नालंदा ( राम विलास )। भारत विभिन्न धर्मों-जातियों का देश है। इसे समरस बनाए रखने के लिए धर्मनिरपेक्षता बहुत जरूरी है । इसके बिना समाज में शांति संभव नहीं। धर्म सत्ता और राज सत्ता दो पहलू है। 500 साल पहले धर्म सत्ता कायम थी । लेकिन आज वह बैकफुट पर है । वर्तमान में देश और दुनिया में राज सत्ता हावी है ।
राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के प्रशिक्षण के दूसरे दिन गुरुवार को धर्मनिरपेक्षता विषय पर बोलते हुए वरिष्ठ पत्रकार अरविंद मोहन ने यह कहा। उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यकवाद केवल भारत कि नहीं दुनिया की समस्या है। जेंडर और पर्यावरण मिल जाए तो दुनिया बदल जाएगी। जेंडर के हिसाब से महिलाओं को शासन और सत्ता में वाजिब हक मिलना चाहिए। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, डॉक्टर राम मनोहर लोहिया , जननायक कर्पूरी ठाकुर हमेशा धर्मनिरपेक्षता और सर्वधर्म समानता की बात करते रहे हैं। उनके आदर्शों और नीतियों पर चलकर ही समरस समाज का निर्माण किया जा सकता है । भारत विविधता में एकता का प्रतीक रहा है। सम्राट अशोक और मुगल शासक की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि इतिहास गवाह है । कोई मुगल शासक हज करने नहीं जाया करते थे । देश में हिंदू-मुस्लिम, बौद्ध- जैन शासक भी थे ।
उन्होंने वीर सावरकर और जिन्ना की चर्चा करते हुए कहा कि वे दोनों दो विचारधारा के थे। जिन्ना मुसलमान होते हुए मुसलमानों के रहनुमा नहीं थे। वही सावरकर गौ मांस विरोधी भी नहीं थे । महात्मा गांधी , राम मनोहर लोहिया और कर्पूरी ठाकुर के आदर्शों को जीवन में उतारने की नसीहत देते हुए उन्होंने कहा की सामाजिक न्याय की परिभाषा बदल गई है।
लालू प्रसाद यादव , मुलायम सिंह यादव और राम विलास पासवान की चर्चा करते हुए कहा कि सामाजिक न्याय का मतलब परिवारवाद नहीं होता है। उन्होंने कहा कि किसी जाति विशेष, धर्म विशेष को संख्या बल के आधार पर चोट नहीं करनी चाहिए। आज सामाजिक कार्यकर्ताओं को गांधी और लोहिया की विचारधारा को पढ़ने की जरूरत है। धर्म राजनीतिक और सत्ता में इस्तेमाल करने की चीज नहीं है।
उन्होंने कहा कि पूरे देश में कहीं न कहीं कोई न कोई अल्पसंख्यक है । चाहे वह धर्म के आधार पर हो या जाति के आधार पर । केरल का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि हिंदू और मुस्लिमों ने राजनीति में तालमेल बैठा लिया है । देश का पहला राज्य केरल है जहां मोहम्मद साहब के जन्मदिन पर सरकारी छुट्टियां रहती है ।
आर एस एस की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि संध्या वालों से पूछिए कि भारत माता बड़ी है या हिंदुस्तान। उन्होंने कहा पूरी दुनिया में वीफ की बात हो रही है। वीफ को लेकर मुस्लिमो को चिढाने का काम बन्द होनी चाहिए। वीफ मुद्दा को सरकार को वापस लेनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि देश में पश्चिमी देशों की संस्कृति का अगाज पंडित जवाहरलाल नेहरु के समय से हुई। उसी समय से राजनीति से धर्म को बाहर करने की बात है। महात्मा गांधी , राम मनोहर लोहिया सर्व धर्म में समानता की बात करते रहे हैं। भारतीय समाज विभिन्न धर्मों, जातियों, बोलियो और राजनीतिक पार्टियों वाला है।
उन्होंने कहा कि सामाजिक न्याय बहुत बड़ी चीज है। देश में बदलाव हुआ है। शिविर में आर्थिक नीति, विदेश नीति आदि पर चर्चा होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यकवाद से भारत समेत चीन, पाकिस्तान,बंगलादेश सहित दुनिया के कई देशों प्रभावित है।