एक्सपर्ट मीडिया न्यूज। झारखंड की तीन लोकसभा सीटों चतरा, पलामू और लोहरदगा क्षेत्र के पलामू, गढ़वा, लातेहार, चतरा,लोहरदगा, और गुमला जैसे अतिनक्सल प्रभावित इलाके में लगभग 63 प्रतिशत मतदान कर मतदाताओं ने नक्सल आतंक को कराराा जवाब दिया है।
चुनाव से पहले नक्सलियों ने जहां पोस्टरबाजी कर चुनाव बहिष्कार की धमकी दी थी, वहीं भवन उड़ा कर और मशीनों में आग लगा कर चुनाव को प्रभावित करने की कोशिश भी की थी,लेकिन कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच नक्सलियों की एक भी कोशिश कामयाब नहीं हो पायी।
झारखंड के 3 लोकसभा संसदीय क्षेत्र पलामू, चतरा और लोहरदगा में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच मतदान सुबह के 7:00 बजे शुरू हुआ।तीनो लोकसभा सीट के 6072 बूथों पर सुरक्षा व्यवस्था के कड़े इंतजाम किये गये थे और भारी संख्या में सुरक्षा बल के जवानों को भी तैनात किया गया था। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों के बूथों पर सुरक्षा व्यवस्था का पुख्ता इंतजाम थे।
2093 अतिसंवेदनशील बूथ और 2710 संवेदनशील बूथ के रुप में चयनित किये गये थे। 2093 अतिसंवेदनशील बूथों पर सीआरपीएफ के जवान तैनात थे
चतरा, पलामू और लोहरदगा, इन तीनों लोकसभा क्षेत्रों के चतरा, पलामू लोहरदगा, गुमला,गढ़वा और लातेहार अति नक्सल प्रभावित जिले की श्रेणी में आते हैं। यहां सभी मतदान केंद्रों पर शांतिपूर्ण तरीके से मतदान संपन्न हुआ।
इन अति नक्सल प्रभावित जिलों में शांतिपूर्ण चुनाव को लेकर इन जिलों में भारी संख्या में सुरक्षा बल की तैनाती की गयी थी और सुरक्षा व्यवस्था के पुख्ता प्रबंध किये गये थे।
चुनाव कार्य में सुरक्षा व्यवस्था बनाये रखने के लिए केंद्र सरकार की 200 पुलिस बटालियन प्रतिनियुक्त की गयी थी। 300 पुलिस कंपनियां झारखंड पुलिस की हैं। इसके अलावा 4500 होमगार्ड भी प्रतिनियुक्त किये गये हैं।
174 कंपनियों को बूथ पर चुनाव संपन्न कराने के लिए लगाया गया था। बाकि एंटी नक्सल और चुनाव संबंधी अन्य कामों के लिए प्रतिनियुक्त किये गये थे। इनके अलावा 3000 महिला पुलिसकर्मी भी चुनावी सुरक्षा में लगी हुई थी।
चिलचिलाती धूप में भी मतदाताओं का उत्साह देखते ही बन रहा था।लोग शांतिपूर्ण पंक्तिबद्ध होकर मतदान के लिये लाइन में खड़े दिखे। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में हेलीकॉप्टर से मतदानकर्मियों को पहुंचाया गया था।
कई ऐसे नक्सल प्रभावित क्षेत्र में थे, जहां नक्सलियों की कभी तूती बोलती थी वहां लोगो ने उत्साह के साथ मतदान किया। इसके पूर्व के चुनाव में इतनी वोटिंग नहीं हुई थी। क्षेत्र में उग्रवादी गतिविधियों पर लगभग विराम लग चुका है और क्षेत्र में अब शांति है।