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देखिये FIR के बाद पुलिस को पंगु बना पीड़ितों पर कैसे दबाव बना रहा है गौरोर का भ्रष्ट मुखिया

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अपनी काली करतूत को छुपाने के लिए नालंदा जिले के राजगीर प्रखंड के गोरोर पंचायत का मुखिया हरसंभव कोशिश में जुटा है। उसके इस कोशिश में साथ दे रहा है छबिलापुर थाना का  वर्तमान थानेदार……”

एक्सपर्ट मीडिया न्यूज। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत कई लाभुकों से प्रथम किस्त की राशि 50000 रुपये से 15000 रुपये जबरन वसूल लिया था। अब उस कुकृत्य को छुपाने के लिए मुखिया संतोष कुमार दिवाकर के द्वारा गरीब असहाय लाभुकों के ऊपर बयान बदलने का दबाव बनाया जा रहा है।GOROR MUKHIYA FIR1

मुखिया के द्वारा लाभुकों पर दबाव बनाया जा रहा है, “सब गरीब पीड़ित लोग प्रखंड विकास पदाधिकारी राजगीर के समक्ष अपने पूर्व के बयान कैसे बदल दें। झूठ बोल दें कि किसी के चढ़ावे बहकावे में आकर मुखिया के प्रति ऐसा गलत आरोप लगाये हैं।

सारे लाभुकों ने एक्सपर्ट मीडिया न्यूज़ टीम को एक सुर में रिकार्डेड बताया कि मुखिया बयान बदलवाने का दबाव बना रहा है। मुखिया कह रहा है कि उसके भ्रष्टाचार के हाथों  सारे पीड़ित लाभुकों को सरकारी राशि और सरकारी योजना से वंचित कर देगा। यदि बयान बदल कर उस बचा लिया तो सबके भाई भतीजे तक के नाम से सरकारी कॉलनी  बनवा देगा।

लेकिन गोरोर पंचायत के वार्ड 12 के गरीब असहाय लाभुक अपने बयान को बदलने से फिलहाल साफ इंकार करते हुये साफ तौर पर कहा है कि वे झूठ नहीं बोल सकते और झूठ बोलकर किसी गैर को नहीं फंसा सकते।

पीड़ित लाभुकों ने बताया कि सारा पैसा गोरोर पंचायत का मुखिया और मुखिया का दलाल लिया था ना कि कोई वार्ड सदस्य। प्रधानमंत्री आवास योजना के लाभार्थी मनका देवी के घर पर जाकर मुखिया संतोष कुमार दिवाकर छबीलापुर बाजार लेकर गया और अपने पूर्व के बयान को बदलने के लिए दबाव बनाते हुये तरह तरह के प्रलोभन भी दिये।

इतना ही नहीं इन सबों से यह लोग  अपने बातों पर अड़े रहते  तो  उन्होंने सरकारी लाभों से वंचित रखने की भी बात कर डाली. यही हालात लाभार्थी सीता देवी के साथ भी हुआ  उन्हें भी  मुखिया झूठ सच बोलने के लिए प्रेरित किया  मगर वह पूर्व के बयान  पर डटी रही।

बकौल लाभार्थी सजनती देवी, “मुखिया उसके गांव आया था और सभी लाभार्थी को छबीलापुर लेकर गए और सभी को कह रहे थे कि तुम लोग अपना बयान बदल दो, जो पैसा 15000 लिए हैं, वह लौटा देंगे। लेकिन हम लोग अपने पूर्व के बयान पर डटे हैं। यदि हम अपना बयान बदल लेगें तो हम लोग पर भी केस हो जाएगा, जिसके भय से हम लोग अपना वयान नहीं बदल सकते।

वह आगे कहती है, “मुखिया जो पैसा 15000 रुपये कमीशन लिए थे, वह लौट आने को तैयार है, लेकिन वही झूठ बुलवाने के लिए उत्प्रेरित करते हैं और अनेक तरह के प्रलोभन-धमकियां भी दे रहे हैं। बात नहीं मानने पर सरकारी राशियों से एवं सरकारी लाभ से वंचित रखने की भी बात करते हैं”।

गुड़िया देवी के पति कमलेश दास बताता है कि, “गौरॉर पंचायत का मुखिया संतोष कुमार दिवाकर एफआईआर दर्ज होने के दिन हमें बुलाकर छबीलापुर बाजार ले गया और कहा कि तुम चलकर प्रखंड विकास पदाधिकारी राजगीर के समक्ष अपने पूर्व के बयान को बदल कर कहो कि प्रधानमंत्री आवास योजना की किस्त की राशि से 15000 रुपये मुखिया ने नहीं लिया।

इस लाभार्थी को मुखिया के द्वारा बहुत प्रलोभन दिया गया कि “हम तुमको बहुत मदद करेंगे। भाई को कॉलोनी दिला देंगे। राशन कार्ड देने में मदद करेंगे।“

इस पर कमलेश दास ने मुखिया से साफ तौर पर कहा कि, “मैं झूठ कैसे बोल दूं, किसको मैं फसा दूं, इतना मैं कह सकता हूं कि कमीशन की 15000 राशि मुखिया लिए थे, जो हमें वापस करने के लिए तैयार हैं। इस पर मुखिया तैयार नहीं हुआ। वह स्पष्ट तौर पर झूठ उगलबाना चाहता है कि पैसा ही नहीं लिया। वह झूठे बयान दिला हम गरीब असहाय के ऊपर उल्टे केस करना चाहता है।  

वहीं गौरॉर पंचायत के वार्ड संख्या 12 के निर्वाचित सदस्य रंजीत कुमार का कहना है कि मुखिया एफआईआर के बाद बौखलाए हुए है और सभी पर दबाव बनाए हुए हैं। यहां तक कि वह उसके ऊपर भी दबाव बना रहा है कि यदि वह कह देगा तो सारा लोग मान जाएगा।

वार्ड सदस्य ने बताया कि मुखिया जिन लोगों के पास आकर सभी लाभार्थी को छबीलापुर ले गए थे और इन लोगों से झूठा बयान बोलने के लिए प्रखंड विकास पदाधिकारी के पास प्रेरित कर रहे थे, अनेक तरह के लोभ दे रहे थे कि जो तुम लोगों का पैसा 15000 कमीशन लिया था, वह लौटा देता है और आगे बार से राशन कार्ड सरकारी योजना का विशेष ध्यान रखेंगे। इन सब प्रलोभन के बाद भी लाभार्थी नहीं माना तो उन्होंने धमकी के तौर पर कहा कि अपना बयान नहीं बदलोगे तो आगे बार से सरकारी लाभ और सरकारी योजनाओं से वंचित कर देंगे।

इतना ही नहीं, विश्वस्त सूत्र से जानकारी मिली है कि बीते दिन एक महिला लाभार्थी सीता देवी को गोरॉर मुखिया और उसके गुर्गों द्वारा अनुमंडल कार्यालय राजगीर भी ले गया था, जहां कुछ कागजात पर ठेप्पा ले लिये जाने की बात बताई जा रही है।

सवाल उठता है कि एक मुखिया गरीब असहायों के उपर बयान बदलवाने के लिए जिस हद तक अपना प्रयास कर रहा है और छबीलापुर थाना की सुस्ती या कहिये कि सांठगांठ बनाए दिख रहा है, वह मामले को रफा-दफा  किये जाने की मुहिम साफ झलकती है।

जब अनुमंडल पदाधिकारी राजगीर के निर्देशानुसार प्रखंड विकास पदाधिकारी के लिखित आवेदन पर मुखिया के ऊपर प्राथमिकी दर्ज की जाती है। प्राथमिकी दर्ज हो जाने के सप्ताह दिन भी बीत जाते हैं।

लेकिन छबिलापुर थाना पुलिस द्वारा एक भ्रष्ट मुखिया को अपनी गिरफ्त में लेने के बजाय और पीड़ितों को बयान बदवाने और उसकी काली करतूतों पर पर्दा डालने का हरसंभव प्रयास करना एक बड़ा सबाल खड़ा करता है।

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