वे भारत साधु समाज के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के पद पर आसीन थे। उनका पार्थिव शरीर पातेपुर से राजगीर लाया जा रहा है ।
सुखदेव मुनि महाराज जी राजगीर ही नहीं पूरे भारतवर्ष में एक धरोहर के रूप में थे। वे अखिल भारतीय साधु समाज के उपाध्यक्ष एवं संस्कृत महाविद्यालय के सचिव भी थे।
सुखदेव मुनि महाराज तीन विषयों में मास्टर की डिग्री प्राप्त किए थे। वे हमेशा मंचों से संस्कृत भाषा में लोगों के बीच अपने ज्ञान को परोसते थे। फिर उसके बाद हिंदी रूपांतरण कर लोगों को समझाते थे। वे अपने पीछे ढेर सारे अनुयायियों को छोड़ गए हैं।
उनके निधन पर भारत साधु समाज के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी हरिनारायणानंद, द्वारिकाधीश स्वामी केशवानंद, मगध पीठाधीश्वर स्वामी अंतर्यामी शरण जी महाराज, कांग्रेस के प्रांतीय नेता नवेन्दु झा, खुदरा व्यवसायिक संघ राजगीर के अध्यक्ष निरंजन कुमार एवं सचिव धर्मराज प्रसाद समेत दर्जनों श्रद्धालुओं ने स्वामी जी के आकस्मिक निधन पर शोक व्यक्त किया है।