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पति के निवेश का यूं सहारा लाभ मिलते ही आशा की छलक उठी आंखे

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सहारा सेबी विवाद के बीच सहारा अपने निवेशकों के हितों की अनदेखी नहीं करती है। इसका जीता- जागता उदाहरण सहारा इंडिया के आदित्यपुर कार्यालय पर देखने को मिला जहां आज अपने पति द्वारा निवेशित धनराशि के एवज में मृत्योपरांत सहातया राशि की पहली किश्त प्राप्त करते ही आदित्यपुर की आशा देवी की आंखें छलक पड़ीं…….”

एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क (वीरेन्द्र मंडल)। इसकी जानकारी देते हुए सहारा इंडिया के सेक्टर प्रमुख संजय कुमार सिंह ने बताया कि महिला के पति स्वर्गीय शिव कुमार द्वारा साल 2017 में संस्था द्वारा संचालित योजना जीवन बंधन के तहत चालीस हजार रूपए निवेश किए गए थे, जिनकी एक साल बाद ही स्वभाविक मृत्यु हो गई।

उन्होंने बताया कि स्वर्गीय शिवकुमार द्वारा निवेशित चालीस हजार की धनराशि अर्जित ब्याज के साथ उनके द्वारा घोषित उत्तराधिकारी उनकी धर्मपत्नी को तत्काल उपलब्ध करा दिया गया था।

उसके बाद योजना में संस्था द्वारा निवेश के एवज में किए गए वायदे के मुताबिक  स्वर्गीय शिवकुमार द्वारा घोषित उत्तराधिकारी श्रीमति आशा देवी को 12 लाख रूपए प्रदान किया जाएगा।

जिसके तहत अगले 150 महीनों तक यानि 12 साल तक आठ हजार रूपए प्रतिमाह दिया जाएगा। जिसकी पहली किश्त आज श्रीमति आशा देवी लेने सहारा इंडिया के आदित्यपुर स्थित कार्यालय पहुंची। इस दौरान स्वर्गीय शिवकुमार के पुत्र भी मौजूद रहे।

इधर अपने पति द्वारा निवेशित धनराशि का इतना बड़ा लाभ मिलने की उम्मीद से आशा देवी की आंखें छलक उठीं। उन्होने बताया कि महज चालीस हजार रूपए के एवज में इतने बड़े लाभ की उन्होंने कभी कल्पना भी नहीं की थी।

उन्होंने बताया कि पति की मौत के बाद वे काफी टूट चुकी थी, लेकिन सहारा के सहारा से  जीवन की गाड़ी खींचने में सहूलियत होगी।

सबसे बड़ी बात ये है कि साल 2012 से ही सहारा- सेबी प्रकरण जारी है और मामला न्यायालय में चल रहा है। जहां सेबी के मिथ्या सनक की वजह से सहारा समूह को एक ही निवेश का दुबारा भुगतान करना पड़ रहा है। जिसके एवज़ में सहारा समूह अब-तक सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर लगभग 20 हज़ार करोड़ सहारा- सेबी के खाते में जमा करा चुकी है।

निश्चित तौर पर सहारा समूह आंतरिक रूप से कमजोर हुई है, लेकिन अपने निवेशकों के हितों को प्राथमिकता देते हुए मुश्किल परिस्थितियों में भी सहारा समूह अपने निवेशकों से किए गए अनुबंधों को पूरा कर रही है ये बड़ी बात है।

सहारा समूह दुनिया की इकलौती ऐसी संस्था है जिसे निवेशकों के पैसों का गलत तरीके से लेने के एवज में 17 हजार करोड़ रुपए का जुर्माना 25 हजार करोड़ रुपए ब्याज सहित चुकाने का फरमान सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया है। जिसे सहारा समूह अपनी संस्था को सही साबित करने के लिए चुका रही है।

वैसे आज तक एक भी निवेशक सेबी या सुप्रीम कोर्ट में अपना निवेशित धनराशि नहीं लौटाने की शिकायत लेकर नहीं पहुंचे हैं, मगर सेबी के मिथ्या सनक की वजह से आज सहारा समूह को बड़ी कीमत चुकानी पड़ रही है।

वैसे कानून के जानकारों की अगर मानें तो जल्द ही सहारा समूह के पक्ष में बड़ा फैसला आ सकता है, जिसके बाद सहारा समूह दुनिया की सबसे अमीर संस्था बनकर उभरेगी।

गौरतलब है कि सहारा समूह ने सुप्रीम कोर्ट में जो हलफनामा दिया है उसके अनुसार सहारा समूह की देश और विदेश में कुल 75 हजार करोड़ की चल और अचल परिसंपत्तियां हैं। जिसे सुप्रीम कोर्ट ने जांच में सही पाया है यानि आनेवाले दिनों में सहारा समूह दुनिया के पैरा बैंकिंग सेक्टर का सबसे बड़ा समूह बन जाएगा।

हालांकि वर्तमान समय में वैधानिक गतिरोध के कारण सहारा समूह के ज़्यादातर कार्यालयों पर वित्तीय भार है, लेकिन सहारा से जुड़े 13 लाख से भी अधिक कार्यकर्ताओं को अपने अभिभावक यानि सुब्रत रॉय सहारा पर पूरा भरोसा है, जिन्होंने सेबी के तुगलकी फरमान के बाद अपने निवेशकों और कार्यकर्ताओं के हितों के लिए भ्रष्ट सिस्टम से टकराने की ठानी और जेल जाकर लड़ाई जारी रखा।

वैसे सुब्रत रॉय पैरोल पर जमानत पर हैं और अपने निवेशकों और कार्यकर्ताओं से किए गए वायदों का पूरे निष्ठा के साथ निर्वहन कर रहे हैं।

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