Home आस-पड़ोस नालंदाः फिर हुए शराब कारोबारियों के मनोबल बढ़ाने वाले खेल !

नालंदाः फिर हुए शराब कारोबारियों के मनोबल बढ़ाने वाले खेल !

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एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क। बिहार में पूरा सरकारी अमला ही शराबबंदी का घोर मठ्ठा करने पर तुली है। सीएम नीतीश कुमार का वही पुराना रटा रटाया बयान कि शराबबंदी में कमियां वही लोग निकाल रहे हैं, जो शराब पीने की जुगाड़ में रहते हैं, यह जाहिर करता है कि उनका सूचना तंत्र काफी कमजोर है।

डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय शराबबंदी पर पर अच्छा भाषण देतें हैं, वे अच्छा प्रयास भी करते हैं, वेशक उन्हें यह आभास है कि कतिपय थानेदारों ने शराबबंदी को कमाई का जरिया बना रखा है। लेकिन वे कहीं न सत्ता संरक्षित व्यवस्था में कड़े कदम नहीं उठा पा रहे हों।

OPEN WINE CRIME IN NALANDA 1बहरहाल, सीएम नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा में शराब कारोबार को लेकर एक ऐसा ही मामला सामने आया है। गिरियक थाना के पावापुरी ओपी क्षेत्र के बकरा गांव के पास पुलिस को 66 कार्टून शराब की एक खेप मिली।

ग्रामीणों की मानें तो कुछ किसान खेत की पटपन कर रहे थे, तभी शराब कारोबारी रात अंधेरे बकरा नदी पार एक बड़ी खेप पार करने की जुगत में भिड़े थे। जैसे ही किसानों को भनक लगी तो उसने उस दिशा में आवाज दी।

फिर क्या था, बेखौफ बदमाश कारोबारी किसानों पर ताबड़तोड़ फायरिंग करने लगे। किसान पहले तो घबड़ा गए। फिर उन्होंने शोर मचाना शुरु किया। शोर सुनकर काफी किसान जुट गए। इसके बाद पकड़े जाने के भय से सारे कारोबारी भाग खड़े हुए।

इसके बाद गिरियक थानेदार सुबोध कुमार पावापुरी इन्चार्य प्रभा कुमारी के साथ सदलबल आए और 66 कार्टून अंग्रेजी शराब की खेप उठाकर ले गए।

अब इस मामले में देखिए पुलिस और कतिपय मीडिया का खेल। पावापुरी इन्चार्य ने बताया कि पुलिस को शराब खेप लाए जाने की गुप्त सूचना मिली थी। जिसके बाद गिरियक व पावापुरी थाना पुलिस ने संयुक्त रुप से कार्रवाई की। कुल 592 लीटर शराब जब्त हुई।

फरार धंधेबाज दीपक यादव, पन्नु केवट, जाहुरी केवट पर केस दर्ज किया गया। स्थानीय किसान धंधेबाजों द्वारा फायरिंग की बात कह रहे हैं। जिसकी जांच की जा रही है।

सवाल उठता है कि शराब कारोबारियों द्वारा ताबड़तोड़ फायरिंग के बाद मचे अफरातफरी एवं दहशत के माहौल के बीच जब पुलिस को सारे मामले की सूचना दी गई तो फिर वह गोपनीय कैसे हो गई। पुलिस नेटवर्क इतना कमजोर है कि फायरिंग की बात किए जाने की बात कही जा रही है।

दरअसल, यह घोर मठ्ठा अवैध शराब कारोबार और पुलिस की संलिप्ता की ओर ईशारा करती है। फरार हुए कथित तीन धंधेबाज के खिलाफ नामजद एफआइआर भी स्पष्ट करता है कि पुलिस को सब पहले से मालूम था कि वहां इस काले कारोबार में कौन लोग शामिल हैं। ऐसे भी पावापुरी-गिरियक ईलाका शराब कारोबारियों के लिए स्वर्ग साबित है।

यहां इस ‘अमरबेल’ को लेकर प्रायः पुलिसिया कार्रवाई शराबबंदी को लेकर कम, उसके प्राथमिक तंत्र की मजबूती के लिए अधिक की जाती रही है। स्थानीय पुलिस इंचार्य की कार्यशैली भी काफी संदेहास्पद है। पुलिस को सब मालूम है कि इस नए ‘रोजगार सृजन’ योजना में कौन-कौन लाभान्वित हैं। ऐसा ग्रामीण बताते हैं।

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