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थाना में बर्बर पिटाई मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार ने मुख्य सचिव को किया सशरीर तलब

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राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने झारखंड के मुख्य सचिव को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए पीड़ित को एक लाख रूपये भुगतान करने का आदेश दिया था, परन्तु ऐसा नहीं किया किया। अब आयोग ने मामले को गंभीरता से लेते हुए चार सप्ताह के अन्दर राशि भुगतान कर सप्रमाण-सशरीर उपस्थित होने के आदेश दिया है…….”

एक्सपर्ट मीडिया न्यूज। कोडरमा जिले के लोकाई पंचायत के तीनतारा गाँव निवासी शंकर साव पिता लक्ष्मण साव को पुलिस द्वारा सर्वोच्च न्यायलय के गिरफ़्तारी सम्बन्धी आदेश का उलन्घन करते हुए उसे उसके घर से गिरफ्तार 28 जनवरी 2018 को कोडरमा थाना लाकर अमानवीय पिटाई की गई थी। जिससे शंकर साव का पैर टूट गया था और  वह चलने फिरने में लाचार हो गया था।

HUMAN RIGHT ACTION 1
पीड़ित लक्ष्मण साव….

घटना के सम्बन्ध में शंकर साव ने मानवाधिकार कार्यकर्त्ता ओंकार विश्वकर्मा से संपर्क कर घटना की जानकारी दी थी।

शंकर साव के अनुसार उसे 28 जनवरी 2018 दिन रविवार के रात 8 बजे के करीब पुलिस उसके घर से बुला कर थाना लाया गया। जहां उसकी बुरी तरह पिटाई की गई। जिससे उसका पैर टूट गया।

उसे सदर अस्पताल कोडरमा में होश आया तो देखा कि वह चलने- फिरने में भी असमर्थ है। वहां इलाज होने के बाद वह अपना इलाज धनबाद के एक निजी क्लिनिक में करवाया था, जिसके लिए मानवाधिकार जन निगरानी समिति ने उसे आर्थिक मदद की थी।

इसके बाद मामले को लेकर ओंकार विश्वकर्मा द्वारा राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में दिनांक 30 जनवरी 2018 को अपील की गई। जिस पर संज्ञान लेते हुए मानवाधिकार आयोग ने कोडरमा पुलिस अधिक्षक से रिपोर्ट तलब किया था।

इस पर कोडरमा पुलिस द्वारा 29 जून 2019 को मानवाधिकार को आयोग को रिपोर्ट भेजा गया था। जिसमे पुलिस ने अपना पक्ष रखते हुए कहा था कि कोडरमा थाना अपराध संख्या 17/18 दिनांक 24.1.2018 यू / एस 302/34 आईपीसी के संबंध में 28.1.2018 को पूछताछ के लिए पीएस लाया गया।

प्रासंगिक समय में शंकर एक गंभीर स्थिति में थे और उन्हें पूछताछ के लिए पीएस में बैठने के लिए बनाया गया था, क्योंकि पीएसपी के कुछ निरीक्षण कार्य एसडीपीओ, कोडरमा द्वारा किए जा रहे थे।

जब पीएस के पुलिस अधिकारी निरीक्षण कार्य में व्यस्त थे, तब पीड़ित शंकर ने कथित तौर पर पीएस के पिछले गेट से अंधेरे में पीएस से दूर भागने का प्रयास किया और वह एक नाले में गिर गया और उसके पैर में चोट लग गई। उसे इलाज के लिए पुलिस ने सदर अस्पताल में भर्ती कराया।

इस प्रकार, रिपोर्ट ने शिकायतकर्ता द्वारा लगाए गए आरोपों को पूरी तरह से नकार दिया।

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने सामग्री को रिकॉर्ड पर विचार किया और मामले के तथ्यों और परिस्थितियों पर ध्यान दिया। शिकायतकर्ता द्वारा लगाए गए आरोपों की एसडीओपी, कोडारमा द्वारा विधिवत पूछताछ की गई और शिकायत में लगाए गए आरोपों का खंडन किया गया।

लेकिन यह देखा गया कि 28.1.2018 को डीडी में एक भी प्रविष्टि नहीं की गई है, जब पुलिस ने पूछताछ के उद्देश्य से शंकर को पीएस में लाने के लिए शिकायतकर्ता के घर का दौरा किया। इसलिए, पुलिस का संस्करण को आयोग ने अस्थिर पाया।

घटना की जुबानी-पीड़ित शंकर साव की जुबानी……… 

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