघ के पत्रकारों के बीच क्या कुछ चल रहा है, खासकर उन्हें लेकर, जिनकी परिधि में कभी भी उनकी सोच रही ही नहीं।

एसडीओ साहब स्पष्ट कहते हैं कि उन्हें थोड़ा सा भी अहसास होता कि पत्रकार के बीच आपस में तकरार है और दो गुट में बंटे हैं तो वे कभी शामिल नहीं होते।

वे कहते हैं,  हिलसा अनुमंडल का हर आंचलिक पत्रकार एक समान हैं। उनकी नजर में न कोई बड़ा है और न कोई छोटा। ऐसे एक प्रशासनिक अधिकारी के रुप में भी मीडियाकर्मी को कहीं कोई दिक्कत का सामना करना न पड़े, इसका सदैव ध्यान रखता हूं’।

उन्होंने आश्चर्य प्रकट करते हुये कहा कि नगरनौसा की बैठक में उन्हें अपना उद्गार व्यक्त करने के लिये आमंत्रित किया गया था, लेकिन जिस तरह से उन्हें मुख्य अतिथि के रुप में प्रस्तुत किया गया, उससे लगता है कि वे ही संघ की मासिक बैठक के आयोजक हैं। यहीं नहीं नगरनौसा सीओ-बीडीओ से धन्यवाद ज्ञापन करा दिया गया, जो समझ से परे हैं।

एसडीओ ने साफ तौर पर कहा कि वे एक जिम्मेवार अफसर होने के नाते मीडिया और प्रशासन के बीच बेहतर आपसी सहयोग के हिमायती हैं। इसका अर्थ यह नहीं है कि कोई संघ या व्यक्ति उन्हें गुमराह कर उन पर ही सवाल खड़े करने की रणनीति बना लें।

बहरहाल, हिलसा एसडीओ सृष्टि राज सिन्हा ने आज खुले मन से जो बात चीत की, उसका मैं आभारी हूं। उन्होंने साफ कर दिया कि उनकी मंशा हरेक मीडिया कर्मी के सुखः दुःख में शामिल होना मात्र है, न कि किसी खास को प्रश्रय देना या किसी को नजरअंदाज करना।

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